Thursday, December 1, 2016

कविता

चलते चलते ये सांसे मचल जायेंगी 
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी 
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर

आज आई नहीँ मौत कल आयेगी 
देखते देखते जां निकल जायेगी 
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर

ख्वाहिशों की हवस थोड़ी कम हो सके 
दूसरों के लिये आँख नम हो सके 
बन मुहाफिज तो हस्ती संवर जायेगी 
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी 
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर

इक निवाला सही तुम खिलाओ कभी 
भूखे बच्चों को घर पै बुलाओ कभी 
हैं खुदा इनमें रहमत बरस जायेगी 
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी 
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर

दूसरों की खुशी को दुआ मान लो 
दीन में ही तो रमता खुदा जान लो 
फिर अजानें भी तेरी असर लायेंगी 
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी 
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर

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सदियां बीत गई युग बदले फिर भी समझ ना पाये 
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी होती सोन चिरैया जिस घर उड़कर आये 
वह घर जन्नत बन जाता है उस घर ज़ीनत आये
कैसी है ये रीति जगत की किसने सोच बनाई 
बेटे से ही वंश चलेगा बेटी होती पराई
बेटी नवल कुंज है जिस पर फूल नेह के खिलते 
हिम का छोर सिंधु से मिलता वैसे दो कुल मिलते
बेटी से त्यौहार चहकते आलम का क्या कहना 
बेटी रिश्तों की खुशबु है जाने सिर्फ महकना
यह दायित्व नहीं है मित्रो यह तो है जागीरी 
किस्मत वालों को मिलती है बेटी की ताबीरी
बेटी होतीं सुख की बदली बरसें गुल खिल जाये 
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी है अमृत की धारा बेटी सीप का मोती 
बेटी पारिजात की खुश्बू सुरभित पवन बिलोती
बेटीं परीलोक से आकर अपनी छड़ी घुमातीं 
तब सौभाग्य उदय होता है जादू सा कर जातीं
बेटीं मरहम सी जख्मों पर बेटीं शहद में मिश्री 
बेटीं फूलों की कोमलता तितली की अलमस्ती
बेटीं राग यमन की तानें घुँघरु की रुनझुन हैं 
इकतारा की मीठी मीठी अलबेली सी धुन हैं
बेटी से ही रंग महावर बेटी से रंगोली 
बेटी से इतराये मिलकर विंदिया चूड़ी रोली
बेटी होती गुड़िया रानी घर को महल बनाये 
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी जो ना होती कैसे कान्हा बंशी बजाते 
बेटी ना होती तो कैसे राम धरा पर आते
कैसे राधा प्यारी होतीं कैसे सीता माता 
कैसे अवतारी हो पाते जग के भाग्य विधाता
बेटी ना होती तो कैसे लक्ष्मीबाई होती 
दुर्गावती अवंती बाई कहाँ पद्मिनी होती
बेटी से बेटी होतीं हैं जो जननी कहलातीं 
इसी नियम से वर्तुल बनता सृष्टि चक्र चलाती
ईश्वर ने करुणा ममता की मिट्टी ख़ास मंगाई 
हया का रंग चढ़ाया ऊपर ‘मौलिक’ कृति बनाई
बेटी जैसा फूल विधाता दूजा रच ना पाये 
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
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मतवालों की टोली निकली सुन्दर चमन बनाने को 
चम चम करता स्वच्छ दमकता अपना वतन बनाने को 
दिल के सच्चे साफ़ हैं हम ये दुनिया माने सदियों से 
चलो साथियो निकलें अब भारत को स्वच्छ बनाने को
हमने देखे कई करीबी घोषित दिल के सच्चों को 
ज्ञानी ध्यानी महज़ कागज़ी देखा अच्छे अच्छों को 
बड़ी बड़ी बातें तो कर लीं छोटी बात भुला दी है 
किस प्रकार की अलमस्ती है ये कैसी आज़ादी है 
कैसे इनको समझायें हम क्या रह गया बताने को 
चलो साथियो निकलें अब भारत को स्वच्छ बनाने को
वेद हमारे कहते हैं कैसे तुम वैभव पाओगे 
ढेर गंदगी मचा रखी है कैसे शुचिता लाओगे 
अपने घर को दिवाली पर रंगों से सजवाते हो 
जिस धरती पर जन्म लिया है गंद वहीँ फैलाते हो 
सोच बदलने देश बदलने सोना इसे बनाने को 
चलो साथियो निकलें अब भारत को स्वच्छ बनाने को
मोदी जी ने कमर कसी है उनकी तो तैयारी है 
राजा आज हो गए आंगे अब परजा की बारी है 
स्वस्थ स्वच्छ भारत करने पावन अभियान चलाया है 
हमें सिखाने स्वर्ग बनाने एक मसीहा आया है 
मातृभूमि को जन्नत करने ‘मौलिक’ अलख जगाने को 
चलो साथियो निकलें अब भारत को स्वच्छ बनाने को

1 comment:

  1. महोदय, मैं आपको सूचित करना चाहता हूँ कि यह आर्टिकल मेरे ब्लॉग https://udtibaat.com का है जिसे आपने अनधिकृत रूप से हूबहू अक्षरसः कॉपी कर के प्रसारित किया है जो कि The Copyright Act 1957 (as amended by the Copyright Amendment Act 2012) governs the subject of copyright law in India.[1] The Act is applicable from 21 January 1958.[2) के तहत आपराधिक कृत्य है। जिसके लिये The criminal remedies are provided under Chapter XIII of the statute and the remedies provided against copyright infringement include imprisonment (up to 3 years) along with a fine (up to 200,000 Rupees).[33] के रूप में आप पर प्रकरण दर्ज किया जा सकता है अगर आप इसे तात्कालिक प्रभाव से नहीं हटाते हैं तो। इसके अतिरिक्त आपका ब्लॉग भी प्रतिबंधित हो सकता है।

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    अमित जैन 'मौलिक'
    CEO
    https://udtibaat.com



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