इस महासम्मेलन का अयोजन 6, 7 अक्टूबर, 1984 को जयपुर में बुलाना निश्चित हुआ । इस महासम्मेनल का महत्व रैगर समाज के लिए बहुत अधिक था क्योंकि 20 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद इस महासम्मेलन का आयोजन होने जा रहा था । रैगर समाज की गरिमा को चार चाँद लगाने के लिए श्री धर्मदास शास्त्री संसद सदस्य के विशेष प्रयास से भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने इस सम्मेलन को सम्बोधित करने के लिए जयपुर पधारी । भारत के कौने-कौने से रैगर बन्धु हजारों की संख्या में इस सम्मेलन में उपस्थित हुए । महासभा के प्रधान श्री छोगालाल कंवरिया भू.पू. चिकित्सा मंत्री (राजस्थान) की अध्यक्षता में 6 अक्टूम्बर, 1984 को विश्व नेता भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने रामनिवास बाग, मेडीकल कॉलेज ग्राउण्ड में इस विशाल सम्मेलन को सम्बोधित किया तथा अपने भाषण में देश की आजादी के लिए रैगर समाज के द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की । रैगर समाज कभी भी इन्दिरा गाँधी की इस उदारता को नहीं भूला पायेगा । इसमें श्री शिवचरण माथुर, मुख्यमंत्री राजस्थान मुख्य अतिथि थे । उन्होंने रैगर समाज के उत्थान के लिए यथा सम्भव सहायता प्रदान करने का वचन दिया । इस महासम्मेलन में राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवम् सामाजिक समस्याओं पर विचार किया गया । यह सम्मेलन एक अभूतपूर्व और सफल सम्मेलन था । इस सम्मेलन के पदाधिकारी इस प्रकार थे-
स्वागताध्यक्ष | श्री धर्मदास शास्त्री, संसद सदस्य |
अध्यक्ष | श्री छोगालाल कंवरिया, भू.पू. चिकित्सा मंत्री (राज) |
महामंत्री | श्री भगवान दास खोरवाल |
श्री देवेन्द्र कुमार चान्दोलिया | |
श्री सुआ लाल तंवर | |
श्री रामचन्द्र धूड़िया | |
प्रचार मंत्री | श्री सर्यमल मौर्य, भू.पू. विधायक (राजस्थान) |
उपाध्यक्ष | श्री खुशहाल चन्द मोहनपुरिया |
श्री चम्पालाल आर्य, विधायक (मध्यप्रदेश) | |
श्री हजारीलाल बाकोलिया, भू.पू. विधायक (राजस्थान) | |
श्री मेघाराम बोकोलिया | |
श्री गोपीलाल सालोदिया | |
श्री मोतीराम बालोदिया | |
श्री पूरनचन्द धोलखेड़िया | |
कोषाध्यक्ष | श्री हरदीन लाला कोमल |
एवंम् निम्नलिखित प्रमुख नेताओं एवं बुद्धिजीवियों सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा विशाल जन समूह की उपस्थिति में राजनैतिक, आर्थिक, क्षेक्षिणिक एवं सामाजिक समस्याओं पर विचार किया गया ।
1. बिरदाराम फलवाड़िया, संसद सदस्य, राजस्थान
2. छोगालाल बोकोलिया, ऊर्जा उपमंत्री, राजस्थान
3. धाराराम फलवाड़िया, विधायक, राजस्थान
4. चुन्नीराम जैलिया
5. श्रीमती सुन्दरदेवी नवल प्रभाकर, सदस्य, दिल्ली महानगर परिष्द
6. श्री मोतीलाल बोकोलिया, सदस्य, दिल्ली महानगर परिषद
7. श्री भोरेलाल शास्त्री, सदस्य दिल्ली महानगर परिषद
चतुर्थ अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन के कार्य संचालन हेतु गठित की गई समितियाँ एवम् उनके संयोजक निम्नानुसार थे-
समन्वय | श्री छोगाराम बाकोलिया |
श्री रामचन्द्र गोस्वामी | |
महिला संगठन | श्रीमती सुन्दरवती नवल प्रभाकर |
धन संग्रह | श्री चिरंजीलाल बाकोलिया |
श्री भागीरथ धोलखेड़िया | |
विषय प्रस्ताव | श्री खुशहालचन्द मोहनपुरिया |
कार्यगति | श्री मोतीलाल बाकोलिया |
मंच | श्री भौंरीलाल शास्त्री |
स्मारिका | श्री राजेन्द्र प्रसाद गाडेगांवलिया |
पंडाल | श्री लक्ष्मीनारायण खोरवाल |
श्री किशनलाल जाटोलिया | |
आवास | श्री उमरावमल गुसाईवाल |
श्री घासीराम पीपलीवाल | |
भोजन | श्री जगदीश कुमार हिंगोनिया |
जलूस | श्री किशनलाल कुरड़िया |
जल समिति | श्री भौंरेलाल सिंद्धान्त शास्त्री |
यातायात | श्री छीतरमल मौर्य |
सेवादल | श्री चन्दनसिंह चान्दोलिया |
बैज बैनर | श्री प्रभुदयाल मौर्य |
नगर सजावट | श्री कल्याणदास पीपलीवाल |
श्री जीवनदास मौर्य | |
प्रेस प्रसारण | श्री बिहारीलाल जागृत |
युवा संगठन | श्री कालूराम आर्य |
इस महासम्मेलन में लगभग 12 लाख रैगर बंधुओं ने भाग लिया और अनेक प्रस्ताव पारित किये गए जिनमें मुख्य प्रस्ताव इस प्रकार थे-
1. राष्ट्रीय एकता और अखण्डता में सरकार का समर्थन देना ।
2. श्रीमती इन्दिरा गांधी की उपस्थिति में श्री शिवचरण माथुर द्वारा चमड़ा उद्योग विकसित करने के आश्वासन पर एक चमड़ा उद्योग स्थापित करने का प्रस्ताव ।
3. बाल विवाह का विरोध करना ।
4. दहेज प्रथा पर रोक लगाना ।
5. महिलाओं की शिक्षा पर जोर देना ।
श्री धर्मदास शास्त्री ने अपने भाषण में रैगर समाज द्वारा सरकार को पूरा समर्थन तथा इसकी अखण्डता के लिए हमेशा तत्पर रहने का आश्वासन दिया । जनसमूह ने श्री धर्मदास शास्त्री को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय रैगर महासभा का अध्यक्ष मनोनित किया । इस महासम्मेलन के मुख्य उद्देश्य रैगर समाज को देश भक्ति की प्रेरणा देना, शिक्षा को तीव्र गति से समाज के पिछड़े भाग में विकसीत करना, रीति-रिवाजों तथा दहेज आदि पर व्यय न करना, बाल विवाह प्रथा पर रोक लगाना और विध्वा विवाह को प्रोत्साहन देना आदि रहे हैं । कुल मिलाकर यह सम्मेलन भी पूर्णत: सफल रहा व यह सम्मेलन रैगर जाति का एक ऐतिहासिक सम्मेलन था ।