Friday, October 14, 2016

कैसे जगाएं भीतर का नेता?

समय-समय पर ऐसे नेताओं का आविर्भाव हुआ है, जिन्होंने तत्कालीन समस्याओं को सुलझाया, सामाजिक भेदभाव व बैर को मिटाकर समाज में शांति व अमन बहाल किया, कुंठित व हताश इंसानों में आशा और उत्साह का संचार किया।
जो न दिखे उसे दिखा दे, जो न सुलझे उसे सुलझा दे, असंभव को भी संभव बना दे नेताओं को लेकर जनमानस की यह अवधारणा रही है। हमारी संस्कृति महान नेताओं के पूजन और वंदन की संस्कृति रही है। हम इस परंपरा को नमन करते हैं, पर अब वक्त आ गया है, जब हर इंसान अपने भीतर के नेता का आह्वान करे।
अपने भीतर का नेता जगाना होगा
देश व समाज में खुशहाली लाने तथा सुराज की स्थापना का काम चंद नताओं पर छोड़ देने से नहीं होगा। इसके लिए हर इंसान को अपने भीतर के नेतृत्व को निखारना होगा। नेतृत्व की काबिलियत लगभग हर इंसान में होती है। कुछ लोगों में यह प्रबल और स्पष्ट होती है, तो कुछ में यह दबी व सुषुप्त।
कोई भूखा है, कहीं पर भ्रष्टाचार है, लोग लापरवाह हैं, बच्चे शरारती हैं, बूढ़ों की कद्र नहीं हैइन सबके लिए कौन जिम्मेदार है? ‘मैं जिम्मेदार हूं, मेरी जिम्मेदारी अनंत है, असीम है’ – इसे अपनी चेतना में पूरी गहराई में उतारें और देखें कि आपके अंदर क्या होता है। हमें उसे सतह पर लाना होगा, मानवता के नेतृत्व का बीड़ा हर इंसान को उठाना होगा। जन जन को नायक बनना होगा। समाज में हो रही बुराइयों के लिए हम अक्सर दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। दूसरों को जिम्मेदार ठहराने की बीमारी महामारी की तरह फैली हुई है। अगर हम वाकई में इस दुनिया को रूपांतरित करना चाहते हैं तो हमें जिम्मेदारी लेनी होगी, हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना होगा। पर हमारी जिम्मेदारी की सीमा क्या होगी? हमारी जिम्मेदारी की कोई सीमा नहीं है यह कोई उपदेश नहीं, सत्य है।
कैसे जगाएं भीतर का नेता?
आप एक प्रयोग करके देखें। अपने आसपास हो रही घटनाओं पर जरा गौर करें कोई भूखा है, कहीं पर भ्रष्टाचार है, लोग लापरवाह हैं, बच्चे शरारती हैं, बूढ़ों की कद्र नहीं हैइन सबके लिए कौन जिम्मेदार है? ‘मैं जिम्मेदार हूं, मेरी जिम्मेदारी अनंत है, असीम है’ – इसे अपनी चेतना में पूरी गहराई में उतारें और देखें कि आपके अंदर क्या होता है। अगले चौबीस घंटों के अंदर ही आपके अंदर चमत्कार घटित हो सकता है। मन में एक तरह का सुकून और शांति छा जाएगी। प्रेम और आनंद का अहसास होगा और भीतर का सुषुप्त नेता जाग जाएगा।

हमारी जिम्मेदारियां असीम हैं, पर हमारे कार्य करने की क्षमता हमेशा सीमित होती है। अपनी जिम्मेदारी की असीमता के अहसास में स्थित होकर जब हम कार्य करेंगे, तो जीवन के हर क्षेत्र में प्रभावशाली होगें और देश और समाज के लिए उपयोगी साबित होगें। हो सकता है कि हमारे नेतृत्व पर कोई कवि काव्य न रचे, इतिहास के पन्नों में हमारा बखान न हो, पर हम एक समाधान बनकर जरूर उभरेंगे। यह समाधान न केवल समाज के लिए होगा, बल्कि हमारे लिए भी पूर्णता में खिलने का एक अवसर साबित होगा।

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