Tuesday, November 8, 2016

इस दुनिया में सारे दुखों की जड लोभ है।

इस दुनिया में सारे दुखों की जड लोभ है। लोभी व्यक्ति में सोचने- समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। वह लोभ के वशीभूत होकर अच्छा- बुरा कुछ भी जाने बगैर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है यानि कि कुछ भी रे लेता है चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो। 
आचार्यश्री ने कहा कि संासार का प्रत्येक प्राणी जितना भी परिग्रह का संग्रह करता है वह परिग्रह के रूप में दुख को आमंत्रित करता है। जितना अधिक परिग्रह होगा उतनी ही ज्यादा उसकी सुरक्षा की चिन्ता रहेगी। मक्खी को अच्छे- बुरे पदार्थ का ज्ञान नहीं होता, उसी प्रकार लोभी व्यक्ति को भी अच्छे बुरे पदार्थ का ज्ञान नहीं रहता। उसे सिर्फ धन- दौलत का लोभ ही दिखता है उसमें वह धर्म- अधर्म को भी भूल जाता है। बुरे कार्य करके वह धन तो कमा लेता है लेकिन बुरे का परिणाम जब बुरे के रूप में ही सामने आता है तब वह स्वयं तो दुखी होता ही है साथ ही उसके सारे परिवार पर भी दुखों का पहाड टूट जाता है। गलती एक व्यक्ति करता है लेकिन उसकी सजा सारे परिवार को भुगतनी पडती है। इसलिए दुनिया में अगर सुखमयी जीवन यापन करना है तो लोभ को छोडना होगा और जितना है उसमें ही सन्तोष करके उसे भगवान का प्रसाद मान कर शांति से जीना सीखना होगा इसी में स्वयं और परिवार का कल्याण है।
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रामदेवरा में रामकथा का आयोजन बाबा रामदेव की चौखट पर रखा पहला कदम रामकथा को नाम दिया - मानस रामदेव पीर

रामदेवरा बाबा रामदेव मानस के आधार है। उन्होने हमेशा जनमानस में आपसी सामंजस्य और सेतु का संदेश दिया है इसलिए बाबा को पीर कहा गया है। रामा पीर को कृष्ण का अवतार भी माना गया है। यह विचार मुरारी बापू ने संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा के प्रथम दिन जन समुदाय को व्यास पीठ से संबोधित करते हुए कहें।
शनिवार को रामापीर की नगरी रामदेवरा प्रवेश द्वार के निकट स्थित जाट धर्मशाला के ग्राउण्ड में हजारों की संख्या में मौजूद जन समुदाय को व्यास पीठ से संबोधित किया। 


नौ दिवसीय रामकथा के तहत प्रथम दिन बापू चार बजें व्यासपीठ पर पहुंचे। कथा को तथा अपने गुरू को नमन किया तथा जनमानस का अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि रामदेवरा की पावन स्थली, वीरों एवं धीरों की धरती पर कथा करने का मौका मिला है। यह राम कथा आध्यात्मिक एवं प्रेम यज्ञ है। 
राजस्थान धीर, वीर और पीर की भूमि है
मुरारी बापू ने कहा कि राजस्थान धीर, वीर और पीर की पावन धरती है। छोटे बडे चमत्कार तो विज्ञान भी कर रहा है लेकिन यहां जो ज्योति अवतरित हुई और उसने जो अस्पृ६ता को खत्म किया, वो चमत्कार आज पूजनीय बन गये है। बापू ने प्रथम दिन वि६व दशर्न से लेकर रामदेवरा दशर्न तक पीर को परिभाषित किया। बापू ने कहा कि रामचरित मानस में राम और देव शब्द कई बार आये है और पीर शब्द 18 बार आया है। इसी को ध्यान में रखते हुए बापू ने इस रामकथा का नाम मानस रामदेव पीर दिया। उन्होने कहा कि सार्वभौम की चर्चा पीर शब्द है। जो हमें डूबोंये नही बल्कि तारे, जो नख शीख से पवित्र् व्यक्ति हो, उसे और साधू संत को भी पीर कहते है। उन्होने कहा कि आठो प्रहर उत्सव में रहने वाले, क्षमा करने वाले, निरन्तर सत्य के पथ पर चलने वाले तथा प्रत्येक व्यक्ति को मौहब्बत करने वाले को भी पीर की संज्ञा दी गई है। अच्छे मार्ग पर ले जाकर मार्गदशर्क करने वाले को पीर कहते है। बापू ने पाण्डाल में मौजूद भारतीय सेना के जवानों को इंगित करते हुए कहा कि ये नौजवान जो सब कुछ न्यौछावर करने को हर समय तैयार रहते है ये भी मेरे लिए पीर है। उन्होने कहा कि पीर की कोई गणवेश नही होती है और पीर का अर्थ संवेदना होता है। अखण्ड संयम का प्रतीक पीर होता है। 
पृथ्वी पर जो भी है वह तीर्थ समान है
बापू ने मानस रामदेव पीर पर चर्चा करते हुए कहा कि मेरे मानस में रामदेव पीर कौन है और मेरे हद्य में रामदेव पीर कौन है इन्ही पर चर्चा की जायेगी। बापू ने कहा कि पृथ्वी को शास्त्र् में गौ कहा गया है और गाय को तीर्थ कहते है और पृथ्वी पर जो भी है वह तीर्थ है क्योंकि पृथ्वी के कई ऐसे स्थानों एवं समुद्र की गहराई में जाना मु६कल होता है। पृथ्वी पर कई तीर्थ है और सबका अपना तीर्थत्क है और उसकी तीर्थता है।
हनुमान विश्वास के प्रतीक है
मुरारी बापू ने कहा कि बिना वि६वास आदमी की बंदगी नही हो सकती है और भगवान हनुमान वि६वास के प्रतीक है। बापू ने पंच देव की पूजा की पद्धति बताते हुए कहा कि विवेक और विनय से जीना प्रतिदिन गणेश पूजा के समान है। हद्य को विशाल रखे यहीं वि८णु पूजा है। अश्रद्धा एवं अंध श्रद्धा ना हो और श्रद्धामय जीवन जीना दुर्गा पूजा है। जहां तक संभव हो उजाले में जिये और यही सूर्य पूजा है। मन, वचन एवं कर्म से दूसरों का कल्याण की भावना शव पूजा है। 
रामजन्म एवं राम चरित मानस का प्राकट्य रामनवमी के दिन
राम का प्राकट्य राम जन्म एवं राम चरित मानस का प्राकटय भी रामनवमी के दिन ही हुआ है। राम नवमी के दिन ही राम चरित मानस का प्राकट्य हुआ है। राम कथायें आपातकाल में भी होती रही है। बापू ने बताया कि रामचरित मानस में बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, कि८कन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड है और सातों सोपान अपनी विशेषता रखते है। रामचरित मानस में एक एक शब्द परम विशेषता रखता है। मुरारी बापू ने कहा कि रामकथा सात प्रकार के बल प्रदान करती है। रामकथा से व्यक्ति में दैहिक, दृष्टि, दिल, दिमाग, दैव्य तथा दिव्य बल आता है। गुरू महिमा पर बोलते हुए उन्होने कहा कि गुरू मार्ग होता है और व्यक्ति उसके माध्यम से पार प्राप्त कर सकता है। 
संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा के पहले दिन कथा स्थल पर कथा से पूर्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, रासासिंह रावत, कथा संयोजक मदन पालीवाल, प्रकाश पुरोहित, रविन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित सहित कई गणमान्य अतिथिय ने व्यासपीठ पर पुष्पअर्पित किये तथा कथा श्रवण का लाभ लिया।
बाबा रामदेव की चौखट पर पहला कदम
बाबा रामदेव की नगरी में आयोजित रामकथा के लिए मुरारी बापू शनिवार दोपहर को फलौदी एयरबेस पहुंचे जहां आयोजन समिति की ओर से मदन पालीवाल ने अगवानी की। एयरबेस से बापू सीधे बाबा के समाधि स्थल पहुंचे तथा आस्था के पुष्प अर्पित किये व चादर चढाई। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम-कल होगा कवि सम्मेलन
रामदेवरा में आयोजित मुरारी बापू की रामकथा के आयोजन की श्रृंखला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत सोमवार शाम को कवि सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इसमें देश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, प्रसिद्ध गीतकार दुर्गादानसिंह गौड, अरूण जैमिनी, भगवान मकरन्द, महेन्द्र अजनबी, बुद्धिप्रकाश दाधीच सहित कई कविगण हिस्सा लेंगे।

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