अखिल भारतीय रैगर
महासभा के झंडे तले जुड़े हम आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं. बंधुओं, हम सब सामाजिक कार्यकर्त्ता है. जिसे पद अनुरूप कार्य को सम्पादित करने का
अवसर दिया गया है. दिल्ली प्रान्त में निवास कर रहे लाखों रैगरो के बीच से आपका
चुनाव जहाँ आपको गौरवान्वित करता है वहीँ आपके ऊपर एक ऐसा दायित्व भी देता है जिसे
शब्दों में नहीं कहा जा सकता. अतः आपसे समाज को काफी अपेक्षाए हैं.
दुनिया का हर
समाज स्वार्थी होता है. वह आपसे अनगिनत अपेक्षाय रखता है पर बदले में देने के लिए
अनगिनत आरोप एवं लांछन होते हैं. उनके पास कुछ ही शब्द प्रशंसा के होते हैं, जिसे वह बहुत ही सोच-समझ कर मितव्ययिता के साथ खर्च करता है. प्रशंसा के शब्द
दूध में बहुत ही अल्प मात्रा में स्थित मक्खन की तरह है. हम सबको दूध से मक्खन
निकालने जैसा प्रयास करना होता है. आपको कठोरता से दूध को मथना है और बहुत ही नरमी
के साथ मक्खन को निकालना है.
हमें विरासत में
टूटा-फूटा और बहुत ही बेरहमी से कुचला हुआ, समाज / परिवार मिला है
जिसे संभालना है, भरोसा देना है और उन्हें साथ लेना है. समय की
मार से आत्मकेंद्रित होता हुआ समाज को पूर्ववत गरिमा की ओर मोड़ने में बहुत परिश्रम
है. अपना घर संभालते हुए यह सब करना कठिन ही नहीं अत्यंत दुष्कर कार्य है. हमें
संतोष है की इस विपरीत परिस्थिति में भी कुछ मेधावी भागीरथ मिले है, जिनके बल पर हम परस्पर विश्वास,
सहयोग एवं एकता की गंगा
बहा सकते हैं.
आप सामाजिक
प्रदुषण को देख रहे हैं, समझ रहें हैं. अखिल भारतीय रैगर महासभा के बैनर
को इतना गन्दा कर दिया गया है कि कई टन सोडा लगेगा इसकी सफाई के लिए. और आज भी ऐसा
करने से बाज नहीं आ रहे हैं. समाज आँखे मूंदता है कुछ समय के लिए. पर जब आँखे
खोलता है तो ऐसे लोग इस तरह भस्म होते हैं की राख भी नसीब नहीं होती. यह चीज हम पर
भी लागू होती है. इसलिए हमें भी गलत कामों से बचना होगा. आपके मन में यह विचार भी
आता होगा की क्यों मैं अपना समय,
धन खर्च कर, एवं गालियाँ खाकर समाज का काम करूँ? आप जानते हैं कि हर काल
में समाज पर यह संकट आया है पर समाज के अनाम लोगों ने ही उसका प्रतिकार भी किया.
आप काम करेंगे और आपके काम से एक का भी भला हो गया तो आपको इतना आत्म संतोष मिलेगा
कि उतना सौ तीर्थों के भ्रमण पर भी नहीं मिल सकता.
बंधुओं, आप विश्वास करें अध्यक्ष पद से लेकर कार्यकर्त्ता तक सभी पद समान है. कार्य की
श्रेणीयां एवं उत्तरदायित्व अलग -अलग है, जिसे सबको गंभीरता से
निभाना है. हम सब को मिल बांटकर अपने अपने हिस्से के कार्य करने है. हमारे साथ इस
मुहीम में महिलाओं की प्रतिनिधि बहन पुष्पा सरसुनिया जी भी हैं, मै व्यक्तिगत रूप से इन पर गर्व करता हूँ. इनकी सूझ-बुझ, लगन एवं मेहनत हम सब पर भारी है. अभारैम में विगत सात वर्षों के अंतराल में
अभी तक एक अकेली महिला हमें मिली हैं जिन्होंने मुझे काफी प्रभावित किया है. हमें
इन्ही के सदृश अन्य महिलाओं को भी तलाशना है और समाज के सेवार्थ उठे इनके हाँथ को
ताकत देनी है. महिलाओं की भागीदारी के बिना हमारा कार्य त्वरित गति और सही दिशा
में आगे बढ़ ही नहीं सकता.
हमारा प्रयास है
कि हम ऐसे लोगों को जोड़ें जो सही रूप से कार्य कर सकते हों. हमें निष्क्रिय लोगों
को जोड़कर पदाधिकारियों की संख्या नहीं बढानी. हम ऐसे लोगों को जोड़ने में विश्वास
करें जिन्हें हमें फोन कर कहना नहीं पड़े कि आप क्या कर रहें हैं? कहाँ हैं? बल्कि वे खुद फोन कर प्रगति की जानकारी दें. जो
काम करेगा उसे समस्याए भी होंगी और उसके निराकरण के लिए प्रयास भी करेगा. काम नहीं
करनेवाले के पास कुछ भी नहीं होगा कहने के लिए सिवाय अपनी समस्या गिनाने की.
अपने समाज में
कुछ प्रगति हो रही है या नहीं पर एक चीज की प्रगति तो है और वह है नीत नयी रैगर
संगठनो का गठन. हमारे समाज में कुछ सौ पचास लोग ऐसे है जो सभी संगठनो में प्रायः
दिख जायेंगे. उनका किसी संगठन से कोई लेना देना नहीं. उनका काम है अपना
पोर्टफोलियो बनाना. संगठन कर्ता को यह एहसास होता है की उनका संगठन तो काफी
प्रभावी है. अमुक-अमुक बाबु उनके साथ हैं और दो चार दस लोगों के साथ लेकर चलते
रहते है. दरअसल ऐसे लोग समाज की एकता में बहुत बड़ी बाधा हैं ऐसा मै मानता हूँ.
दूसरी जातियों में इतने संगठन नहीं मिलेंगे. अभारैम की नयी निबंधित संविधान में एक
देश, एक जाति,
एक संगठन के मन्त्र को
आत्मसात किया गया है. अतः मेरी अपनी सोच है कि हम किसी अन्य रैगर संगठन में सक्रिय
रूप से भाग न लें जिससे उनके संगठन को मजबूती और हमें वही टहलने वाली प्रवृति का
शिकार होना पड़े. हमारा संगठन इतना बड़ा है कि इसमे कई संगठन अपने को विलीन कर सकते
हैं और हम इसे बढ़ावा देंगें.
मैं एक सज्जन से
मिलने गया था तथाकथित बड़े नाम थे. सोचा, शायद उनका साथ मिल जाएगा
तो हमारे संगठन को और ताकत मिल जाएगी. उन्होंने पूछा कि आपके साथ कौन-कौन बड़े आदमी
हैं? मैंने कहा की बड़े आदमी कौन-कौन है? मुझे तो बड़े आदमी कोई दिखा नहीं है. तब उन्होंने कुछ बड़े आदमियों के नाम
गिनाये और पूछा कि क्या वे आपके साथ हैं? मैं सच कहता हूँ कि
जिन्हें मै जोड़ने गया था, उस सोच पर ही मै शर्मिंदा हो गया. मेरे भाइयों, आप सब जो यहाँ बैठे हुए हैं आपसे से बड़ा आदमी मेरी नजर में कोई और नहीं हो
सकता. आप सब अपना काम छोड़कर, भाडा लगाकर अथवा अपनी गाडी का ईंधन खर्च कर
समाज के काम के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं. आपकी शिक्षा, योग्यता, धन-वैभव क्या है, मैं नहीं जानता. पर एक
चीज जान रहा हूँ- आप सबसे बड़े, सबसे धनवान और सबसे ज्यादा शिक्षित हैं, जो समाज सेवा के लिए निकले हैं. बड़े व्यापारी, बड़े पदाधिकारी, बड़े इंजिनियर, बड़े वकील, बड़े डॉक्टर, बड़े नेता न जाने कितने बड़े-बड़े. पर समाज निर्माण में कोई योगदान नहीं. बड़ा-बड़ा
दंभ, बड़े –बड़े अहंकार. बड़े लोगों की विकृत हो चुकी
परिभाषा को फिर से परिभाषित करनी होगी. कैसे बनेगा समाज? सभी लोगों को समाज निर्माण के लिए प्रेरित करना भी हमारा लक्ष्य होगा.
हम सब पदाधिकारी रैगर
समाज के सामने अच्छे काम करने, अखिल भारतीय रैगर महासभा के नाम को सार्थक करने, समाज को एकताबद्ध करने की शपथ ली है तो इसे कर दिखाना भी होगा. आशा है हम सब
मिलकर अपनी एक अलग पहचान बनायेंगे. रैगर समाज को सतत सुदृढ़ करने का कार्य करेंगे.
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