Tuesday, January 3, 2017

विधान

ज्ञापन-पत्र
अखिल भारतीय ......................... समाज महासभा
1. संस्था का नाम : अखिल भारतीय ........................... समाज महासभा होगा ।

2. संस्था का लोगो (LOGO) :

3. पंजीकृत कार्यालय : संस्था का पंजीकृत मुख्य केन्द्रीय कार्यालय परशुराम नगर कंगनपुर रोड. सिरसा जिला सिरसा (हरियाणा) 125055 होगा । संस्था अपनी सुविधानुसार (राज्य) प्रदेश स्तर, जिला स्तर व तहसील (खँड) स्तर पर खोलेगी ।

4. संस्था की स्थापना : संस्था की विधिवत् स्थापना दिनांक 9 दिसम्बर 2001 को चमार समाज की आम सभा से हुई, जिसमें महासभा के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ । उस समय महासभा का कार्यक्षेत्र समस्त हरियाणा रखा गया था । परन्तु दिनांक को महासभा की आम सभा व अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक में संस्था का विस्तार कर अन्य राज्यों को इसमें सम्मलित करने का प्रस्ताव पास किया गया ।

5. संस्था का कार्यक्षेत्र : संस्था का कार्य क्षेत्र समस्त भारत वर्ष होगा।

6. संस्था के उद्देश्य तथा लक्ष्य : अखिल भारतीय चमार महासभा का गठन निम्न लिखित
उद्देश्यों व लक्ष्यों को ध्यान में रख कर किया गया है।

(i) महासभा चमार समाज की विभिन्न जातियों का एक समूह बनाकर एक ही जाति बनाने का प्रयास करेगी।

(ii) महासभा चमार समाज पर होने वाले उत्पीड़न व अत्याचारों को रोकने के लिए व न्याय के लिए सैंवधानिक प्रभावशाली कार्य करेगी, महासभा आवश्यकता पड़ने पर, समाज को पेश आने वाली कठनाईयों व समस्यों को सम्बन्धित सरकार व प्रशासन के सामने रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर उनका निराकरण करवाने का भरसक प्रयास करेगी।

(iii) महासभा चमार समाज में व्यापत सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, बाल विवाह व अन्ध विश्वास को समाप्त करेगी।

(iv) महासभा चमार समाज में व्यापत शराब व अन्य नशे की आदतों की बुराइयों को दूर कर एक स्वस्थ समाज की स्थापना करेगी।

(v) महासभा बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करेगी तथा समाज के गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक सहायता उपलब्ध करायेगी। महासभा रोजगार व नैतिक प्रेरक शिक्षा के लिए आवश्यकता अनुसार अपने शिक्षण संस्थान भी खोलने का प्रबन्ध करेगी।

(vi) महासभा समाज के महापुरुषों की याद में सभाऐं आयोजित करेगी, तथा उनकी शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए समाज जाग्रति कैडर कैम्पस तथा समाज में करुणा, मैत्री व शील स्थापित करने के लिए धम्म देशनाऐं आयोजित करेगी। महापुरुषों के नाम से पुस्तकालयों व गरीब छात्रों के लिए छात्रावासों का निर्माण करवाऐगी।

(vii) महासभा समाज की भलाई के कार्यों के लिए भवन आदि का निर्माण करवाऐगी, जिसके लिए महासभा राष्ट्रीय स्तर पर देश के जिन जिन राज्यों में कार्य करेगी, उन राज्यों की सरकार से प्रत्येक जिला स्तर पर दो एकड़ व तहसील या खण्ड स्तर पर एक एकड़ जमीन की मांग करेगी।

(viii) महासभा चमार समाज के बेरोजगार युवक व खासकर युवतियों के लिए विशेष व्यवसायिक प्रशिक्षण जैसे कोचिंग केंद्र सिलाई कढ़ाई केंद्र व अन्य रोजगार से जुड़े केंद्र स्थापित करने की व्यवस्था करेगी।

(ix) चमार समाज की गरीब लड़कियों की शादियों में आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करेगी।

(x) महासभा चमार समाज के प्रतिभावान बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए सम्मान समारोह आयोजित करेगी।

(xi) महासभा चमार समाज के लोगों में आपस में पैदा होने वाले द्वेष को समाप्त कर भाईचारा स्थापित करेगी तथा परिवारिक झगड़ों को निपटा कर स्वच्छ समाज की स्थापना करेगी।

(xii) महासभा चमार समाज के विकास के लिए सरकार से, अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों से आर्थिक सहायता प्राप्त करेगी।

(xiii) महासभा तथागत बुद्ध के करूणा, मैत्री व प्रज्ञा के मार्ग, बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर के मिशन शिक्षा-संघर्ष-संगठन तथा गुरू रविदासी जी व कबीर जी के क्रांतिकारी विचारों का चमार समाज में प्रचार-प्रसार करेगी।

(xiv) महासभा भारतीय सेना में चमार रैजीमैण्ट को पुनः स्थापित करवाने का पूरा प्रयत्न करेगी तथा इसकी स्थापना के लिए व्यवस्थित तरीके से आन्दोलन चलाऐगी।

(xv) महासभा विपदा के समय लोगों की सहायता करेगी तथा देश में भाईचारा स्थापित करने में भरपूर सहयोग करेगी।

7. शर्तें :-
(i) संस्था पूरे भारत में वार्षिक सामान्य सदस्य, सक्रिय वार्षिक सदस्य, आजीवन सदस्य व सक्रिय आजीवन सदस्य बनायेगी।

(ii) संस्था आजीवन सदस्यों, सक्रिय आजीवन सदस्यों व सभी पदाधिकारियों को पहचान पत्र जारी करेगी।

(iii) संस्था के सभी सदस्य अवैतनिक होंगे । किसी भी सदस्य को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा।

(iv) संस्था अपना कार्य सुचारू तरिके से चलाने के लिए आवश्यकता अनुसार कर्मचारी नियुक्त कर सकेगी, जिन्हे कार्य अनुसार व योग्यता वेतन देगी।

(v) संस्था उद्देश्यों व लक्ष्यों की मद संख्या (v) के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले शिक्षण संस्थानों को विधिवत चलाने के लिए, प्रबंधक कमेटी जिसे कोर कमेटी कहा जाएगा द्वारा अलग से नियम बनाए जाऐंगे।

(vi) संस्था पुरी तरह से सामाजिक संस्था होगी। कोई भी व्यक्ति अपने निजी राजनैतिक स्वार्थ के लिए प्रयोग नहीं करेगा।

(vii) संस्था की सम्पति तथा आय संस्था के हित के लिए खर्च की जाऐगी।

(viii) संस्था की राशि या सम्पति का कोई भाग बोनस या लाभांश के रूप में किसी सदस्य को देय नहीं होगा।

(ix) संस्था आयकर छुट के लिए आयकर विभाग के नियमों के अन्तर्गत सरकार को आवेदन करेगी।

(x) किसी कारणवश संस्था के बन्द होने की स्थिति में संस्था की जायदाद, लेनदारी या देनदारी के लिए कोई व्यक्ति या सदस्य व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार नहीं होगा, अपितू ऐसी स्थिति में समान विचारधारा वाली पंजीकृत संस्था को सौंप दी जाऐगी।

8. संस्था का प्रबंधन व प्रबंधक कमेटी :-
ज्ञापन पत्र के नियमों व उपनियमों के अन्तर्गत संस्था का प्रबन्ध एक प्रबंधक कमेटी चलायेगी। संस्था के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार होने पर, संस्था की प्रथम प्रबंधक कमेटी निम्नलिखित होगी, जो ज्ञापन पत्र के नियमों के अन्तर्गत चुनी जाने वाली कार्यकारिणी के पद ग्रहण तक प्रबन्ध का कार्य करेगी ।
क्र.सं. पद नाम पता व्यवसाय
1. प्रधान मा-
2. उप प्रधान
3. उप प्रधान
4. महा सचिव
5. सचिव
6. सचिव
7. कोषाध्यक्ष
8. सहायक कोषाध्यक्ष
9. सहायक कोषाध्यक्ष
10. प्रैस सचिव
11. सहायक प्रैस सचिव
12. सहायक प्रैस सचिव
13. आडिटर
14. सहायक आडिटर
15. सहायक आडिटर
16. विधि सलाहकार
17. संगठन सचिव
18. संगठन सचिव
19. प्रचार सचिव
20. प्रचार सचिव

9. आवेदक पदाधिकारी :-
हम निम्नलिखित हस्ताक्षरकर्ता उपरोक्त ज्ञापन पत्र के अनुसार सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अन्तर्गत संस्था पंजीकृत करवाना चाहते हैं।
क्र.सं. नाम पता पद हस्ताक्षर
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.

अखिल भारतीय चमार समाज महासभा के नियम व उपनियम
1. संस्था का नाम : अखिल भारतीय चमार समाज महासभा होगा ।

2. संस्था का लोगो (LOGO) :

3. पंजीकृत कार्यालय : संस्था का पंजीकृत मुख्य केन्द्रीय कार्यालय
परशुराम नगर कंगनपुर रोड. सिरसा जिला सिरसा (हरियाणा) 125055 होगा । संस्था अपनी सुविधानुसार (राज्य) प्रदेश स्तर, जिला स्तर व तहसील (खँड) स्तर पर खोलेगी ।

4. संस्था की स्थापना : संस्था की विधिवत् स्थापना दिनांक 9 दिसम्बर 2001 को
चमार समाज की आम सभा से हुई, जिसमें महासभा के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ । उस समय महासभा का कार्यक्षेत्र समस्त हरियाणा रखा गया था । परन्तु दिनांक को महासभा की आम सभा व अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक में संस्था का विस्तार कर अन्य राज्यों को इसमें सम्मलित करने का प्रस्ताव पास किया गया ।

5. संस्था का कार्यक्षेत्र : संस्था का कार्य क्षेत्र समस्त भारत वर्ष होगा।

6. चमार समाज की परिभाषा : चमार वर्ग की सभी जातियां व उप जातियां जो अलग अलग
राज्यों में विभिन्न नामों से जानी जाती है, जैसे चमार, जाटव, बैरवा, बलई, जुलाहा, रामदासी, रामदासीया, रविदासी, कबीरपंथी, सतनामी, अहिरवार, मेघवाल, रेगर, रायगर, मोची, जटीया चमार, दोहरे, अधर्मी, जैसवार, कोरी, कोली, महाशया, भाम्भी, चर्मकार, चामङीया, सूर्यवंशी, रामनामी, रामदासीया सिख, रविदासीया सिख, नोना चमार, दुसाध, रोहित, सूर्यरामनामी इस संस्था के लिए चमार समाज की परिधी में मानी जाएगी।
7. सदस्यताः-

चमार समाज का कोई व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष हो चुकी है, लिंग, शिक्षा, निवास स्थान, सम्पति तथा पदस्थिति पर बिना भेदभाव के नियम 8 में दर्शाए सदस्यता स्वरूप के अनुसार इसका सदस्य बन सकता है। बशर्तेः-
(क) व्यक्ति चमार समाज से सम्बन्ध रखता हो।
(ख) व्यक्ति चमार समाज के विरूध कार्य ना करता हो।
(ग) व्यक्ति पागल न हो।
(घ) व्यक्ति किसी न्यायलय से दिवालिया घोषित ना हो।
(ङ) व्यक्ति किसी भ्रष्टाचार, चरित्र हनन या किसी अन्य अभियोग में सजा प्राप्त ना हो।

8. सदस्यता का स्वरूपः-

(क) आजीवन सदस्य- नियम 7 के अनुसार सभी शर्तें पूरी करने वाला व्यक्ति अपने जीवन काल में (जब तक सदस्यता शुल्क बढाया नहीं जाता है), एक बार में एक हजार रूपये सदस्यता शुल्क देकर आजीवन सदस्य बन सकता है। आजीवन सदस्य को उसके आजीवन सदस्य होने का एक आजीवन सदस्य पहचान पत्र जारी किया जाएगा। यह सदस्य संस्था के अस्तित्व तक उसका सदस्य रहेगा। यदि कभी भी संस्था का किसी अन्य संस्था में विलय होता है, तो भी ये आजीवन सदस्य उस संस्था के आजीवन सदस्य होंगे। आजीवन सदस्यता शुल्क समय-समय पर बढ़ाया जा सकेगा। आजीवन सदस्यता शुल्क एक हजार से जब भी बढाया जाएगा वह कम से कम 500 रुपये व अधिकतम से अधिकतम 2000 रुपये तक बढाया जाएगा। बढा हुआ शुल्क पूराने सदस्यों पर लागू नहीं होगा।

(ख) सक्रिय आजीवन सदस्य- नियम 7 के अनुसार सभी शर्तें पूरी करने वाला जो व्यक्ति कम से कम 50 आजीवन सदस्य बनाएगा, वह महासभा का सक्रिय आजीवन सदस्य माना जाएगा। यह सदस्य महासभा की कोर कमेटी का सदस्य माना जाएगा।

(ग) सामान्य वार्षिक सदस्य- नियम 7 के अनुसार सभी शर्तें पूरी करने वाला व्यक्ति वर्ष में (जब तक सदस्यता शुल्क बढाया नहीं जाता है), केवल 20 रूपये सदस्यता शुल्क देकर संस्था का सामान्य वार्षिक सदस्य बन सकता है। परन्तु उसकी सदस्यता की अवधि एक वर्ष के लिए होगी। वर्ष की गणना 01 जनवरी से 31 दिसम्बर तक मानी जाऐगी। अगले वर्ष का सदस्य रहने के लिए उसे पुनः 20 रूपये सदस्यता शुल्क देना होगा। सामान्य सदस्य बनाने की प्रक्रिया निर्धारित प्रपत्र पर वर्ष की प्रथम जनवरी से उसी वर्ष की 30 जून तक की जाएगी।

(घ) सक्रिय सामान्य वार्षिक सदस्य- नियम 7 के अनुसार सभी शर्तें पूरी करने वाला व्यक्ति वर्ष में कम से कम 25 सामान्य वार्षिक सदस्य बनाएगा, वह महासभा का सक्रिय सामान्य वार्षिक सदस्य होगा। परन्तु उसकी सदस्यता की अवधि एक वर्ष के लिए होगी। वर्ष की गणना 01 जनवरी से 31 दिसम्बर तक मानी जाऐगी। अगले वर्ष का सदस्य रहने के लिए उसे पुनः 25 सामान्य वार्षिक सदस्य बनाने होंगे।

9. डेलिगेट-
(i) नियम 8 के उप नियम (क) व (घ) के अन्तर्गत सभी सदस्य डेलिगेट कहलाऐंगे।
(ii) नियम 16 के अन्तर्गत तहसीलों/खण्डों, जिलों व राज्यों के निर्वाचित पदाधिकारी भी डेलिगेट कहलाऐंगे।

10. सदस्यता की समाप्ति
संस्था के किसी भी सदस्य की सदस्यता निम्नलिखित मामलों में समाप्त की जाएगीः-
(i) यदि सदस्य की मृत्यु हो जाती है।
(ii) यदि सदस्य चमार समाज के विरूध कार्यों में लिप्त हो जाए तथा संस्था के संविधान के विरूध कार्य करने लग जाए।
(iii) यदि सदस्य न्यायलय से दिवालिया घोषित हो जाए।
(iv) यदि सदस्य पागल हो जाए।
(v) यदि सदस्य पर भ्रष्टाचार, चरित्र हनन या किसी अन्य अभियोग सिद्ध हो जाए।
(vi) यदि सामान्य सदस्य एक वर्ष की समाप्ति के बाद अगले वर्ष का सदस्य रहने के लिए पुनः 20 रूपये सदस्यता शुल्क अदा नहीं करने पर।
(vii) यदि सक्रिय सामान्य सदस्य एक वर्ष की समाप्ति के बाद अगले वर्ष का सदस्य रहने के लिए पुनः 25 सामान्य सदस्य नहीं बनाने पर।
(viii) सदस्य द्वारा स्वंय त्याग पत्र देने पर, ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार से दिए गए सदस्यता शुल्क की वापसी नहीं होगी।

11. प्रबंधक कमेटी एवम् कार्यकारिणियाँ
संस्था के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तथा संस्था शाखा स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रभावी ढ़ंग से कार्य करे, इसके लिए निम्नलिखित प्रबंधक कमेटी एवम् कार्यकारिणियाँ होगीः-
कोर कमेटी।
(i) कोर कमेटीः- यह शीर्ष कमेटी होगी, इसकी संस्था के प्रबंधन व संचालन में मुख्य भूमिका होगी। सभी सक्रिय आजीवन सदस्य इस कोर कमेटी के सदस्य होंगे।
(ii) राष्ट्रीय कार्यकारिणी- यह कार्यकारिणी संस्था का राष्ट्रीय स्तर पर पूरा प्रबंधन व संचालन करेगी। कोर कमेटी के सभी सदस्य भी इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।
(iii) प्रदेश कार्यकारिणी- यह राज्य या प्रान्तीय कार्यकारिणी भी कहलायेगी। यह कार्यकारिणी संस्था का प्रदेश/राज्य स्तर पर पूरा प्रबंधन व संचालन करेगी। सम्बन्धित राज्य के सभी सक्रिय आजीवन सदस्य भी उस प्रदेश/राज्य की कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।
(iv) जिला कार्यकारिणी- यह जिला कार्यकारिणी जिला स्तर पर पूरा प्रबंधन व संचालन करेगी। सम्बन्धित जिला के सभी सक्रिय आजीवन सदस्य भी उस जिला की कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।
(v) तहसील/खण्ड कार्यकारिणी- यह कार्यकारिणी जिला तहसील/खण्ड पर संस्था का प्रबंधन व संचालन करेगी। सम्बन्धित तहसील/खण्ड के सभी सक्रिय वार्षिक सदस्य भी उस तहसील/खण्ड की कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।
(vi) कस्बा या गांव स्तर कमेटी- तहसील/खण्ड कार्यकारिणियाँ बड़े गांव या कस्बा स्तर पर अपनी सुविधा अनुसार कमेटियाँ बना सकेगी।

12. कार्यकारिणीयों का स्वरूपः-

(क) कोर कमेटीः- नियम 7 के अनुसार सभी शर्तें पूरी करने वाला जो व्यक्ति कम से कम 50 आजीवन सदस्य बनाऐंगे, वे सभी आजीवन कोर कमेटी के सदस्य रहेंगे, बशर्ते नियम 9 की कोई अवहेलना नहीं हो। इनकी संख्या कोई निश्चित नहीं है।

(ख) राष्ट्रीय कार्यकारिणी – राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 40 (चालिस) पदाधिकारी होंगे, जिन में से 7 (सात) निम्नलिखित पदाधिकारी चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे।
(i) अध्यक्ष (ii) कार्यकारी अध्यक्ष (iii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iv) महासचिव (v) अतिरिक्त महासचिव (vi) कोषाध्यक्ष (vii) आडिटर (लेखा परीक्षा)
ये सभी शेष 33 (तैतीस) निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए पदाधिकारियों द्वारा आम सहमती से नामित किए जाऐंगे।
(i) संरक्षक- एक (ii) उपाध्यक्ष- पांच (iii) सचिव- पांच (iv) कार्यालय सचिव- एक (v) सहायक कोषाध्यक्ष- चार (vi) सहायक आडिटर (लेखा परीक्षा)- दो (vii) विधि सहलाकार- पांच
(viii) प्रैस सचिव- एक (ix) सहायक प्रैस सचिव- चार (x) संगठन सचिव- पांच
इन 33 पदों में से 13 पद महिलाओं में से भरे जाऐंगे।

(ग) प्रदेश/राज्य कार्यकारिणी – राज्य कार्यकारिणी में 30 (तीस) पदाधिकारी होंगे, जिन में से 6 (छः) निम्नलिखित पदाधिकारी चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे।
(i) अध्यक्ष (ii) कार्यकारी अध्यक्ष (iii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iv) महासचिव (v) अतिरिक्त महासचिव (vi) कोषाध्यक्ष
ये सभी शेष 24 (चौबीस) निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए पदाधिकारियों द्वारा आम सहमती से नामित किए जाऐंगे।
(i) उपाध्यक्ष- तीन (ii) सचिव- तीन (iii) कार्यालय सचिव- एक (iv) आडिटर (लेखा परीक्षा) -एक (v) सहायक कोषाध्यक्ष- दो (vi) सहायक आडिटर (लेखा परीक्षा)- दो (vii) विधि सहलाकार- तीन
(viii) प्रैस सचिव- एक (ix) सहायक प्रैस सचिव- तीन (x) संगठन सचिव- पांच
इन 24 पदों में से 10 पद महिलाओं में से भरे जाऐंगे।

(घ) जिला कार्यकारिणी – जिला कार्यकारिणी में 20 (बीस) पदाधिकारी होंगे, जिन में से 5 (पांच) निम्नलिखित पदाधिकारी चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे।
(i) अध्यक्ष (ii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iii) सचिव (iv) अतिरिक्त सचिव (v) कोषाध्यक्ष
ये सभी शेष 15 (पंद्रह ) निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए पदाधिकारियों द्वारा आम सहमती से नामित किए जाऐंगे।
(i) उपाध्यक्ष- दो (ii) सहायक सचिव- दो (iii) कार्यालय सचिव- एक (iv) आडिटर (लेखा परीक्षा) -एक (v) सहायक कोषाध्यक्ष- दो, (vi) विधि सहलाकार- दो, (vii) प्रैस सचिव- एक, (viii) सहायक प्रैस सचिव- दो, (ix) संगठन सचिव- दो
इन 15 पदों में से 8 पद महिलाओं में से तथा 7 पद ग्रामीणों से भरे जाऐंगे।

(ङ) तहसील/खण्ड कार्यकारिणी – तहसील/खण्ड कार्यकारिणी में 10 (दस) पदाधिकारी होंगे, जिन में से 3 (तीन) निम्नलिखित पदाधिकारी चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे।
(i) अध्यक्ष (ii) सचिव (iii) कोषाध्यक्ष
ये सभी शेष 7 (सात) निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए पदाधिकारियों द्वारा आम सहमती से नामित किए जाऐंगे।
(i) उपाध्यक्ष- दो (ii) सहायक सचिव- एक (iii) कार्यालय सचिव- एक (iv) प्रैस सचिव- एक (v) सहायक कोषाध्यक्ष- एक, (vi) संगठन सचिव- एक

13. कार्यकारिणीयों के पदाधिकारियों की योग्यताः-

(i) आजीवन सामान्य सदस्य किसी भी कार्यकारिणी का पदाधिकारी बन सकता है।
(ii) सक्रिय वार्षिक सदस्य केवल जिला कार्यकारिणी व तहसील/खण्ड कार्यकारिणी का पदाधिकारी बन सकता है।
(iii) तहसील/खण्ड कार्यकारिणी का पदाधिकारी व कस्बा/गांव की कमेटी के लिए व्यक्ति कम से कम महासभा का लगातार दो वर्ष से वार्षिक सामान्य सदस्य होना जरूरी है।
(iv) कार्यकारिणी की बैठकों में उपस्थिति नियमित होना आवश्यक है।
(v) व्यक्ति शराब व अन्य किसी नशीले पदार्थ का प्रयोग नहीं करता हो ।
(vi) व्यक्ति गुरू रविदास, बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर व गोतम बुद्ध के विचारों को मानने वाला हो।
(vii) व्यक्ति संस्था की किसी कार्यकारिणी का पदाधिकारी बनने पर संस्था को मासिक अंशदान अवश्य देगा। केन्द्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी को 50 रूपये, राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारी को 40 रूपये, जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी को 25 रूपये, तहसील कार्यकारिणी के पदाधिकारी को 15 रूपये, मासिक अदा करना अनिवार्य होगा।

14. कार्यकारिणीयों का कार्यकालः-
सभी कार्यकारिणियों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कार्यकाल की अवधि 01 जनवरी से 31 दिसम्बर मानी जायेगी, चाहे कार्यकारिणी ने किसी भी तारिख को कार्यभार ग्रहण किया हो। यदि किसी कारणवश 31 दिसम्बर तक चुनाव सम्पन्न नहीं होते हैं तो पुरानी कार्यकारिणी नई कार्यकारिणी के गठन तक कार्य करेगी।

15. कार्यकारिणीयों का गठन व चुनावः-
सभी कार्यकारिणियों का गठन या चुनाव तीसरे वर्ष के नवम्बर में आरम्भ होकर 15 दिसम्बर तक पूरे करवा लिए जाऐंगे। चुनाव प्रक्रिया तहसील/खण्ड स्तर से आरम्भ कर जिला स्तर, राज्य स्तर व अन्त में राष्ट्रीय स्तर तक क्रमवार पूरी की जाएगी। सभी कार्यकारिणियों का गठन या चुनाव नियम 12 के अनुसार किया जाएगा।

16. कार्यकारिणीयों की चुनाव प्रक्रियाः-
सभी कार्यकारिणियों का चुनाव नियम 12 को ध्यान में रख कर किया जाएगा। पदाधिकारियों का चुनाव निर्धारित नामांकन प्रपत्र भर कर, निर्धारित चुनाव शुल्क जमा करवा कर गुप्त मतदान द्वारा किया जाएगा, जो कि डेलिगेट प्रणाली पर आधारित होगा। प्रत्येक कार्यकारिणी की चुनाव प्रक्रिया निम्न प्रकार से होगीः-
(क) तहसील/खण्ड कार्यकारिणी – 3 (तीन) पदाधिकारी (i) अध्यक्ष (ii) सचिव (iii) कोषाध्यक्ष चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे। चुनाव नामांकन फीस 100 रू नामांकन प्रपत्र के साथ जमा करवाने होंगे। एक बार जमा हुई फीस किसी भी अवस्था में वापस नहीं होगी। केवल डेलिगेट ही चुनाव नामांकन भरने व चुनाव लड़ने के लिए पात्र होंगे। परन्तु चुनाव में सम्बंधित गांव व कस्बों के नियम 8 के उप नियम (ग) के अन्तर्गत बने सभी सामान्य वार्षिक सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग करके पदाधिकारियों का चुनाव करेंगे।
(ख) जिला कार्यकारिणी – 5 (पांच) पदाधिकारी (i) अध्यक्ष (ii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iii) सचिव (iv) अतिरिक्त सचिव (v) कोषाध्यक्ष, चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे। चुनाव नामांकन फीस 200 रू नामांकन प्रपत्र के साथ जमा करवाने होंगे। एक बार जमा हुई फीस किसी भी अवस्था में वापस नहीं होगी। केवल सम्बंधित जिला के डेलिगेट ही चुनाव नामांकन भरने, चुनाव लड़ने व मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे।
(ग) प्रदेश/राज्य कार्यकारिणी – 6 (छः) पदाधिकारी (i) अध्यक्ष (ii) कार्यकारी अध्यक्ष (iii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iv) महासचिव (v) अतिरिक्त महासचिव (vi) कोषाध्यक्ष, चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे। चुनाव नामांकन फीस 300 रू नामांकन प्रपत्र के साथ जमा करवाने होंगे। एक बार जमा हुई फीस किसी भी अवस्था में वापस नहीं होगी। केवल सम्बंधित राज्य के जिलों के सभी डेलिगेट चुनाव नामांकन भरने, चुनाव लड़ने के पात्र होंगे। परन्तु सभी जिलों की कार्यकारिणियों के केवल चुने पदाधिकारी तथा राज्य के सक्रिय आजीवन सदस्य, चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे।
(घ) राष्ट्रीय कार्यकारिणी – 7 (सात) पदाधिकारी (i) अध्यक्ष (ii) कार्यकारी अध्यक्ष (iii) वरिष्ठ उपाध्यक्ष (iv) महासचिव (v) अतिरिक्त महासचिव (vi) कोषाध्यक्ष व (vii) आडिटर (लेखा परीक्षा), चुनाव पद्धति द्वारा निर्वाचित होंगे। चुनाव नामांकन फीस 400 रू नामांकन प्रपत्र के साथ जमा करवाने होंगे। एक बार जमा हुई फीस किसी भी अवस्था में वापस नहीं होगी। केवल सभी राज्यों के जिलों के सभी डेलिगेट ही चुनाव नामांकन भरने, चुनाव लड़ने के पात्र होंगे। परन्तु सभी राज्यों की कार्यकारिणियों के केवल चुने पदाधिकारी तथा सभी राज्यों के सक्रिय आजीवन सदस्य, चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे।

17. कार्यकारिणीयों के पदाधिकारियों को पदच्युत करना-
सभी कार्यकारिणियों के किसी भी पदाधिकारी को निम्नलिखित मामलों में लिखित नोटिस देकर पद से हटाया जा सकता हैः-
(i) यदि पदाधिकारी चमार समाज के विरूध कार्यों में लिप्त हो जाए तथा संस्था के संविधान के विरूध कार्य करने लग जाए।
(ii) यदि पदाधिकारी कार्यकारिणी की बैठकों से बिना किसी लिखित सूचना के लगातार तीन बार अनुपस्थिति होता है।
(iii) यदि पदाधिकारी शराब व अन्य किसी नशीले पदार्थ का प्रयोग करने लग जाता है ।
(iv) यदि पदाधिकारी गुरू रविदास, बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर व गोतम बुद्ध के विचारों के विरूध कार्य करने लग जाए।
(v) यदि पदाधिकारी संस्था की किसी कार्यकारिणी का पदाधिकारी बनने पर संस्था को निर्धारित मासिक अंशदान देना बन्द कर दे।
18. बैठकेंः–
सभी स्तर यानि तहसील/खण्ड, जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर बैठकें निम्न प्रकार से आयोजित की जाऐंगी
(क) आम सभा की बैठकें- सभी स्तर यानि तहसील/खण्ड, जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष में आम सभा की बैठक एक बार बुलाई जाएगी। राष्ट्रीय स्तर व राज्य स्तर पर कम से कम एक मास पहले अध्यक्ष व महासचिव द्वारा सूचना जारी कर बुलाई जाएगी। जिला स्तर व तहसील/खण्ड स्तर पर कम से कम 21 दिन पहले अध्यक्ष व सचिव द्वारा सूचना जारी कर बुलाई जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर आपात् स्थिति में आम सभा की बैठक दस दिन की अल्पकालिन सूचना पर भी बुलाई जा सकेगी। आम सभा की बैठक के लिए कोरम पूरा करने की कोई शर्त नहीं होगी।
(ख) कार्यकारिणियों की बैठकें- संस्था का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए तहसील/खण्ड स्तर व जिला स्तर की कार्यकारिणियों की बैठकें मास में एक बार तथा राज्य स्तर व राष्ट्रीय स्तर की कार्यकारिणियों की बैठकें दो मास में एक बार बुलाई जाएगी। कोरम पूरा करने के लिए कम से कम 60 प्रतिशत पदाधिकारियों का उपस्थित होना आवश्यक होगा। कार्यकारिणी की बैठक अध्यक्ष व सचिव/महासचिव द्वारा कम से दस पहले सूचना जारी कर बुलाई जाएगी।
19. वित व्यवस्थाः–
(क) आय के साधन- संस्था आय के लिए निम्न प्रकार से धन एकत्रित करेगीः-
(i) संस्था सदस्यता शुल्क के रूप में धन इकट्ठा करेगी।
(ii) नियम 13 के (viii) के अन्तर्गत सभी स्तर की कार्यकारिणियों के पदाधिकारियों से प्रत्येक मास प्राप्त होने वाले अंशदान के रूप में धन इकट्ठा करेगी।
(iii) संस्था आमजन से तथा अन्य संस्थाओं से दान के रूप में धन इकट्ठा करेगी।
(iv) संस्था सरकार से अनुदान प्राप्त कर धन इकट्ठा करेगी।

(ख) कार्यकारिणियों में आय का वितरण- संस्था का प्रत्येक स्तर यानि तहसील/खण्ड स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक सुचारू रूप से संचालन के लिए आय का निम्न प्रकार से वितरण करेगीः-
(i) संस्था सदस्यता शुल्क के रूप में एकत्रित धन को तहसील/खण्ड स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक चार समान भागों (यानि प्रत्येक को 25 प्रतिशत) में वितरण करेगी।
(ii) नियम 13 के (viii) के अन्तर्गत सभी स्तर की कार्यकारिणियों के पदाधिकारियों से प्रत्येक मास प्राप्त होने वाले अंशदान के रूप में धन को कार्यकारिणियाँ अपने अपने पास रखेगी।
(iii) आमजन से तथा अन्य संस्थाओं से दान के रूप में धन जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कार्यालय से जारी रसीद/कुपनों द्वारा एकत्रित किया जाएगा उसका वितरण इस प्रकार से होगा। 1. राष्ट्रीय कार्यकारिणी 10 प्रतिशत, 2. राज्य कार्यकारिणी 15 प्रतिशत, 3. जिला कार्यकारिणी 25 प्रतिशत, 4. तहसील/खण्ड कार्यकारिणी 50 प्रतिशत ।
(v) सरकार से जो अनुदान जिस कार्यकारिणी को प्राप्त होगा, वह धन उसी कार्यकारिणी के पास रहेगा।

(ग) लेखा जोखा- संस्था के धन का कोई दुरुपयोग नहीं हो, प्रत्येक स्तर यानि तहसील/खण्ड स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक सुचारू रूप से संचालन के लिए आय का निम्न प्रकार से वितरण करेगीः-
(i) संस्था की प्रत्येक कार्यकारिणी तहसील/खण्ड स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक राष्ट्रीयकृत बैंक में बचत खाता अखिल भारतीय चमार समाज महासभा के नाम से अध्यक्ष, महासचिव/सचिव व कोषाध्यक्ष के पदनामों व उनके संयुक्त हस्ताक्षरों से खोलेगी। प्रत्येक कार्यकारिणी प्राप्त धन राशि बचत खाते में जमा करवाऐगी।
(ii) उपरोक्त पैरा (i) में वर्णित तीन पदनामों के पदाधिकारियों में दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर बिना कोई धन राशि बैंक से नहीं निकाली जा सकेगी। परन्तु दो पदाधिकारियों में कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
(iii) संस्था की सभी कार्यकारिणियों का लेखा जोखा कार्यकारिणी से सम्बन्धित कोषाध्यक्ष के पास रहेगा। वह सभी आय-व्यय का लेखा जोखा रखेगा।
(iv) संस्था का वित्त वर्ष पहली अप्रेल से अगले वर्ष की 31 मार्च तक का होगा।
(v) संस्था की सभी कार्यकारिणियों वर्ष भर का आय-व्यय का विवरण सम्बन्धित कोषाध्यक्ष प्रत्येक वर्ष की 30 अप्रेल तक पूरा कर लेखा जोखा सम्बन्धित लेखा परीक्षक (आडिटर) के सामने प्रस्तुत करेगा।
(ग) संस्था की सभी कार्यकारिणियों के सम्बन्धित लेखा परीक्षक (आडिटर) प्रत्येक वर्ष का लेखा जोखा का लेखा परीक्षा 15 मई पूरा कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर आपतियां सम्बन्धित कार्यकारिणी की बैठक में 31 मई तक प्रस्तुत करेगा।
20. राष्ट्रीय स्तर पर समान विचारधारा की संस्था से सम्बन्धः–
संस्था राष्ट्रीय स्तर पर समान विचारधारा की किसी संस्था से अपना रख सकेगी।
21. संस्था की कार्यकारिणियों के पदाधिकारियों के कार्य व अधिकारः-
संस्था के कार्य व प्रबन्धन सुचारू रूप से चलाने के लिए सम्बन्धित कार्यकारिणी के सम्बन्धित मुख्य पदाधिकारियों के कर्त्तव्य व अधिकार निम्नलिखित होंगेः-

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