चलते चलते ये सांसे मचल जायेंगी
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर
आज आई नहीँ मौत कल आयेगी
देखते देखते जां निकल जायेगी
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर
ख्वाहिशों की हवस थोड़ी कम हो सके
दूसरों के लिये आँख नम हो सके
बन मुहाफिज तो हस्ती संवर जायेगी
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर
इक निवाला सही तुम खिलाओ कभी
भूखे बच्चों को घर पै बुलाओ कभी
हैं खुदा इनमें रहमत बरस जायेगी
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर
दूसरों की खुशी को दुआ मान लो
दीन में ही तो रमता खुदा जान लो
फिर अजानें भी तेरी असर लायेंगी
जिंदगी हाथ से कब फिसल जायेगी
किसको है ये पता किसको है ये ख़बर
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सदियां बीत गई युग बदले फिर भी समझ ना पाये
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी होती सोन चिरैया जिस घर उड़कर आये
वह घर जन्नत बन जाता है उस घर ज़ीनत आये
वह घर जन्नत बन जाता है उस घर ज़ीनत आये
कैसी है ये रीति जगत की किसने सोच बनाई
बेटे से ही वंश चलेगा बेटी होती पराई
बेटे से ही वंश चलेगा बेटी होती पराई
बेटी नवल कुंज है जिस पर फूल नेह के खिलते
हिम का छोर सिंधु से मिलता वैसे दो कुल मिलते
हिम का छोर सिंधु से मिलता वैसे दो कुल मिलते
बेटी से त्यौहार चहकते आलम का क्या कहना
बेटी रिश्तों की खुशबु है जाने सिर्फ महकना
बेटी रिश्तों की खुशबु है जाने सिर्फ महकना
यह दायित्व नहीं है मित्रो यह तो है जागीरी
किस्मत वालों को मिलती है बेटी की ताबीरी
किस्मत वालों को मिलती है बेटी की ताबीरी
बेटी होतीं सुख की बदली बरसें गुल खिल जाये
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी है अमृत की धारा बेटी सीप का मोती
बेटी पारिजात की खुश्बू सुरभित पवन बिलोती
बेटी पारिजात की खुश्बू सुरभित पवन बिलोती
बेटीं परीलोक से आकर अपनी छड़ी घुमातीं
तब सौभाग्य उदय होता है जादू सा कर जातीं
तब सौभाग्य उदय होता है जादू सा कर जातीं
बेटीं मरहम सी जख्मों पर बेटीं शहद में मिश्री
बेटीं फूलों की कोमलता तितली की अलमस्ती
बेटीं फूलों की कोमलता तितली की अलमस्ती
बेटीं राग यमन की तानें घुँघरु की रुनझुन हैं
इकतारा की मीठी मीठी अलबेली सी धुन हैं
इकतारा की मीठी मीठी अलबेली सी धुन हैं
बेटी से ही रंग महावर बेटी से रंगोली
बेटी से इतराये मिलकर विंदिया चूड़ी रोली
बेटी से इतराये मिलकर विंदिया चूड़ी रोली
बेटी होती गुड़िया रानी घर को महल बनाये
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटी जो ना होती कैसे कान्हा बंशी बजाते
बेटी ना होती तो कैसे राम धरा पर आते
बेटी ना होती तो कैसे राम धरा पर आते
कैसे राधा प्यारी होतीं कैसे सीता माता
कैसे अवतारी हो पाते जग के भाग्य विधाता
कैसे अवतारी हो पाते जग के भाग्य विधाता
बेटी ना होती तो कैसे लक्ष्मीबाई होती
दुर्गावती अवंती बाई कहाँ पद्मिनी होती
दुर्गावती अवंती बाई कहाँ पद्मिनी होती
बेटी से बेटी होतीं हैं जो जननी कहलातीं
इसी नियम से वर्तुल बनता सृष्टि चक्र चलाती
इसी नियम से वर्तुल बनता सृष्टि चक्र चलाती
ईश्वर ने करुणा ममता की मिट्टी ख़ास मंगाई
हया का रंग चढ़ाया ऊपर ‘मौलिक’ कृति बनाई
हया का रंग चढ़ाया ऊपर ‘मौलिक’ कृति बनाई
बेटी जैसा फूल विधाता दूजा रच ना पाये
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर बेटी भाग्य जगाये।।
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महोदय, मैं आपको सूचित करना चाहता हूँ कि यह आर्टिकल मेरे ब्लॉग https://udtibaat.com का है जिसे आपने अनधिकृत रूप से हूबहू अक्षरसः कॉपी कर के प्रसारित किया है जो कि The Copyright Act 1957 (as amended by the Copyright Amendment Act 2012) governs the subject of copyright law in India.[1] The Act is applicable from 21 January 1958.[2) के तहत आपराधिक कृत्य है। जिसके लिये The criminal remedies are provided under Chapter XIII of the statute and the remedies provided against copyright infringement include imprisonment (up to 3 years) along with a fine (up to 200,000 Rupees).[33] के रूप में आप पर प्रकरण दर्ज किया जा सकता है अगर आप इसे तात्कालिक प्रभाव से नहीं हटाते हैं तो। इसके अतिरिक्त आपका ब्लॉग भी प्रतिबंधित हो सकता है।
ReplyDeleteआप इसे तुरंत डिलीट करें और मुझे इस बावत amitstg2003@gmail.com पर उत्तर देकर confirm करें। आपको आज से 3 दिन का समय इस बावत दिया जा रहा है। आप इसे वैधानिक नोटिस समझें।
अमित जैन 'मौलिक'
CEO
https://udtibaat.com