डाढी पींवता दारू
मिस्टर तुक्कल भल्ला ।
आखै दिन होयोड़ा
रेंवता चूंच अर लल्ला ॥
ऐक दिन नीं टळता
नीं मिल्यां बै
बळता
टिकता तो बस
पड्यां मैडमजी रा खल्ला ॥
बाज़ आळी खाली
सीसी मांगी पाडोसी ।
थै तो रोज पीओ
खाली तो पडी़ होसी ॥
घर में तो आत
कोनी
आग्या तो बात
कोनी
ल्याओ मंगाओ,खाली करां जल्दी सी ॥
ऊंदरा बोल्या
दारू पीवां पै’लै तोड़ री ।
दुनियां में होवै
कोनी ईं रै जोड़ री ॥
छोड़ां कोनी आ
दुआई
छोड़ ई देस्यां
लुगाई
लुगाई ई हुवै
बेलियो ज़ड झोड़ री ॥
हथकढ री बोतल गटक’र डोल्यो ।
चांद धरती माथै
उतरसी बोल्यो ॥
ऊंदरी बोली थम
साळा कुत्ता जम
खल्ल खळका चांद
भेजूं अण्तोल्यो ॥
बिलड़ी तो ही
कोनीं हा फ़गत ऊंदरा ।
दारू आळै ठेकै
में मोटी मोटी तूंद रा ॥
दिन मॆ पस्त
रात में मस्त
रोब सूं खांवता
होटल में लाडू गूंद रा ॥
गांव में स्सै
सूं हुंस्यार हो सरपंच जी रो छोरो ।
आगे रेंवंतो जद
होंवतो कोई मंत्री जी रो दोरो ॥
कईयां नैं
फ़ंसावंतो
कईयां नै
मरवांवतो
काढ्यां बिनां डी’ल में कोई छोटो-मोटो मोरो ॥
बापू बोल्या बोट
पडै़ घाल’र आ रै ।
मोड़ो हुवै खेत
नै जल्दी कर जा रै ॥
ढोलकी खनै जद गया
पतळा हा तिसळग्या
खुद पड़्या मांय
अर बोट रेग्यो बा’रै ॥
गोष्ठी री बै’स में इस्सी लाम्बी बधी बात ।
कै ताण मारियां ई
नीं सुळझी आखी रात ॥
आखतो हो सब्बळियो
सिंझ्या गाडी चढ
लियो
निवड़ण सूं पै’ली दे आयो रूणीचै री जात ॥
झब्बियै री लुगाई
ही बोलाक बेजा ।
सामने आळां रा
खाय जावंती भेजा ॥
घर में रेवंतो नी
कोई
बापडी़ पीवै कीं
रो लोई
छात माथै चढ़ बा
गाया करती तेजा ॥
झिंडियै री
डीकरियां पतळी ही जंचा’र ।
धरियोडी हुवै
जाणै सांगरियां पचा’र ॥
ऐक-ऐक कर’र
सै भेळी कर’र
तूळ्यां आळी पेटी
में सुवावंता जंचा’र ॥
ऐक सी सकल री ही
मा अर बेटी ।
फ़ुटरापै में कोई
नीं ही जाबक हेटी ॥
आयो जणां जुवाई
करग्यो बो दुवाई
मा नै सागै
लेग्यो, घरां रै’गी बेटी ॥
जाबक ई भोळो हो
बापडो अल्लाद्दीन ।
कूकतो फ़िल्म में
देख दर्द आळा सीन ॥
आई मुकळावै री
घडी
बीनणी बीं री रो
पडी
बोल्यो छोडो बपडी
नै म्हैं नी ईंरो बीन ॥
ऊपर सूं नीचै
तांईं ऐकसा हा मिस्टर सपडा।
डाडा जंचता जणां
पै’रता नूआं-नूआं कपडा॥
मावडी मळ उतारिया
बण पेट में
उतारिया
घाल्या जियां
पाछा आग्या खाया जका बडा ॥
पान खाय’र रमेसियै लाल कर लिया होट ।
घर आळी देख’र बोली ओ जी थानै फ़ोट ॥
पै’ली कसर ही आ’ई
अब लागो हो लुगाई
ल्यो पै’र ल्यो भलांई अब तो ओ पेटीकोट ॥
लूंठा पै’लवान हा मिस्टर भूंडा राम भभूत ।
हरा नाख्या बां
कुस्ती में पै’लवान मजबूत ॥
करता जणां बडाई
आंख काढती लुगाई
डरता होळै सी
पैंट में कर देंवता लाई मूत॥
जाबक लिगतो हो
बोगड़ सिँह परमार।
हरेक चीज खावण नै
रैँ'वतो त्यार ॥
लुगाई कीँ घाल्यो
कोनीँ
...जोर कीँ
चाल्यो कोनी
रीसां बळतो
चाबग्यो लुगाई री सलवार।।
टींगर परनावण
चाल्यो भत्तू मल मे'रा।
बीन रूसग्यो बण
लिया कोनीँ फेरा ॥
छोरी बोली आ ले
रसमड़ी निभा ले
फेरां सारु नीँ
तो भेज दे बापू तेरा॥
अमेरीका रा लूंठा
सोखीन मिस्टर डांग ।
गंडक ल्यांता मोल,कई ल्यांता मांग ॥
इण रो होयो असर
सरीर में होगी
कसर
मूत करता मतैई उठ
जांवती एक टांग ॥
ठुमक’र ऊंदरै कन्नै आ कैवण लागी ऊंदरी ।
देखो जी म्हूं
लागूं हूं नी आज विश्व सुंदरी ॥
बोल्यो परनै जा
रांड
थोबड और आगै मांड
नासां इयां लागै
जाणै सीसी हुवै गूंद री ॥
नितनेमी हा पंडत
जी दोनूं टैम मांगता आटो ।
छोडता कोनी जे
मिल जांवतो डांगरां रो चाटो ॥
कुत्तियां री ही
अबखाई
दिक्कत ही तो ही
आ ई
ईं सारू राखता
साथळ ताईं प्लास्तर रो पाट्टो ॥
चीज मांगतो जणां
बोलतो ओ के प्लीज ।
आसूडो इस्सो
पढ्यो कै भूलग्यो तमीज ॥
टैम ही भौर री
हाजत ही जोर री
हंगण बैठग्यो
पैंट री जाग्यां खोल’र कमीज़॥
रसगुल्लां री
दुकान खोली प्रभु जी पूर ।
गाहक पटांवतां रै
ऊडण लाग्यो बूर ॥
साल भर अड्या रे’या
रसगुल्ला सारा पड्या
रे’या
छेकड जंवतां रा
बिकग्या बांरा स्सै पूर ॥
मुर्गी दांईं
बांग देंवती मुर्गी बाई पंडा ।
मिनखां में बैठती
जद गाळ देंवती गंडा ॥
आप रै सुभाव सूं
नाम रै प्रभाव
सूं
दिन में दिया
करती बा पांच-सात अंडा ॥
लूंठा कवि हा
चूणदान चोटिया ।
सुणाया करता दूहा
फ़गत खोटिया ॥
पैली तो खूब
गाजता
पछै धोती चक
भाजता
सरोता जद चक लेता
सोटियो ॥
हज़ामत करावण गयौ
डेमलौ डांगी ।
लम्बाई देख हज़ाम
निसरनी मांगी ॥
ऐक ऐक पेड़ी
चढ़तौ
बोल्यौ बो
रड़भड़तौ
राम देखौ,ईं रै कठै जा’र भौडकी टांगी ॥
दारू रा सौखीन हा
भूतड़ जी पडि़हार ।
इण नसै लारै खो
लियौ बां परिवार ॥
गळग्या जद गंडा
लेय’र झौळी डंडा
माळा फ़ेरण
लागग्या जा’र हरिद्वार ॥
दारू पींवतां जद
कीं राख देवंता ढक्कण में ।
ऊंदरा मज़ा
लेंवता सेठजी रै ईं लक्खण में ॥
सेठाणी भौत
समझावै
मक्खण क्यूं नी
भावै
ऊंदरा
बोल्या.बी.पी.रो रोग होवै मक्खन में ॥
फ़ोटू खैंचावण
स्टूडियो गई चिमली ताई ।
सामनै बैठा,फ़ोटोग्राफ़र मींची आंख डाई ॥
ताई बठै सूं हटगी
फ़ोटू खातर नटगी
बोली,मरज्याणा पै’ली बण राखीबंद
भाई ॥
सै’र री ही बीनणी पै’ली बार देखी डाग
।
झूट में ही
डागड़ी मुंडै ऊपड़ै हा झाग ॥
बोली फ़ूट्या करम
ऊंटणी है बेसरम
दोपारां देखो
पेस्ट करै,लागौ ईं रै आग ॥
ज़हाज़ री सवारी
सारू अंटग्यौ लूधो सहारण ।
रिसाणौ होय
भींतां में लाग्यौ टक्कर मारण ॥
लुगाई नै आई रीस
खल्ल टेक्या बीस
बिना ज़हाज़ ई
उडग्यौ रोही में भैंसा चारण ॥
बिना बीज धरती
माथै पैदा नीं होवै कोई चीज ।
गुलाब जामण में
भी होया करै छोटो सो बीज ॥
धणी री सुण पाखती
लुगाई बोली आखती
तो जाओ बीज देओ
खेत में कूलर-पंखा-फ़्रीज ॥
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