रैगर समाज की गौरवगाथा बहुत लम्बी है । हमारे समाज में अनेकों मनिषियों का जन्म हुआ जिन्होंने हमारे समाज के गौरव को चार चाँद लगाए और समाज को गौरवान्वित किया है । उनकी यशो गाथाऐं सदा-सदा के लिए अमर रहती है, अतीत के सुनहरे कल को आज जिन्होने प्रेरणा स्त्रोत के रूप में दिखाया, ऐसी महानआत्माओं को हम कोटी-कोटी प्रणाम करते है जिनके सदकर्मों से समाज गोरवान्वित हुआ है । ऐसे हमारे समाज के महात्माओं ने हमारी आने वाली पीढ़ि के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा स्त्रोत बनकर समाज को और गौरवशाली बनाते हुए एक आदर्श व अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है । हमारे समाज में अनेको ऐसी विभुतियों हुई है जिन्होंने समाज के साथ-साथ देश के लिए भी अपना बलिदान दिया है । हमारे समाज के बन्धुओं ने ऐतिहासीक कार्य किए जिन्हें आज मिसाल के तोर पर देखा जाता है । हमारे समाज में समाज सुधारक ऐसे कई संत महात्मा हुए है उनमें अनुभव के आलोक, आदर्श जीवन की प्रतिभा धर्मगुरू स्वामी ज्ञानस्वरूपजी महाराज और आदर्श प्रतिभा के धनी त्यागमूर्ति स्वामी आत्मारामजी लक्ष्य ने अपना पूरा जीवन सम्पर्पित कर दिया । रैगर समाज का नाम रोशन किया है जो समाज के लिए गर्व की बात हैं । ऐसी हमारे समाज की महान आत्माओं एवं महात्माओं ने हमारी आने वाली पीढ़ि के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा स्त्रोत बनकर समाज को और गौरवशाली बनाते हुए एक आदर्श व अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है ।
ईश-वन्दना
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाएं ।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जाएं ।।
हम दीन दु:खी निबलों विकलों, के सेवक बन सन्ताप हरें ।
जो हैं अटके भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जाएं ।।
छल दम्भ द्वेष पाखंड झूँठ, अन्याय से निशि-दिन दूर रहें ।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम सुधा रस बरसाएं ।।
निज आन मान मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे ।
जिस देश जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जाएं ।।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जाएं ।।
हम दीन दु:खी निबलों विकलों, के सेवक बन सन्ताप हरें ।
जो हैं अटके भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जाएं ।।
छल दम्भ द्वेष पाखंड झूँठ, अन्याय से निशि-दिन दूर रहें ।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम सुधा रस बरसाएं ।।
निज आन मान मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे ।
जिस देश जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जाएं ।।