Monday, October 10, 2016

डायन के नाम पर 15 साल में 1300 महिलाओं की हत्‍या।

Bhubaneswar : महिला दिवस का मौक़ा हो या महिला सशक्तीकरण का कोई उत्सव.भारत में महिलाओं पर अत्याचार और उनके ख़िलाफ़ घिनौने अपराधों को लेकर अक्सर आवाज़ उठाई जाती है. लेकिन इन्हें पूरी तरह ख़त्म करने में शायद दशकों लगें.  रांची के एक गांव में डायन होने का आरोप लगाकर आज पांच महिलाओं की लाठी डंडे से पीटकर हत्‍या कर दी गई।
पुलिस के सामने गर्व से कह रहे हैं कि डायन को उन्होने ही मारा है !
दिल दहलाने वाली इस घटना का वीभत्‍स व खतरनाक पहलू यह कि हत्‍या करने वाले लोग पुलिस के सामने गर्व से कह रहे हैं कि हत्‍या उन्‍होंने ही की है। पुलिस के आने तक हत्‍यारे पांचों लाशों को घेरकर बैठे रहे। पांच महिलाओं की हत्‍या करने के बाद उन्‍हें कोई पछतावा नहीं है और उन लाेगों को अब भी यह लग रहा है कि उन्‍होंने सही किया है। झारखंड के अधिकांश गांवों में यही स्थिति है। झारखंड सरकार ने कानून बनाकर किसी को डायन कहने तक पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन यह कानून बस किताबों तक ही है। डायन के नाम पर झारखंड के किसी न किसी जिले में प्रतिदिन हत्‍याएं हो रही हैं।
15 साल में 1300 महिलाओं की हत्‍या
डायन के नाम पर 15 साल में 1300 महिलाओं की हत्‍या। डायन बताकर रांची के एक गांव में आज पांच महिलाओं की हत्‍या की खबर के विभिन्‍न पहलुओं पर चर्चा हो ही रही थी कि पलामू और गुमला जिले से डायन के नाम पर एक-एक और हत्‍या की खबर आ गई। अर्थात डायन बनाकर एक दिन में ही सात महिलाओं की हत्‍या।  बताया जा रहा है कि ऐसा पंचायत के सामने हुआ। एक ओझा के कहने पर इन पांचों महिलाओं को उनके घरों से घसीट कर सबके सामने लाया गया और सबके सामने उन्‍हें पूरी तरह से नंगा किया गया। इसके बाद लाठी, डंडे से पीटकर और पत्‍थरों से कूचकर उनकी हत्‍या कर दी गई।
अब भी यहाॅ लोग कुछ सीखने, समझने को तैयार नहीं !
  21वीं सदी में आज की घटना सभ्‍य समाज के मुंह पर तमाचा है। यहां  डराने वाला पहलू यह कि अंधविश्‍वास में जकडे सुदूर क्षेत्र के यह लोग अब भी कुछ सीखने, समझने को तैयार नहीं हैं। गर्व से कह रहे हैं कि इन हत्‍याओं को उन्‍होंने अपने गांव के लोगों को बचाने के लिए किया है। गांव, समाज के इन स्‍वयंभू रखवालों को यदि काबू नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह होगी।
डायन के शक में एक ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या 
ओडिशा में 274  को डायन बता हुई हत्या
ओडिशा के आदिवासी बहुल क्योंझर ज़िले के एक गांव में ‘जादू-टोना’ करने के संदेह में गांव वालों ने एक ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या कर दी.इस घटना में गंभीर रूप से घायल परिवार के दो अन्य सदस्यों को सोमवार को अस्पताल पहुंचाया गया.सूचना मिलने के बाद बड़बिल के पुलिस अधिकारी अजय प्रताप स्वाईं सोमवार को घटनास्थल पर पहुंचे. घर के अंदर सभी के शव पड़े थे और सभी की गर्दन किसी धारदार हथियार से काट दी गई थी.स्वाईं ने बीबीसी को टेलीफोन पर बताया कि घायलों के बयान के आधार पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि बाकी अभियुक्तों की तलाश अभी जारी है. ओडिशा में हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार पछले पांच वर्षों में राज्य में इस तरह की 274 हत्याएं हुई हैं.
उत्तरप्रदेश  में भी है ‘डायन’ फोबिया
उत्तरप्रदेश के सोनभद्र ज़िले में महिलाओं को डायन कहकर शारीरिक यातानाएं दिए जाने का एक मामला फिर सामने आया है.हैरत ये है कि प्रशासन इन महिलाओं के आरोपों को सामान्य क़रार दे रहा है और मामले को रफ़ा-दफ़ा करने में जुटा है.उत्तरप्रदेश के सोनभद्र ज़िले के जामपानी गांव में सात मार्च को दो महिलाओं को ‘डायन’ कहकर उनकी लाठी-डंडों से पिटाई की गई.
राष्ट्रीय चैंपियनशिप में  स्वर्ण जीतने वाली देबजानी को डायन बताकर पीटा गया
असम, 90 महिलाओं को डायन होने के शक़ में ज़िदा जलाया
असम की राष्ट्रीय स्तर की जैवलिन थ्रो की खिलाड़ी को डायन बताकर जादू-टोना के इल्ज़ाम पर पीटा गया है और यातनाएँ दी गई हैं.राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण जीतने वाली देबजानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है. उन्हें इस साल एशियन मास्टर्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना है.देबजानी के साथ ये हरकत कथित तौर पर हफ़्ते की शुरुआत में हुई है.देबजानी एक ग़रीब खेतिहर मज़दूर है और कार्बी आंगलांग ज़िले के चेरेकाली गांव की निवासी है. देबजानी अपने पति के साथ दूसरे लोगों के खेतों में काम करती हैं और उनके तीन बच्चे हैं.भारत के कई इलाकों में आज भी डायन प्रथा जारी है.गांव में पिछले कुछ महीनों में तीन शराबियों की मौत हुई और एक ठुकराए हुए प्रेमी ने आत्महत्या कर ली थी. इन सबका इलज़ाम देबजानी पर लगाया दिया गया है.’
14 अक्तूबर को देबजानी को गांव के सामुदायिक प्रार्थना हॉल में खींच कर ले जाया गया जहां उन पर डायन होने का इलज़ाम लगाया गया और ”सार्वजनिक सुनवाई” हुई.देबजानी कहती हैं, ”गांव में हुई मौतों के लिए मुझे ज़िम्मेदार ठहराया गया. मुझे मछली पकड़ने वाले जाल में बांध कर बुरी तरह पीटा गया.” देबजानी को इतनी यातना दी गई कि वे बेहोश हो गईं. उन्हें स्थानीय प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उन्हें अगले दिन होश आया.उन्होंने पत्रकारों को बताया, “इन मौतों की वजह ढूंढने की जगह गांव के कुछ बुज़ुर्गों को शक़ हुआ कि ये कोई डायन कर रही है. उन्होंने पूजा आयोजित की. पूजा के दौरान एक बुज़ुर्ग महिला, राधा लास्कर, ने मुझे डायन बताया और चिल्ला कर कहा कि मुझे सज़ा मिलनी चाहिए.”
असम में पिछले पांच साल में लगभग 90 महिलाओं को डायन होने के शक़ में ज़िदा जलाया गया या उनके सिर काट दिए गए थे. मारे गए लोगों में ज़्यादातर महिलाएं थीं.
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हम उस में रहते देश है जहां महिलाएं देवी भी कहते हैं और उन्हें डायन भी घोषित कर दिया जाता है. झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से तो 'डायन' या 'टोनही' बताकर महिलाओं की बेरहम हत्‍याओं के मामले भी अकसर सामने आते हैं. गाय ने दूध देना बंद कर दिया, कुँए में पानी सूख गया, किसी बच्चे की मौत हो गई, कोई बीमार पड़ गया, जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए औरत को जिम्मेदार बताकर डायन करार दिया जाता है.
सिर्फ इतना नहीं, उनके साथ जो सुलूक किया जाता है उसे सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. उनके साथ यौन अत्याचार, मुंडन कर देना, आँखें फोड़ देना, जबान काट लेना, निर्वस्त्र कर देना, कुछ के मुंह में मल-मूत्र तक ठूँस देना, यहां तक कि हत्या भी.
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ऐसे देश में जहां डायन का खिताब देने पर महिलाओं के साथ ये सलूक होता है, उसी देश में एक महिला फख्र से खुद को डायन कहती है. ये हैं इप्सिता रॉय चक्रवर्ती. एक कुलीन परिवार में जन्मी और पली बढ़ी इप्सिता की मां एक शाही खानदान से थीं और पिता डिप्लोमैट. जब वो कनाडा रहती थीं, उन्होंने वहां प्राचीन संस्कृतियों और पौराणिक मान्यताओं की पढ़ाई की और फिर विक्का धर्म अपनाया. शादी के बाद वो भारत लौट आईं. 1986 में इप्सिता ने खुद को डायन घोषित कर दिया था.
विक्का धर्म एक नया धार्मिक आंदोलन है जिसकी स्थापना 19वीं सदी में इंग्लैंड के गेराल्ड गार्डनर ने की थी. 1954 में विक्का धर्म के बारे में लोगों को बताया गया. ये डायन के सताये हुए लोगों के परीक्षण के दौरान शुरू किया गया था. इसमें लोगों को भूत प्रेत जैसी बातों से विश्वास खत्म करने के लिए कहा जाता था. इस प्रथा को इप्सिता भारत लेकर आईं.
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विक्का यानी 'बुद्धिमानों की कला', इप्सिता इसे ‘study of comparative belief systems’  या तुलनात्मक विश्वास का अध्ययन भी कहती हैं. इप्सिता का कहना है कि लोग किसी भी औरत को डायन बताकर कैसे जला या मार सकते हैं, जबकि चुडैल और डायन जैसा कुछ होता ही नहीं है. ऐसी ही बुरी प्रथाओं और धारणाओं को खत्म करने के लिए इप्सिता ने 2006 में विकेन ब्रिगेड बनाई. उन्होंने कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और उन्हें विक्का के कुछ पुराने तरीके सिखाए. अब वो और उनकी टीम अंधविश्वास उन्मूलन और ‘डायन’ शब्द के साथ जुड़े हुए कलंक को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रहे हैं. ये विक्का समाज के लोग रहस्य और विज्ञान और पूर्व और पश्चिम की गूढ़ परंपराओं को एक साथ लाते हैं.
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इप्सिता ने 'स्पिरिट्स आई हैव नोन' 'सेक्रेड ईविल' और 'बिलव्ड विच' नाम की तीन किताबें लिखी हैं. उनकी बेटी दीप्ता चक्रवर्ती ने भी अपनी मां से विक्का की शिक्षा ली है और वो भी इसी दिशा में काम कर रही हैं. 
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                                                          अपनी बेटी दीप्ता के साथ इप्सिता
डायन घोषित महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध करने और लोगों के अंधविश्वास को खत्म करने के लिए अगर ये महिला खुद को डायन कहती है, तो ऐसी डायन की जरूरत तो पूरे भारत को है.

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