Tuesday, December 27, 2016

नैतिकता

सब कुछ मुमकिन है
आप अपने इर्द-गिर्द लोगों से अक्सर सुनते होंगे कि यह काम नहीं हो सकता। कॉलेज से निकलने के बाद अब यह आपकी ड्यूटी है कि आप ऐसे मिथ्स को तोड़ें। बहुत से ऐसे काम हैं, जो हमारे देश में होने चाहिए थे, लेकिन वे नहीं हो पाए। इनके पीछे जिम्मेदार ऐसी मानसिकता के लोग ही हैं, जो कहते हैं कि इस काम को कर पाना मुमकिन नहीं है।

आने वाले सालों में आप लोग इस देश के लीडर्स होंगे। इस देश का भविष्य आपके ही कंधों पर है। यह काम कर पाना मुमकिन नहीं है, यह नहीं हो सकता... ऐसे विचारों को मन में जगह न दें। अपने चारों ओर नजर उठाकर देखिए, दुनिया कामयाबी की मिसालों से भरी पड़ी है। तमाम बड़ी कंपनियों के उदहारण हैं। सोचिए इन कंपनियों को बनाने के आइडियाज कहां से आए? माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, फेसबुक, ऐपल, एमजॉन जैसी कंपिनयां कहां से आईं? ये कंपनियां तभी अस्तित्व में आईं जब किसी ने सोचा कि यह काम किया जा सकता है, यह मुमकिन है।
आपसे यही उम्मीद है कि नकारात्मकता की ओर न देखें, सोच लिया जाए तो बड़े से बड़ा काम हो सकता है। इसके अलावा, ध्यान रखें कि जीवन में कितने भी कामयाब क्यों न हो जाएं, विनम्रता कभी न छोड़ें। कभी किसी नोबेल विजेता के पास बैठकर देखा है आपने? वह आपको कभी महसूस नहीं होने देंगे कि वह इतना बड़ा अवॉर्ड जीत चुके हैं। उनके आसपास के लोगों से ही आपको उनकी महानता के बारे में पता चलेगा। आपने जो भी शिक्षा हासिल की है, उसे समाज को वापस करने के लिए भी थोड़ा काम करते रहें।

अपनी कामयाबी को इस आधार पर कभी नहीं आंकिए कि आपने कितना पैसा कमा लिया, आप किस पद पर पहुंच गए या आपकी समाज में कितनी प्रतिष्ठा है। आपकी कामयाबी का पैमाना यह होना चाहिए कि जब आप रात को घर लौटें तो मन में यह संतुष्टि रहे कि आपने देश और समाज की तरक्की में अपनी ओर से योगदान दिया है, भले ही वह योगदान कितना भी छोटा क्यों न हो!


कामयाबी की नई मिसाल बनें
मैं आज आप लोगों के बीच आकर थोड़ा दुखी हूं, इस बात को लेकर कि मैं आज आपकी उम्र में नहीं हूं और ऐसे वक्त में कॉलेज से पासआउट नहीं हो रहा हूं, जब बिजनेस की दुनिया बांहें पसारे आपका स्वागत कर रही है। आपके लिए यह एक बेहद अहम पल है। जाहिर है आपकी जिम्मेदारियां भी बड़ी होंगी।

आप आने वाले सालों में लीडर्स बनने वाले हैं। कॉलेज से निकलकर आप सभी को बिजनेस वर्ल्ड की बड़ी जिम्मेदारियों को निभाना है और ऐसे में आपके पास अपना बेस्ट देने के अलावा दूसरा ऑप्शन नहीं है। आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना ही है। जिस लीडरशिप की बात मैं कर रहा हूं, मुझे उम्मीद है कि उसे निभाने के लिए आप अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेंगे और अपनी वैल्यूज को पूरी तवज्जो देंगे।

मेरा मानना है कि असली लीडर वह होता है, जिसके पास विजन है, जो भविष्य के गर्भ में छिपे अवसरों को बहुत पहले ही ताड़ लेता है और उसके मुताबिक ही काम करता है। वैसे मुझे इस बात का अफसोस है कि हमारे देश में ऐसे बिजनेस लीडर्स की कमी रही है। हमारे बहुत से बिजनेस लीडर्स दुनिया के बिजनेस लीडर्स के फॉलोअर्स रहे हैं। आपको इस ट्रेंड को तोड़ना है और कामयाबी की अपनी नई कहानी लिखनी है। इसके लिए आपको दृढ़ संकल्प, काबलियत और भरपूर आत्मविश्वास की जरूरत होगी।

इसके अलावा मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि पैसा, पद, प्रतिष्ठा कमाने के अलावा भी आपकी एक और अहम जिम्मेदारी है और उस जिम्मेदारी को भी आपको पूरी शिद्दत से निभाना है। यह जिम्मेदारी है एक इंसान के तौर पर समाज में आपकी भूमिका। भले ही कोई भी काम कितना भी छोटा हो, लेकिन आपको कुछ न कुछ ऐसा काम जरूर करते रहना होगा, जो इस देश के ग्रामीण इलाकों में रह रहे करोड़ों लोगों के जीवन की क्वॉलिटी को बेहतर बना सके, उनके जीवन में बदलाव ला सके। अगर आप ऐसा कर पाए तभी आप सच्चे मायनों में कामयाब होंगे।
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असंतोष, अलगाव, उपद्रव, आंदोलन, असमानता, असामंजस्य, अराजकता, आदर्श विहीनता, अन्याय, अत्याचार, अपमान, असफलता अवसाद, अस्थिरता, अनिश्चितता, संघर्ष, हिंसा… यही सब घेरे हुए है आज हमारे जीवन को.
व्यक्ति में एवं समाज में साम्प्रदायिकता, जातीयता, भाषावाद, क्षेत्रीयतावाद, हिंसा की संकीर्ण कुत्सित भावनाओं व समस्याओं के मूल में उत्तरदायी कारण है मनुष्य का नैतिक और चारित्रिक पतन अर्थात नैतिक मूल्यों का क्षय एवं अवमूल्यन.
नैतिकता का सम्बंध मानवीय अभिवृत्ति से है, इसलिए शिक्षा से इसका महत्त्वपूर्ण अभिन्न व अटूट सम्बंध है. कौशलों व दक्षताओं की अपेक्षा अभिवृत्ति-मूलक प्रवृत्तियों के विकास में पर्यावरणीय घटकों का विशेष योगदान होता है. यदि बच्चों के परिवेश में नैतिकता के तत्त्व पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं तो परिवेश में जिन तत्त्वों की प्रधानता होगी वे जीवन का अंश बन जायेंगे. इसीलिए कहा जाता है कि मूल्य पढ़ाये नहीं जाते, अधिग्रहीत किये जाते हैं.
देश की सबसे बड़ी शैक्षिक संस्था-राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के द्वारा उन मूल्यों की एक सूची तैयार की गयी है जो व्यक्ति में नैतिक मूल्यों के परिचायक हो सकते हैं. इस सूची में 84 मूल्यों को सम्मिलित किया गया है.
वास्तव में, नैतिक गुणों की कोई एक पूर्ण सूची तैयार नहीं की जा सकती, तथापि संक्षेप में हम इतना कह सकते हैं कि हम उन गुणों को नैतिक कह सकते हैं जो व्यक्ति के स्वयं के, सर्वांगीण विकास और कल्याण में योगदान देने के साथ-साथ किसी अन्य के विकास और कल्याण में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचाए. विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि नैतिक मूल्यों की जननी नैतिकता सद्गुणों का समन्वय मात्र नहीं है, अपितु यह एक व्यापक गुण है जिसका प्रभाव मनुष्य के समस्त क्रिया- कलापों पर होता है और सम्पूर्ण व्यक्तित्व इससे प्रभावित होता है. वास्तव में नैतिक मूल्य/नैतिकता आचरण की संहिता है. हमें इस बात को भली भांति समझना होगा कि नैतिक मूल्य नितांत वैयक्तिक होते हैं. अपने प्रस्फुटन उन्नयन व क्रियान्वय से यह क्रमशः अंतयक्तिक/सामाजिक व सार्वभौमिक होते जाते हैं.
एक ही समाज में विभिन्न कालों में नैतिक संहिता भी बदल जाती है. नैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.
आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता को इस बात से सरलता व संक्षिप्ता में समझा जा सकता है कि संसार   के दार्शनिकों, समाजशात्रियों, मनोवैज्ञानिकों शिक्षा शात्रियों, नीति शात्रियों ने नैतिकता को मानव के लिए एक आवश्यक गुण माना है.
खेद का विषय है कि हमारी शिक्षा केवल बौद्धिक विकास पर ध्यान देती है. हमारी शिक्षा शिक्षार्थी में बोध जाग्रत नहीं करती वह जिज्ञासा नहीं जगाती जो स्वयं सत्य को खोजने के लिए प्रेरित करे और आत्मज्ञान की ओर ले जाये, सही शिक्षा वही हो सकती है जो शिक्षार्थी में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित कर सके.
नैतिकता मनुष्य के सम्यक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है. इसके अभाव में मानव का सामूहिक जीवन कठिन हो जाता है. नैतिकता से उत्पन्न नैतिक मूल्य मानव की ही विशेषता है. नैतिक मूल्य ही व्यक्ति को मानव होने की श्रेणी प्रदान करते हैं. इनके आधार पर ही मनुष्य सामाजिक जानवर से ऊपर उठ कर नैतिक अथवा मानवीय प्राणी कहलाता है. अच्छा-बुरा, सही गलत के मापदण्ड पर ही व्यक्ति, वस्तु, व्यवहार व घटना की परख की जाती है. ये मानदंड ही मूल्य कहलाते हैं. और भारतीय परम्परा में ये मूल्य ही धर्म कहलाता है अर्थात ‘धर्म’ उन शाश्वत मूल्यों का नाम है जिनकी मन, वचन, कर्म की सत्य अभिव्यक्ति से ही मनुष्य मनुष्य कहलाता है अन्यथा उसमें और पशु में भला क्या अंतर? धर्म का अभिप्राय है मानवोचित आचरण संहिता. यह आचरण संहिता ही नैतिकता है और इस नैतिकता के मापदंड ही नैतिक मूल्य हैं. नैतिक मूल्यों के अभाव में कोई भी व्यक्ति, समाज या देश निश्चित रूप से पतनोन्मुख हो जायेगा. नैतिक मूल्य मनुष्य के विवेक में स्थित, आंतरिक व अंतः र्स्फूत तत्त्व हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में आधार का कार्य करते हैं,
नैतिक मूल्यों का विस्तार व्यक्ति से विश्व तक, जीवन के सभी क्षेत्रों में होता है. व्यक्ति-परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की यात्रा होती है. नैतिक मूल्यों के महत्त्व को व्यक्ति समाज राष्ट्र व विश्व की दृष्टियों से देखा समझा जा सकता है. समाजिक जीवन में तेज़ी से हो रहे परिवर्तन के कारण उत्पन्न समस्याओं की चुनौतियों से निपटने के लिए और नवीन व प्राचीन के मध्य स्वस्थ अंतः क्रिया को सम्भव बनाने में नैतिक मूल्य सेतु-हेतु का कार्य करते हैं. नैतिक मूल्यों के कारण ही समाज में संगठनकारी शक्तियां व प्रक्रिया गति पाती हैं और विघटनकारी शक्तियों का क्षय होता है.
नैतिकता समाज सामाजिक जीवन के सुगम बनाती है और समाज में अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रखती है. समाज राष्ट्र में एकीकरण और अस्मिता की रक्षा नैतिकता के अभाव में नहीं हो सकती है. विश्व बंधुत्व की भावना, मानवतावाद, समता भाव, प्रेम और त्याग जैसे नैतिक गुणों के अभाव में विश्व शांति, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, मैत्री आदि की कल्पना भी नहीं की जा सकती. 

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