Monday, December 19, 2016

दोहे

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा प्यारे पता करो लोहारों का
धार गिराना काम नहीं है लोहे पर सोनारों का
- नीरज कुमार
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अपने मंसूबों को नाकाम नहीं करना है
मुझको इस उम्र में आराम नहीं करना है
- शाहिद लतीफ़
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अपनी चाहत का यूँ पता देना
सामना हो तो मुस्करा देना
- रफ़ीक जाफ़र
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अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
- नीरज
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इस जहाँ में प्यार महके जिंदगी बाकी रहे
ये दुआ मांगो दिलों में रोशनी बाकी रहे
- देवमणि पांडेय
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अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए
- निदा फ़ाज़ली
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अबके सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई
- नीरज
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अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूं
अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूं
- ख़लील धनतेजवी
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आँसू की क्या क़िस्मत है, बहने में बाधाएँ कितनी
बाहर चहल पहल हलचल है, भीतर बंद गुफाएं कितनी
- शैल चतुर्वेदी
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अभी साज़े दिल में तराने बहुत हैं, अभी ज़िंदगी के बहाने बहुत हैं
नए गीत पैदा हुए हैं उन्हीं से, जो पुरसोज़ नग़मे पुराने बहुत हैं
- नौशाद
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इस जहाँ से कब कोई बचकर गया
जो भी आया खा के कुछ पत्थर गया
- राजेश रेड्डी
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इस तरह कुछ आजकल अपना मुकद्दर हो गया
सर को चादर से ढंका तो पाँव बाहर हो गया
- देवमणि पांडेय
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उनके अंदर भी कहीं तू है, कहीं तू न गिरे
बस यही सोच के इन आँखों से आँसू न गिरे
- कुंअर बेचैन
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आपसे झुक के जो मिलता होगा
उसका क़द आपसे ऊँचा होगा
- नदीम क़ासमी
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आदमी आदमी को क्या देगा, जो भी देगा वही खुदा देगा
जिंदगी को क़रीब से देखो, इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
- सुदर्शन फ़ाकिर
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सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है
- दीप्ति मिश्र

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