चरका मरका चाबतां, चंचल होगी चांच ।
फीका लागै फलकिया, अकरा सेकै आंच ।
करमां रो कीट
लागै ।
नेता नाटक
मांडिया, ले नेता री ओट ।
नेता नै नेता
चुणै, जनता घालै बोट ।।
लोक सिधारो परलोक
।।
लोक घालै बोटड़ा, नेता भोगै राज ।
लोकराज रै आंगणै, देखो कैड़ा काज
।।
जोग संजोग री
बात।।
हाकम रै हाकम
नहीँ, चोर न जामै चोर ।
नेता तो नेता जणै, नीँ दाता रो जोर
।।
नेता जस अमीबा ।।
चोरी जारी
स्मगलिँग, है नेता रै नाम ।
आं कामां नै
टालगै, दूजो केड़ो काम।।
आप बिकै नी
बापड़ा ।।
जनता हाथां हार
गै, हाट करावै बंद।
फेर ऐ खुल्ला
सांडिया, खूब खिंडावै गंद
।।
जिताओ बाळो
आगड़ा।।
चोळा बदळै रोजगा, चालां रो नीँ अंत
।
भाषण देवै जोरगा, वादां में नीँ
तंत।।
कियां घड्या
रामजी ।।
नेता मरियां
कामणी, माता मरियां पूत।
बो इज होवै पाटवी, जो मोटो है ऊत ।।
मारो साळां रै
जूत ।।
बोट घलावै बापजी, दे कंठां मेँ हाथ
।
जीत बजावै ढोलड़ा,अणनाथ्या हे नाथ ।।
पोल मेँ बजावै
ढोल ।।
बाजो बाजै जीत गो, नेता घर मेँ रोज
।
हारै जनता बापड़ी, भूखी टाबर फोज ।।
घालो ओज्यूं
बोट।।
नेता खावै धापगै, जनता भूखी भेड़ ।
पांच साल मेँ
कतरगै,पाछी चाढै गेड़ ।।
राम ई राखसी टेक
।।
नेता मुख है
मोवणां, धोळा धारै भेस ।
जीत्यां जावै
आंतरा, हार्यां करै
कळेस ।।
दे बोट काटो कळेस
।।
पाटै बैठ्या
धाड़वी,नितगा खोसै कान ।
नेता भाखै आपनै,चोखो पावै मान ।।
नमो कळजुगी औतार
।।
सेडो चालै नाक
मेँ, मुंडै काढै गाळ ।
नेता मांगै
बोटड़ा, कूकर गळसी दाळ ।।
रामजी ई रुखाळसी
।।
लोकराज रै गोरवैं, खूब पळै है सांड
।
चरणो बांरो धरम
है, बांध्यां राखो
पांड ।।
करणी तो भरणी
पड़ै।।
काळू ल्यायो
टिगटड़ी, बणग्यो काळूराम ।
जनता टेक्या
बोटड़ा, जैपर बण्यो मुकाम
।।
इयां ई तिरै
ठीकरी ।।
धापी आई परणगै, नेता जी रै लार ।
नेता राखै चोकसी, बा टोरै सरकार ।।
पतिबरता है
बापड़ी।।
नेता पूग्यो सुरग
मेँ, धापी रैगी लार।
ओ'दो मांग्यो लारलां, धापी देगी धार।।
धणी री तो ही
कुरसी।।
नेता चाबी झालगै, कूए मेँ दी न्हाख
।
लोकराज रै बारणै, अब तूं बैठ्यो
झांख ।।
फसा ली कुतड़ी
कादै।।
लोगां पूछी पारटी, नेता होग्यो मौन
।
नेता पूछी पारटी, कर नेता नै फोन
।।
बदळी तो कोनीँ
आज।।
बेल्यां मांगी
पारटी, नेता मारी डांट।।
पारटी म्हारी खुद
गी, है देवणगी आंट ।।
पारटी बदळै क
देवै ।।
बोट घालो धपटवां, नीँ तो करस्यूं
झोड़।
नीँ छोडूंला गांव
मेँ, भाज्या फिरस्यो
खोड़।।
बोट सूं कटसी
पापो ।।
नेतावंश विशेष है, औ’दै रो हकदार ।
नेतण जाम्यौ
सेडलौ, बणसी बो सरदार ॥
ऊंदर जामसी ऊंदर
॥
नेता फ़ळ तलवार
रो, बधै बुढापै धार ।
आडौ पटकै राज नै, खा जावै खार ॥
और के खाडा खोदै
॥
नेता भासण ठोकियो, ढीली करगै राफ़ ।
म्हानै टेको
बोटडा़, पाणी देस्यां
साफ़ ॥
जा पछै नै’र बंद है ॥
नेता टोरी बातडी़, दे वादां री पांड
।
अबकै आपां जीतगै, करस्यां खेत
कमांड ॥
छावनी खोली छेकड़
॥
साग बणायो सोहनी,मिरचां दी बुरकाय ।
जीमण बैठ्यौ
सायबो, मुंडै लागी लाय ॥
बोलण री टाळ होगी
॥
काचर छौलै कामणी,माळा पौवै बीन ।
डोरै चाढै ऐक-दो, कोठै ठौकै तीन ॥
जा रे काचर रा बीज ॥
घरां बणाई लापसी ,मिंदर लागी धौक ।
मीट-मसाला नीं
पकै, दारू पर भी रोक ॥
देवता सोफ़ी
होणां ॥
कार ल्याया काको
सा,काकी मांग्या हिंडा ।
काको जाबक
नाटग्या,काकी दिंधी खिंडा ॥
अब ले लै लाडी
पींडा ॥
देख जलेबी हाट पर,घरां ढूक्या बणाण ।
जेवडा़ सा गूंथ
लिया, रस घाली रामाण ॥
ल्यो,और लेल्यौ पंगा ॥
छोरै नै उडीकतां, टाबर होग्या पांच ।
चूण चाटियौ
सफ़ाचट,भूखी सोवै चांच ॥
रोयल्यौ जामणियां नैं
॥
जेबां राखै
कांगसी, सिर में कोनीं बाळ ।
गंजो भाख्यां बाप
जी,साम्हीं काढै गाळ ॥
लेओ मोडां
सूं पंगा ॥
रूंख लगाया बापजी,बेटां दिया उपाड़ ।
कीकर फ़ळसी
खेतडा़,खावण ढूकी बाड़ ॥
दो लगाओ कान तळै ॥
रोटी दोरी खावणी, मैं’गाई में आज ।
आंख्यां मींची
बापजी,बोटां थरप्यै राज ॥
बोट ई खोलसी आंख ॥
बोटां आळै राज
में,है नोटां रा खेल ।
बिन नोटां रै
भायला,सांचा जावै ज़ेल ॥
बोट में मिलग्यौ खोट ॥
घणौ कमायो सायबा, घरां पधारो आय ।
रासण खूट्यो आसरै,बिज़ळी झपका खाय ॥
बो देस्सी तन्नै
न्योळी ॥
चावळ खावै धपटवां, रोटी खावै सात ।
ऐडी़ म्हारै
कामणी,क्या कै’णी है बात ॥
हाथै कीन्या
कामणां
पगां न चालै
कामणीं,चढवां मांगै कार ।
टायरडा़ तौबा करै, देख मैम रो
भार ॥
तो टरकडो़ बपराओ ॥
मामा ल्याया
मायरौ,गाभां री भरमार ।
भाणूं गाभा छौडगै, मांगण ढूक्यौ कार ॥
के बाप परणायौ
है ॥
टाबर मांगै टैम
पर, रोटी गाभा चाय ।
धणीं न ल्यावै
रोकडो,धीणै टळगी गाय ॥
चालो सांभौ
कटौरो ॥
हेत हबोळा चालतां
,फ़ोन दियो घुंकाय ।
बातां चालै रसभरी
,कुण देवै छुडवाय ॥
बिल ई काट सी पापो ॥
मायत सोरी पाळगै,छोरी दी परणाय ।
वज़न पूछ्यौ
सायबै,कुण देवै तुलवाय ॥
धरमकांटो ई देखो
॥
गधो भाख्यां आप
गधी,भेजो लियो लगाय ।
नैनो जुग रो हो
भलो,ऐ.जी. सूं धिक जाय ॥
गळबंधी तो
बाज सी ॥
रोटी मांगी
सायबां, काची दी झलाय ।
मैडम बैठी
साम्हनै,डरतै ली गटकाय ॥
तो किस्सै कूए में पडै़
॥
मायड़ भाषा रै
बिनां, म्हारो मुंडौ बंद ।
नीं जाणां म्हे
बापजी,कूकर कटसी फ़ंद ॥
घाल गळ में साफ़लियो
॥
दस दूहा पूंछ आळा
बाबो राखतो बकरी,दूध देंती छटांक ।
चारो चरगै धपटवों,पछै चूसती फ़ांक ॥
पढगी होणी दो आंक ॥
मैडम करती नौकरी,धणी करतो राड़ ।
धणीं पीसतो पीसणौ,मैडम पीसै जाड़ ॥
धाकौ तो धिक्कै ई हो ॥
पंडत पाळ्यौ
कूकडो़,झांझरकै देंतो बांग ।
लौग रेंवता ताक
में,ज़बरौ मंड्यौ सांग ॥
पंडत री पूछ बधगी ॥
ठेको खुलग्यौ
गांव में,सगळा होया चूंच ॥
रोज रोज गी
पींवतां, बुक होई आगूंच ॥
सै’र रो भाडो़ बचग्यौ ॥
डैण पींवतौ
धपटवीं, डॊकरी ही नराज़ ।
पीहर जास्यूं
भाजगै,छोडौ आजो आज ॥
आ डोकरी मरवा सी ॥
काकै मांगी
काकडी़, काकी घाली दाळ ।
काकै ठोकी लात री,काकी काढी गाळ ॥
काल पाछा राजी ल्यौ ॥
रंग गौरा आंख बडी,काया ज अपरम्पार ॥
कहो भायली आपके, पातळिया भरतार ॥
म्हारला बांदर लागै ॥
जनता मांगी रोटडी,नेता मांग्या बोट ।
जनता तो भूखी
सडी़,नेता जीमै नोट ॥
भाग है आप आप रा ॥
चोरी करतो पेमलौ,जारी भी भरपूर ॥
नेता बणग्यौ
जीतगै,दिल्ली काढै़ टूर ॥
चलो कळेस तो कटग्यौ ॥
दस पूंछ आळा दूहा
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सरदी आई सायबा,गाभा बधग्या डी’ल ।
थांरी आसां
कूकतां,आंख्यां बणगी झील ॥
सरदी में नुहासी
के ॥
चाय बणाऊं सायबा,घालूं अदरख लूंग ।
खीचड़ रांधूं कूटवों, भेळ बाजरी मूंग ॥
पछै दळसी छाती पर ॥
खेतां हरखै बाजरी,धरती करै रचाव ।
थारै आयां सायबा, ढूंढो करै बणाव॥
थारै काचरी तळीजै ॥
भल आया थे सायबा,आंगण ढूक्यो चाव ।
घिरती फ़िरती
नाचती,मन में उठै उमाव ॥
नोटडि़या ल्यायो
दिखै ॥
थां बिन सूनां
सायबा,गांव गुवाडी़ खेत ।
टाबर सेकै रोजगा , म्हानै थारो हेत ॥
ल्यो रमाओ टाबरिया ॥
थारै आयां सायबा, बोल्या डेडर मोर ।
आभै चमकी बीजळी,बादळ गाज्या जोर ॥
फ़ेर तो पक्की रांद मंडगी ॥
काग उडा़या सायबा
,थांरी आवण आस ।
कागै मनस्या
पूरदी ,प्राण पांगरया ल्हास ॥
आ लागी कागलै री
॥
थारै सारू सायबा , राता पै’रूं बेस ।
सुरमो सारूं आंख
में,बीणी गूंथूं केस ॥
फ़ेर काढ़्सी अक्कल तो॥
सेजां पोढो़
सायबा , छाती लेऊं भीड़ ।
सुणगै आखर प्रेम
रा,मेटूं मन री पीड़ ॥
अब कोनीं बचै लाडी ॥
सूरज चढियो सायबा
,बेजां सोणो पाप ।
चाय बणाऊं सांतरी
,चूल्हो बाळो आप ॥
अब किस्सै कूए में पड़सी ॥
👍👍👍
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