Monday, December 19, 2016

मंच संचालन के दोहे

सूत्रधार बनाने के सूत्र दोहों में!
ईश्वर का वरदान है, आपनी ये आवाज
कर रियाज इसमे भरें, नए नए अंदाज़
आपनी पिच पहचाना , फिर करना आगाज़
पूरा बोले व्याक्य को, इक सी रख आवाज़
ट्विंग ट्विस्टर ले कंठ में, रट ले कुछ संवाद
नव रस में तू बोल कर, नाद ब्रह्म को साध
नाट्यकार के गुण पकड़, स्वर का कर अभ्यास
चिट्टा को रख एकाग्र तू, ला थोडा परिहास
नित्य नियम तू मानले, वाणी का अभ्यास
नए ध्यान की भूक रख, नए ज्ञान की प्यास
कर अपनी आलोचना, सुन खुद की आवाज
ज़ज बनकर कर फैसला, यही मंच का राज़
 ना बनना अमिताभ तू,ना ही तू इकराम
नक़ल छोड़ खुद का बाना, आपना एक मुकाम
सफल सूत्रधार बनाने के सूत्र- 2
कार्यक्रम सागर हुआ, मंच हुआ जहाज
संतुलन बिगड़े नहीं, एन्कर का है काज
सजक, सृजन, सद्भावना, सरल स्वाभाविक सोच
शब्दों से जादू भरे, ओर वाणी में लोच
समझ इशारे आँख के, संयोजक पर दे ध्यान
बाकी के निर्देश पर, चाहे मत दे कान
 माईक के वोल्यूम की, पहले करले जाँच
सहज शांत ओर धेर्य रख, ना जल्दी में नाच
शब्द शब्द को तोलना, फिर होंटों को खोल
जहाँ कहीं हो बोलना, उनकी भाषा बोल
दीप प्रज्वलन पूर्वे ही , जांचो बाती घृत
कलाकार का पूर्वे ही, पढलो  जीवन वृत
कौन कहाँ  कब बोलनातय कर लेना मित्र
जोड़ी से रचने पड़ें, यदी मंच के चित्र
आयोजक के कम करें, वक्ता प्रस्तुति गान
चापलूस अच्छा नही, संचालक श्रीमान
आपना गला बचाईये, चिकना ना आचार
अति शीतल को टालिए , सिमित हो आहार
स्वांसों का अभ्यास कर , प्रानायण   जप ध्यान

आपने स्वर को साधलें, नित्य भ्रामरी ध्यान

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