Tuesday, February 20, 2018

सम्मेलन निमंत्रण पत्र


कैसा यह सम्मेलन हुआ, रैगर खुद ही शर्मसार हुआ।
खंडित हुई समाज की एकता, अखंडता पर वार हुआ।
कोसते थे आलोचकों को, संयोजक खुद लाचार हुआ।
सोचा ना एक पल भी, कैसा समाज में व्यवहार हुआ।
रैगर खुश हुए या नाराज, ना इस बात पर विचार हुआ।

लोगों में आई नहीं जागृति, रघुबीर लिखना बेकार हुआ।

Friday, February 16, 2018

चतुर्थ भारतीय रैगर महासम्मेलन, जयपुर 1984



अव्दितीय चतुर्थ भारतीय रैगर महासम्मेलन, जयपुर 1984 ☄️🔥
🇪🇺🇮🇳 जय भीम जय रैदास 🇪🇺🇮🇳
अब जमाना बदल गया था। पुराने बुजुर्ग या तो इस दुनिया से चले गये थे, अथवा शारिरिक रूप से अत्यंत कमजोर हो गये थे। इसके अलावा अब रैगर समाज में ऐसी कुरीतिया भी नहीं रह गई थी जो एक जमाने में हुआ करती थी। रैगर समाज की युवा पीढ़ि शिक्षित होकर राजकीय सेवाओं में आने लग गई थी। उनमें सामाजिक जागृति के साथ राजनैतिक चेतना भी जागृत होने लग गई थी। ऐसे में रैगर समाज में धर्मदास शास्त्री का आगमन हुआ। वे अत्यंत गरीब रैगर परिवार के सीधे साधे सच्चे इंसान थे जो मन में रैगर समाज को आकाश तक पहुँचाने की इच्छा रखते थे। दिल्ली में ही उन्होनें अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। शास्त्री जी चाहते थे कि स्वतंत्र भारत में रैगर जाति का प्रत्येक व्यक्ति आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली बने। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये उन्हें राजनीति शिखर को स्वयं छूना आवश्यक था। वे दिल्ली महानगर परिषद् से दो बार निर्वाचित हुए। दिल्ली महानगर परिषद् में विपक्ष का नेता वह ही बन सकता है जिसका राजनीति दल विपक्ष में सबसे बडी़ संख्या मे हो। परम्परा के अनुसार विपक्ष का नेता ही महानगर परिषद् की आश्वासन समिति का अध्यक्ष बनाया जाता हैं। शास्त्री जी 1977-1980 तक महानगर परिषद् में विपक्ष के नेता रहे जो रैगर समाज के लिये गौरव की बात थी। शास्त्री जी 1980-1984 तक कांग्रेस पार्टी से करोल बाग दिल्ली से निर्वाचित हुऐ थे।
नवल प्रभाकर तीसरी लोक सभा 1962-1967 तक लोक सभा के लिये निर्वाचित हुए थे। इसके बाद रैगर समाज के शिवनारायण सरसूणिया 1977 से छठी लोकसभा हेतु निर्वाचित हुए। आठवी लोक सभा से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमति सुन्दरवती प्रभाकर चुनाव जीती लेकिन इसके बाद रैगर जाति का कोई भी व्यक्ति लोकसभा में निर्वाचित नहीं हुआ। इसके कई कारण हैं जिनमें मुख्य कारण समाज में पदलोलुप व्यक्तियों की समाज के विरूध्द कार्य करने की नीति मुख्य हैं।
धर्मदास शास्त्री जी रैगर समाज के लोकप्रिय नेता थे, वह भाप चुके थे कि रैगर समाज में सामाजिक क्रांती लाने हेतु अखिल भारतीय रैगर महासभा को शक्तिशाली बनाना आवश्यक है। वे दिल्ली महानगर परिषद् के सदस्य होते हूए भी राजस्थान के गाँवो में रैगर जाति के गरीब पिछड़े पंच-पटलो से मिलते रहे और राजस्थान के गाँवो का दौरा करते रहे और रैगर समाज में राजनैतिक और सामाजिक जागृति की भावना उत्पन्न करते। दिल्ली में रैगर समाज ने उन्हे अपना सब कुछ मान लिया था और वह समाज के लिये हर प्रकार से मददगार बने।
💧मेरी राय में वे समाज के आधुनिक सुधारक बनकर नई पीढ़ि के लिये एक राजनैतिक और सामाजिक क्रांती का प्रतीक बन चुके थे।💧
श्रीमति इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी। तृतीय अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन पुष्कर 1964 में हुआ था जिसका 20 साल का एक लम्बा अंतराल बीत चुका था। रैगर समाज में एकता में कमी आने लग गई थी। जिसके कारण समाज के लोगों के विकास की गति बहुत धीमी हो चुकी थी अतः उन्होने अपने सहयोगियों और रैगर समाज के गरीब तबके के पंचो से समर्पक साधा और अखिल भारतीय स्तर का महासम्मेलन बुलाने की इच्छा जाहिर की। इस बात को रैगर समाज ने माना और सभी ने शास्त्री जी की सराहना की तथा महासम्मेलन को सफल बनाने का वादा किया।
इस महासम्मलेन को लेकर कई बैठके आयोजित कि गई जिसमें मुख्य रूप से दिल्ली के रामचंद्र गोस्वामी, श्रीमति सुन्दरवती नवलप्रभाकर, भागीरथ धोलखेडिया, मोतीलाल बोकोलिया, किशनलाल जाटोलिया, किशन लाल कुरडिया,बिहारी लाल जागृत, भगवानदास खोरवाल आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसी प्रकार राजस्थान से उमरावमल गुसाईवाल, लक्ष्मी नारायण खोरवाल, मास्टर रूपचंद जलुथरिया, भौरीलाल शास्त्री, छोगाराम कंवरिया, घासीराम पीपलीवाल, प्रभुलाल बालोटिया आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
अखिल भारतीय रैगर महासभा ने धर्मदास शास्त्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि चतुर्थ अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन 6 व 7 अक्टूबर 1984 को जयपुर में बुलाया जायेगा जिसमें विश्व नेता भारत की प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी इस महासम्मेलन को सम्बोधित करे। इस महासम्मेलन को सफल बनाने के लिए धर्मदास शास्त्री ने अपने साथियों के साथ कई बार राजस्थान के गांव-ढ़ाणियो व कस्बो का दौरा किया। उन्होने इस महासम्मेलन के कार्य संचालन हेतु कई कमेटिया व समितियों का गठन कर उनके पदाधिकारी नियुक्त कर कार्य की जिम्मेदारीयां सौपी जो निम्न.प्रकार थी......
1. समन्वय समिति - छोगाराम बाकोलिया व रामचंद्र गोस्वामी
2. महिला संगठन समिति - श्रीमति सुन्दरवती प्रभाकर
3. विषय प्रस्ताव समिति - खुशहालचंद रैगर
4. कार्यगति समिति - मोती लाल बाकोलिया
5. धन संग्रह समिति - भागीरथ धोलखेडिया व चिरजी बाकोलिया
6. मंच समिति - भौरी लाल शास्त्री
7. स्मारिका समिति राजेन्द्र जी गाडेगावलिया दिल्ली
8. पांडाल समिति - किशन लाल जाटोलिया व तेजा पटेल सिंगारिया
9.स्वागत समिति - भौरी लाल शास्त्री व प्रभुलाल बालोटिया भट्ट
10.आवास समिति - उमरावमल गुसाईवाल व घासीराम
11. जलूस समिति - किशन कुरडिया
12. बैज बेनर समिति - प्रभुलाल मोर्य
13. नगर सजावट समिति - बिहारी लाल जागृत, कल्याण दास, जीवन मोर्य
रैगर मसाज के सभी व्यक्ति जयपुर के सड़को व चौराहे पर रैगर जाति के बेनर व झंडे और महासमँमेलन के पोस्टर लगा रहे थे। जयपुर एक दुल्हिन की तरह सजा दिया गया था। पूरे भारत देश से रैगर जाति के लोग जयपुर पहँच रहे थे। चांद पोल, घाटगेट, और रैगर बस्तियों में समाज के लोगो की आव भगत हो रही थी सभी के लिये खाने व ठहरने की व्यवस्था रैगर समाज के लोग कर रहे थे। यह महासम्मेलन रैगर समाज की एकता का प्रतीक बन गया था।
यह महा सम्मेलन जयपुर के रामनिवास बाग में रखा गया था जो खचाखच भरा होने के कारण लोग इस महासम्मेलन को देखने के लिये चौड़ा रास्तों पर खड़े होकर उल्लासपूर्वक इस ऐतिहासिग महासम्मेलन के ग्वाह बन रहे थे। भारत की प्रधानमंत्री श्रीमति गांधी का मंच पर आगमन हुआ। चारों और से तालियां ही तालियां बजने लगी तथा इंदिरा गांधी अमर रहे, भारत माता की जय , रैगर जाति अमर रहे, गंगा माई की जय के नारों से सारा आकाश गुंजायमान हो गया। मानो साक्षात रैदास जी आकाश से रैगर समाज को आशीर्वाद दे रहे हो।
इस महासम्मेलन में शिवचरण माथुर तत्कालीन मुख्यमंत्री राजस्थान मुख्य अतिथि थे। धर्मदास शास्त्री ने अपने भाषण में रैगर छात्रावास के लिये मुक्त जमीन की मांग रखी जो मुख्ममंत्री माथुर ने मान ली और पूरे समाज में हर्ष की लहर दोड़ पडी।
श्रीमति इन्दिरा गांधी का सम्बोधन एक अभूतपूर्व और ऐतिहासिक था। अपने भाषण में गांधी ने रैगर समाज को आहृवान किया कि वह उच्च शिक्षा प्राप्त करे तथा उन्नति की राह में आगे बढ़े। उन्होने विश्वास दिलवाया कि वह रैगर समाज के विकास में कोई कसर नही छोडेगी तथा रैगर समाज के हर सुख दुःख मे साथ रहेगी।
इस महासम्मेलन में दो दिनो तक राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक तथा सामाजिक चिंतन किया गया। इस प्रकार यह महासम्मेलन धर्मदास शास्त्री व उन्के सहयोगियो की देने थी।
इस महासम्मेलन के 16 दिन बाद ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई जिससे ध्रमदास शास्त्री जी की भी राजनीतिक रुप से गिरावट हो गई थी क्योकि शास्त्री इंदिरा गांधी के लेफ्टहेड कहलाये जाते थे।
दुःख इस बात का हे कि शास्त्री जी भीइस महासम्मेलन के बाद इस संसार में ज्यादा समय जीवित नही रहें। हमारे रैगर समाज का लाड़ला सदा के लिये रैगर समाज को अनाथ व असहाय बना कर इस दुनिया से सदैव के लिये चला गया।
1984 का महासम्मेलन रैगर जाति में अव्दितीय व अमर रहेगा।
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मैं भी इस महासम्मेलन में एक चार बर्षीय अबोध बालक के रूप में देखने का सोभाग्य प्राप्त हुआ था। इसके लिये मेरे परिवार का आभार वःयक्त करता हूँ और उस रैगर समाज का जिसमे मेरा जन्म हुआ।
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एडवोकेट कमल बालोटिया भट्ट
गांव काबरा मगरा क्षेत्र
जमालपुरा ब्यावर जिला अजमेर राज.