Monday, January 2, 2017

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'ट्रिपल एक्स' ने देश के युवाओं को बिगाड़कर रख दिया, खासकर गांव वाले अशिक्षित वर्ग के युवाओं,
जो भूल जाते हैं कि रियल और रील जिन्दगी में क्या फर्क है। उनको दोनों ही एक जैसी नजर आती हैं खासकर ट्रिपल एक्स रील और रियल लाईफ। मगर मेरे देश को बर्बाद करने में ट्रिपल एक्स से ज्यादा योगदान 'ट्रिपल पी' का है, जिस दिन इस ट्रिपल पी में सुधार हो गया, उस दिन देश अन्य देशों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरेगा।

आप सोच रहें होंगे कि ट्रिपल एक्स तो समझ में आ रहा है, लेकिन ये मूर्ख ट्रिपल पी कहां से लेकर आए। मगर सच कहता हूं ट्रिपल एक्स में तो नहीं ट्रिपल पी में तो मैं भी आता हूं और आप भी। हां, अगर आप ट्रिपल एक्स का पूरा नाम ढूंढने जाओगे तो नहीं मिलेगा, मगर मेरे ट्रिपल पी का पूरा नाम है पुलिस पब्लिक और प्रेस।

जिस दिन इन तीनों ने अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी से निभानी शुरू कर दी, उस दिन भारत को बदलने से कोई नहीं रोक सकेगा, भारत का ही नहीं हर देश का भविष्य ट्रिपल पी पर ही टिका है। जनसेवा के लिए बनी पुलिस अगर असल में ही जनसेवा करने लगे, और जनता की आवाज बुलंद करने के लिए बनी प्रेस उसकी आवाज को दबने से रोक पाए और पब्लिक एक सही सरकार चुन सके तो वो दिन दूर न होंगे। जब भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा।

देश का बेड़ा गर्क करने में बिगड़ चुकी ट्रिपल पी का बहुत बड़ा दु-योगदान है। आज की प्रेस पैसे वाले की हो गई, इसलिए तो जनमत तैयार करने वाली प्रेस लोगों को भ्रमित करने के लिए अलावा कुछ नहीं करती। सनसनी फैलानी हो, किसी को स्टार बनाना हो, वोट बैंक तैयार करना हो तो आज की प्रेस सबसे अच्छा साधन है, लेकिन बुराइयों के खिलाफ जनमत नहीं बना सकती, पैसे वालों के हाथ की कठपुतली बन चुकी ये प्रेस।

जन सेवा के लिए बनी पुलिस धनवानों के दरवाजे पर गाढ़े हुए खूंटे पर कुत्ते की तरह पहरा देती है, और गली से निकले वाले गरीबों पर भौंकती है, इतना ही नहीं कभी कभी तो नोंचने से भी बाज नहीं आती।
पैसों की लालसा में अंधी हुई पुलिस गरीब को ऐसे लेती है कि जैसे कुत्ता हड्डी को।

पब्लिक तो हमेशा की तरह मौन ही है, और पता नहीं कब इस का मौन टूटेगा। कब अपने वोट का सही इस्तेमाल कर पाएगी। कुछ रुपयों के लिए पांच साल की खातिर अपना भविष्य बेचने वाली पब्लिक को जागना होगा। वरना, गांव के युवाओं को जैसे ट्रिपल एक्स ने बिगाड़ दिया, वैसे ही देश को ट्रिपल पी खत्म कर देगी।

मैं बार बार गांव के बिगड़ैल युवाओं की बात क्यों कर रहा हूं, आपके जेहन में सवाल उठ रहा होगा, मैंने अपनी जिन्दगी के कई साल भारत की रूह माने जाने वाले गांवों में गुजारें हैं, ज्यादातर गांवों में शादी से पहले ही युवा ट्रिपल एक्स यानी नीली फिल्में कई दफा देख लेते हैं और उसको वो रियल लाईफ में उतारने की कोशिश भी करते हैं। जिसके कारण उनकी लाईफ पार्टनर उम्र भर किसी गुप्त रोग का शिकार हो जाती है। ऐसी हजारों उदाहरणें मेरे जेहन में हैं, जिनका उदाहरण दूंगा तो आपको शर्म आएगी, क्या ऐसे होता है महिलाओं के साथ, सच पूछो तो गांव में आज भी औरत एक सैक्स की वस्तु है और कुछ नहीं।

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