सुप्रीम कोर्ट ने विजय शंकर पाण्डेय बनाम भारत सरकार में स्पष्ट कर दिया है कि कुशासन की शिकायत सेवा नियमावली में कत्तई प्रतिबंधित नहीं है. उसने कहा है कि जनहित में दायर याचिकाएं आचरण नियमावली के खिलाफ नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत अथवा सार्वजनिक मामलों में याचिका दायर करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसके ठीक उलटा मत दर्शाते हुए मेरे पीआईएल दायर करने को कदाचरण बताया था और सराकर की अनुमति के बाद ही पीआईएल दायर करने के आदेश दिए थे. देश की सबसे बड़ी अदालत द्वारा मेरे कदम को सही बताये जाने से मैं बहुत खुश हूँ.
Supreme Court order in Vijay Shankar Pandey vs Union of India makes it clear that allegations of mal-administration is not prohibited by Conduct Rules. It says that Writ petition filed in public interest before the highest court of the country are not against service rules. SC says that the right to judicial remedies for the redressal of either personal or public grievances is a constitutional right. Allahabad HC had made a completely opposite view on my filing of PIL calling it misconduct and asking me to seek govt permission before filing PILs. I feel truly happy to see my stand being vindicated by the highest court of this country.
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