.................................रैगर.समाज के लोगों को मजबूत बनाने के लिये निम्नलिखित कार्य करता है
1 - समाज के हित में व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा कौशल विकास के कार्यक्रम को करना
2 - समाज के लोगों को आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के बारे में सरलतम तरीके से व्यवहारिक जानकारी देना
3 - ऐसे कार्यकलापों का संचालन करना, जिनका लक्ष्य समाज के लोगों का आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास का संरक्षण सुनिश्चित करना हो
4 - सरकारी, अर्ध सरकारी एवं निजी क्षेत्र में आरक्षण एवं समान भागीदारी को सुनिश्चित करवाना
5 - अध्ययन और अनुसंधान के द्वारा और अंतर्निहित एकता के आधार पर विभिन्न संक्रतियो संस्कृतियों के माध्यम से एक दूसरे के साथ अधिकतम मधुर सम्बन्धों की स्थापना को सुनिश्चित करना
6 - किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों की दोस्ती और स्नेह को प्रगाढ़ करने के लिए, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं और क्षेत्रों में रुचि लेना, अध्ययन, शोध, अन्वेषण, सर्वेक्षण के जरिए उनके कल्याण के लिए उनकी समस्या ओं के निराकरण ढूंढने में उनकी हर सम्भव मदद और सहयोग करना
7 - समाज के हितार्थ अर्थव्यवस्था, संस्कृति और व्यवहारिक अनुभवों के अकादमिक अध्ययन और अनुसंधान के बीच चर्चा, संवाद अध्ययन और शोधकार्य शुरू करवाना
8- समाज के लोगों के मध्य मित्रवत व्यवहार को प्रोत्साहित करने के साथ उनमें भाई चारे एवं सहयोग स्थापित करना
9- समाज के लोगों के कार्यशैली एवं जीवनशैली में सुधार के साथ साथ उनके सामाजिक स्तर को राष्ट्र तथा समाज के बीच ऊंचा उठाने हेतु जो भी जरूरी हो कार्य करना
10 - रैगर समाज के लोगों से सम्बंधित भारत सरकार और राज्य सरकारों की सामाजिक न्याय, लोक कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों नीतियों का प्रचार प्रसार करना और रैगर समाज के लोगों को उन योजनाओं से अवगत कराना जोकि उनके लाभ व उत्थान के लिए बनाई गई है
11 - लोकतंत्र, समाजवाद, सामाजिकन्याय, समानता और शिक्षा आदि का ज्ञान रैगर समाज के लोगों को देना और लगातार व्यक्तिगत सम्पर्क द्वारा इन सबके प्रति भरोसा बनाएं रखने के लिए प्रेरित करना
12 - रैगर समाज के लोगों को प्रेरित कर रैगर समाज के विकलांग व कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से पीड़ितों की मदद और सेवा करने को आगे आये साथ ही विकलांग, गूगे व नेत्रहीनों को स्वावलंबी बनाने के लिए कार्य करना
13 - अंगदान, नेत्रदान, रक्तदान के लिए प्रेरित करना और नेत्रहीन सहायता कोष स्थापित करके निःसहायो के नेत्र बनवाने के लिए कार्य करना तथा अंधों को घुघरुदार लाठियां उपलब्ध करवाना
14 - तूफान, भूकम्प या प्राकृतिक आपदा, या महामारी आदि से पीड़ित रैगर समाज के लोगों का संगठन के माध्यम से हर संभव मदद करना
15 - रैगर समाज के लोगों को के समग्र विकास चरित्र निर्माण के लिए और वांछित शिक्षा प्राप्त करने हेतु बालवाटिका, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि की स्थापना करना व करवाना
16 - रैगर समाज के लोगों को प्रफुल्लित और स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए योग्य स्वास्थ्य रक्षक टीम तैयार करना, अस्पताल खोलना और उनका संचालन करना जिनके माध्यम से विशेष रूप से निर्धन और जरूरतमंद बच्चों व गर्भवती महिलाओं को हानिरहित दवा, पौष्टिक भोजन, मौसम के अनुकूल वस्त्रों आदि उपलब्ध करवाना
17 - आपदा या महामारी से प्रभावित समाज के लोगों को भोजन, वस्त्र, औषधि आदि से तत्काल सहायता करना और विपत्ति से ग्रस्त हुए व्यक्तियों को अपेक्षित स्नेह, सहयोग और देखरेख दिलवाना
18 - रैगर समाज के हित में बिभिन्न विषयों के राज्य क्षेत्र, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त और योग्य विशेषज्ञों को आमन्त्रित करके सेमिनार, वाद-विवाद, व्याख्यान, सम्मेलन, परिचर्चा, सामुहिक विवाह, वर वधू जान पहचान आदि का आयोजन व नियमित संचालन करके उनके रहन सहन व विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बौद्धिक गतिविधियों को बढ़ावा देना
19 - रैगर समाज के हित में समय समय पर विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाना
20 - रैगर समाज के लोगों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने के लिए विशेष उपाय करना, जिसमें दुर्घटना, बिमारी, वृद्धावस्था आदि में जरूरी सहायता, बीमा और संरक्षण एवं रोजगार / स्वरोजगार, पुनर्वास जैसे विषय भी शामिल हैं
21 - रैगर समाज के हित में समय समय पर विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करना
22 - रैगर समाज के लोगों के स्वास्थ्य, खेलकूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक उत्थान के लिए जरूरी कार्य करना
23 - रैगर समाज के हित में व्यावसायिक पत्र, पत्रिका, किताब, न्यूज चैनल केंद्र, न्यूज़ एजेंसी, रेडियो आदि का प्रकाशन, प्रसारण, संचालन करना व समाज के लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन के माध्यम से सहयोग देना जिनका वास्तव में इस संगठन के लक्ष्य एवं उद्देश्यों की अभिवृद्धि की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो
24 - रैगर समाज की एकता एवं भाषाई सौहार्द के उद्देश्य से अन्तर भाषायी सम्मेलनों, शिविरों का आयोजन करवाने और सदस्यों के हितों में पुस्तकालयों, शिक्षालयो, वाचनालयो, स्वास्थ्यालयो आदि का निर्माण करवाना
25 - रोजगार परक कार्यक्रमों का आयोजन जिसमें कंम्प्यूटर, हिन्दी आशुलिपी, टंकण, प्रशिक्षण आदि भी शामिल हैं
26 - संगठन के उद्देश्यों की आभिवृद्धी करने वाली उत्कृष्ट प्रदर्शन व कृतियों के प्रकाशन के लिए सदस्य लेखकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना जो किसी कारण से स्वंय अपनी कृतियों के प्रकाशन की व्यवस्था न कर सकते हो
27 - रैगर समाज के लोगों के साथ भेद भाव, अन्याय, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न अस्पृश्यता आदि की स्थिति में होने वाली घटनाएं घटने पर इस संगठन के द्वारा या इस संगठन के मार्ग दर्शन में सिविल, आपराधिक मुकदमे, शिकायत कायम करके या करवा करके यथा समय उचित कठोर कार्रवाई करवाना और पदाधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर पारंगत करना
28- योग्य व्यक्तियों को रैगर महासंभा में पदांकित, पंजीकृत, मनोनीत, नियोजित, संगठित करना और संगठन के निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सदस्यता प्रदान करना और सदस्यों व पदाधिकारियों को सदस्यता व नियुक्ति के पत्र, प्रमाण पत्र, परिचयपत्र, पुरस्कार, सम्मान - पत्र आदि प्रदान करना
29 - रैगर समाज के लोगों के हितों एवं सदस्यों को उनके आपसी विचारों, अनुभवों, ज्ञान आदि से लाभान्वित करवाने के लिए सभाओं, सम्मेलनों, कैम्पो, सेमिनारों, कार्यशालाओं, विचारशालाओं, प्रशिक्षणशालाओं आदि का आयोजन करना तथा इस संगठन द्वारा या इस संगठन के अनुरूप जैसे भी सम्भव हो पत्र पत्रिकाओं, पुस्तकें आदि का प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन, मंचन आदि करना
30 - इस संगठन के सदस्यों को जनसंख्या वृद्धि, अशिक्षा, बालविवाह, बेमेलविवाह, दहेज, सट्टा, जुआ, मद्यपान, अंधविश्वास, अमानवी यव्यवहार, धूम्रपान आदि सामाजिक बुराइयों के दुष्परिणामों आदि से अवगत करवा कर, यदुवंशीय समाज को इन सब बुराइयों से मुक्त कर सत्यनिष्ठ, विज्ञान सम्मत, तर्क सम्मत और प्रगतिशील जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना तथा अपनी अपनी मौलिक पहचान को कायम रखते हुए सभ्य मानव समाज की स्थापना करना
31 -रैगर समाज को सक्षम बनाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाकर उनके लिए स्थायी, अस्थायी, स्वरोजगार और व्यापार हेतु लघु उद्योग इकाईयों की स्थापना करना व उनको जरूरी ज्ञान, प्रशिक्षण एवं अनुदान या लोन प्रदान करना
32 - रैगरसमाज के हितार्थ उद्देश्यों के लिए कार्यरत, संचालित अन्य यदुवंशीय समाज के संगठनों के साथ सह-सम्बन्ध और समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय स्तर पर रैगर समाज के हित में संरक्षण एवं उत्थान के लिए नीतियां बनाना और या एक महासंघ की स्थापना करना
33 - रैगर समाज के समाज सुधारक सेनानी एवं कार्यकारी, महान पूर्वजों, वर्तमान या पूर्व समाज सुधारको, प्रेरणा स्रोतों आदि के सामाजिक योगदान या उनके साहित्य या संघर्ष या कार्यो के बारे में रैगर समाज के लोगों को विभिन्न माध्यमों से जानकारी देना साथ ही उनके नाम से विभिन्न स्तरों पर, विभिन्न प्रकार के सम्मान, पुरस्कार और प्रशस्तिपत्र या प्रतियोगिता आदि स्थापित या प्रारंभ कर योग्य व पात्र लोगों को पुरस्कृत करना
34 - रैगर समाज के लोगों के शैक्षणिक विकास के लिए जगह जगह पर विशेष कर दूरदराज के पिछड़े क्षेत्रों में छात्र छात्राओं के लिए अलग अलग निशुल्क आवासीय सरकारी, पब्लिक, कान्वेंट स्कूल और तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रो की स्थापना करने व करवाने के लिए समुचित कार्य वाही करना
35 - रैगर समाज के लोगों के उत्थान के लिए उक्त वर्णित एवं भविष्य में निर्धारित किये जाने या जासकने वाले इस संगठन के सभी उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सरकारी, अर्धसरकारी, निजी आदि देशी विदेशी निकायों, उपक्रमों, सरकार, दानदाताओं, संस्थानों, आम लोगों आदि से चन्दा, सहयोग, शुल्क, आदि के रूप में धनादि प्राप्त करना
2 - समाज के लोगों को आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के बारे में सरलतम तरीके से व्यवहारिक जानकारी देना
3 - ऐसे कार्यकलापों का संचालन करना, जिनका लक्ष्य समाज के लोगों का आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास का संरक्षण सुनिश्चित करना हो
4 - सरकारी, अर्ध सरकारी एवं निजी क्षेत्र में आरक्षण एवं समान भागीदारी को सुनिश्चित करवाना
5 - अध्ययन और अनुसंधान के द्वारा और अंतर्निहित एकता के आधार पर विभिन्न संक्रतियो संस्कृतियों के माध्यम से एक दूसरे के साथ अधिकतम मधुर सम्बन्धों की स्थापना को सुनिश्चित करना
6 - किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों की दोस्ती और स्नेह को प्रगाढ़ करने के लिए, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं और क्षेत्रों में रुचि लेना, अध्ययन, शोध, अन्वेषण, सर्वेक्षण के जरिए उनके कल्याण के लिए उनकी समस्या ओं के निराकरण ढूंढने में उनकी हर सम्भव मदद और सहयोग करना
7 - समाज के हितार्थ अर्थव्यवस्था, संस्कृति और व्यवहारिक अनुभवों के अकादमिक अध्ययन और अनुसंधान के बीच चर्चा, संवाद अध्ययन और शोधकार्य शुरू करवाना
8- समाज के लोगों के मध्य मित्रवत व्यवहार को प्रोत्साहित करने के साथ उनमें भाई चारे एवं सहयोग स्थापित करना
9- समाज के लोगों के कार्यशैली एवं जीवनशैली में सुधार के साथ साथ उनके सामाजिक स्तर को राष्ट्र तथा समाज के बीच ऊंचा उठाने हेतु जो भी जरूरी हो कार्य करना
10 - रैगर समाज के लोगों से सम्बंधित भारत सरकार और राज्य सरकारों की सामाजिक न्याय, लोक कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों नीतियों का प्रचार प्रसार करना और रैगर समाज के लोगों को उन योजनाओं से अवगत कराना जोकि उनके लाभ व उत्थान के लिए बनाई गई है
11 - लोकतंत्र, समाजवाद, सामाजिकन्याय, समानता और शिक्षा आदि का ज्ञान रैगर समाज के लोगों को देना और लगातार व्यक्तिगत सम्पर्क द्वारा इन सबके प्रति भरोसा बनाएं रखने के लिए प्रेरित करना
12 - रैगर समाज के लोगों को प्रेरित कर रैगर समाज के विकलांग व कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से पीड़ितों की मदद और सेवा करने को आगे आये साथ ही विकलांग, गूगे व नेत्रहीनों को स्वावलंबी बनाने के लिए कार्य करना
13 - अंगदान, नेत्रदान, रक्तदान के लिए प्रेरित करना और नेत्रहीन सहायता कोष स्थापित करके निःसहायो के नेत्र बनवाने के लिए कार्य करना तथा अंधों को घुघरुदार लाठियां उपलब्ध करवाना
14 - तूफान, भूकम्प या प्राकृतिक आपदा, या महामारी आदि से पीड़ित रैगर समाज के लोगों का संगठन के माध्यम से हर संभव मदद करना
15 - रैगर समाज के लोगों को के समग्र विकास चरित्र निर्माण के लिए और वांछित शिक्षा प्राप्त करने हेतु बालवाटिका, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि की स्थापना करना व करवाना
16 - रैगर समाज के लोगों को प्रफुल्लित और स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए योग्य स्वास्थ्य रक्षक टीम तैयार करना, अस्पताल खोलना और उनका संचालन करना जिनके माध्यम से विशेष रूप से निर्धन और जरूरतमंद बच्चों व गर्भवती महिलाओं को हानिरहित दवा, पौष्टिक भोजन, मौसम के अनुकूल वस्त्रों आदि उपलब्ध करवाना
17 - आपदा या महामारी से प्रभावित समाज के लोगों को भोजन, वस्त्र, औषधि आदि से तत्काल सहायता करना और विपत्ति से ग्रस्त हुए व्यक्तियों को अपेक्षित स्नेह, सहयोग और देखरेख दिलवाना
18 - रैगर समाज के हित में बिभिन्न विषयों के राज्य क्षेत्र, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त और योग्य विशेषज्ञों को आमन्त्रित करके सेमिनार, वाद-विवाद, व्याख्यान, सम्मेलन, परिचर्चा, सामुहिक विवाह, वर वधू जान पहचान आदि का आयोजन व नियमित संचालन करके उनके रहन सहन व विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बौद्धिक गतिविधियों को बढ़ावा देना
19 - रैगर समाज के हित में समय समय पर विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाना
20 - रैगर समाज के लोगों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने के लिए विशेष उपाय करना, जिसमें दुर्घटना, बिमारी, वृद्धावस्था आदि में जरूरी सहायता, बीमा और संरक्षण एवं रोजगार / स्वरोजगार, पुनर्वास जैसे विषय भी शामिल हैं
21 - रैगर समाज के हित में समय समय पर विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करना
22 - रैगर समाज के लोगों के स्वास्थ्य, खेलकूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक उत्थान के लिए जरूरी कार्य करना
23 - रैगर समाज के हित में व्यावसायिक पत्र, पत्रिका, किताब, न्यूज चैनल केंद्र, न्यूज़ एजेंसी, रेडियो आदि का प्रकाशन, प्रसारण, संचालन करना व समाज के लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन के माध्यम से सहयोग देना जिनका वास्तव में इस संगठन के लक्ष्य एवं उद्देश्यों की अभिवृद्धि की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो
24 - रैगर समाज की एकता एवं भाषाई सौहार्द के उद्देश्य से अन्तर भाषायी सम्मेलनों, शिविरों का आयोजन करवाने और सदस्यों के हितों में पुस्तकालयों, शिक्षालयो, वाचनालयो, स्वास्थ्यालयो आदि का निर्माण करवाना
25 - रोजगार परक कार्यक्रमों का आयोजन जिसमें कंम्प्यूटर, हिन्दी आशुलिपी, टंकण, प्रशिक्षण आदि भी शामिल हैं
26 - संगठन के उद्देश्यों की आभिवृद्धी करने वाली उत्कृष्ट प्रदर्शन व कृतियों के प्रकाशन के लिए सदस्य लेखकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना जो किसी कारण से स्वंय अपनी कृतियों के प्रकाशन की व्यवस्था न कर सकते हो
27 - रैगर समाज के लोगों के साथ भेद भाव, अन्याय, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न अस्पृश्यता आदि की स्थिति में होने वाली घटनाएं घटने पर इस संगठन के द्वारा या इस संगठन के मार्ग दर्शन में सिविल, आपराधिक मुकदमे, शिकायत कायम करके या करवा करके यथा समय उचित कठोर कार्रवाई करवाना और पदाधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर पारंगत करना
28- योग्य व्यक्तियों को रैगर महासंभा में पदांकित, पंजीकृत, मनोनीत, नियोजित, संगठित करना और संगठन के निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सदस्यता प्रदान करना और सदस्यों व पदाधिकारियों को सदस्यता व नियुक्ति के पत्र, प्रमाण पत्र, परिचयपत्र, पुरस्कार, सम्मान - पत्र आदि प्रदान करना
29 - रैगर समाज के लोगों के हितों एवं सदस्यों को उनके आपसी विचारों, अनुभवों, ज्ञान आदि से लाभान्वित करवाने के लिए सभाओं, सम्मेलनों, कैम्पो, सेमिनारों, कार्यशालाओं, विचारशालाओं, प्रशिक्षणशालाओं आदि का आयोजन करना तथा इस संगठन द्वारा या इस संगठन के अनुरूप जैसे भी सम्भव हो पत्र पत्रिकाओं, पुस्तकें आदि का प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन, मंचन आदि करना
30 - इस संगठन के सदस्यों को जनसंख्या वृद्धि, अशिक्षा, बालविवाह, बेमेलविवाह, दहेज, सट्टा, जुआ, मद्यपान, अंधविश्वास, अमानवी यव्यवहार, धूम्रपान आदि सामाजिक बुराइयों के दुष्परिणामों आदि से अवगत करवा कर, यदुवंशीय समाज को इन सब बुराइयों से मुक्त कर सत्यनिष्ठ, विज्ञान सम्मत, तर्क सम्मत और प्रगतिशील जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना तथा अपनी अपनी मौलिक पहचान को कायम रखते हुए सभ्य मानव समाज की स्थापना करना
31 -रैगर समाज को सक्षम बनाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाकर उनके लिए स्थायी, अस्थायी, स्वरोजगार और व्यापार हेतु लघु उद्योग इकाईयों की स्थापना करना व उनको जरूरी ज्ञान, प्रशिक्षण एवं अनुदान या लोन प्रदान करना
32 - रैगरसमाज के हितार्थ उद्देश्यों के लिए कार्यरत, संचालित अन्य यदुवंशीय समाज के संगठनों के साथ सह-सम्बन्ध और समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय स्तर पर रैगर समाज के हित में संरक्षण एवं उत्थान के लिए नीतियां बनाना और या एक महासंघ की स्थापना करना
33 - रैगर समाज के समाज सुधारक सेनानी एवं कार्यकारी, महान पूर्वजों, वर्तमान या पूर्व समाज सुधारको, प्रेरणा स्रोतों आदि के सामाजिक योगदान या उनके साहित्य या संघर्ष या कार्यो के बारे में रैगर समाज के लोगों को विभिन्न माध्यमों से जानकारी देना साथ ही उनके नाम से विभिन्न स्तरों पर, विभिन्न प्रकार के सम्मान, पुरस्कार और प्रशस्तिपत्र या प्रतियोगिता आदि स्थापित या प्रारंभ कर योग्य व पात्र लोगों को पुरस्कृत करना
34 - रैगर समाज के लोगों के शैक्षणिक विकास के लिए जगह जगह पर विशेष कर दूरदराज के पिछड़े क्षेत्रों में छात्र छात्राओं के लिए अलग अलग निशुल्क आवासीय सरकारी, पब्लिक, कान्वेंट स्कूल और तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रो की स्थापना करने व करवाने के लिए समुचित कार्य वाही करना
35 - रैगर समाज के लोगों के उत्थान के लिए उक्त वर्णित एवं भविष्य में निर्धारित किये जाने या जासकने वाले इस संगठन के सभी उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सरकारी, अर्धसरकारी, निजी आदि देशी विदेशी निकायों, उपक्रमों, सरकार, दानदाताओं, संस्थानों, आम लोगों आदि से चन्दा, सहयोग, शुल्क, आदि के रूप में धनादि प्राप्त करना
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