समाजों के विकास की अवधारणा व्यक्तिगत विकास की अवधारणा से अलग होती है | किसी समाज का विकसित होना इस बात पर निर्भर करता है की सामूहिक रूप से उस समाज का स्वरुप क्या है | उस समाज में सामूहिक हितसाधना के लिए क्या व्यवस्था है और समाज की प्रमुख संस्था किस प्रकार सार्वजानिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और शेक्षणिक गतिविधियों के कार्य निष्पादित करती है| समाज के लोगों का समाज में क्या योगदान है |
प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज के विकास में योगदान देने को तत्पर रहता है लेकिन कोई अकेला व्यक्ति अपने संसाधनों से समाज विकास नहीं कर सकता | लेकिन ऐसे बहुत से व्यक्तियों द्वारा सामूहिक प्रयासों से समाज में बदलाव लाया जा सकता है | जब हम बदलाव की बात करते है तब इसका मतलब किसी बहुत बड़े बदलाव से ही हो ऐसा आवश्यक नहीं होता | ये बदलाव बहुत छोटे पर महत्वपूर्ण हो सकते हैं उदहारण के लिए समाज में होने वाले कार्यक्रम: अगर समाज में बच्चों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम हो, अगर समाज में लोगों की वास्तविक समस्याओं को समझने के लिए वैचारिक और सार्थक बहस हो अथवा समाज के लोगों के रोजगार के साधनों को बढ़ने के सम्बन्ध में चर्चाएँ हो तब ऐसे छोटे छोटे कार्यक्रम समाज में बहुत बड़े बदलाव लाते हैं | ये छोटे छोटे कार्यक्रम लाखों रुपयों को खर्च कर के किये जाने वाले भंडारों से ज्यादा जरूरी है लेकिन ऐसे कार्यक्रम करने के लिए समाज की व्यवस्था इस तरह के कार्यों के अनुकूल होनी आवश्यक है |
यह समाज के लोगों की जिम्मेदारी है की वे अपने समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रयास करें | हमें पूर्वाग्रहों को छोड़ कर ऐसे कार्यक्रमों को सहयोग देना चाहिए जिससे समाज में सार्थक विमर्श को प्रोत्साहन मिले और हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर समाज का निर्माण कर सकें | ये व्यक्तिगत प्रयसों से संभव नहीं हो सकता इसके लिए समाज की संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं | हमारे समाज में यूँ तो कई संस्थाएं काम कर रही हैं लेकिन ज्यादातर ध्यान केवल भंडारों पर ही केन्द्रित है | समाज में धार्मिक अनुष्ठान और भंडारे बहुत आवश्यक है लेकिन केवल इनसे समाज की समस्याओं के समाधान नहीं मिल सकते |
हमारे समाज में कई समस्याएँ है जिनका निदान बहुत आवश्यक है लेकिन इन समस्याओं के निदान के लिए गंभीर प्रयत्न होते दिखाई नहीं देते | लोग समस्याएँ गिनवाते समय बहुत जोश और उर्जावन हो जाते हैं लेकिन इनके समाधान सुझाने में किसी की रूचि नहीं है | लोग सोचते हैं की समाज का कुछ नहीं हो सकता क्यूँ की जो समस्याएँ आज हैं वह बरसों से हैं और बरसों रहेंगी | सच है की समस्याएँ बरसों से हैं लेकिन हमें यह सोचना चाहिए की क्या किसी ने इन समस्याओं के सुधारने के प्रयास किये या नहीं ?
क्या कभी उन समस्याओं पर किसी ने कोई सही मंच पर बहस की या नहीं क्यूँ कि केवल चोपालों पर बेठ कर मनोरंजन के लिए बहस करने से कोई हल नहीं होती इसके लिए लोगों को सार्थक प्रयास करने होंगे तभी हम एक मजबूत समाज बना पाएंगे |
बधाइयाँ समस्त समाज को, सभी जागरूक युवक युवतियों को, समस्त आदरणीय बुजुर्गों को, समस्त बच्चों को की आपके प्रयासों का है ये असर आज आप के हक़ की आवाज को समाज की पंचायत ने अमली जामा पहना दिया | अधिक से अधिक लोग जल्द से जल्द समाज की पंचायत के सदस्य बनें और अपने समाज को अपने हिसाब से नया, आधुनिक, विकासशील, उन्नत समाज बनाने में भागिदार बनें |
संस्था जाग्रति और रक्त सेतु के युवाओं को एवं बगीची विकास समिति के सभी सदस्यों को जिनमे युवक और बुजुर्ग भी शामिल हैं उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद | हैहैयवंशी कसेरा समाज समिति और कसेरा समाज पंचायत को धन्यवाद आपके प्रयासों के बगेर यह संघर्ष अधुरा ही था| हमारे आदरणीय सिंह जी वर्मा का बहुत आभार आपके प्रयासों और समर्थन के बिना यह स्वर्णिम अवसर आ ही नहीं सकता था
No comments:
Post a Comment