जयपुर। राजस्थान के प्रतापगढ़ में डायन होने का आरोप लगाकर एक महिला को पीट-पीटकर मार दिया गया तो एक दूसरी महिला को निर्वस्त्र कर लोहे की गर्म सलाखों से दागा गया। प्रतापगढ़ की राजू, मंजू और रोडीलाल पर आरोप है कि उन्होंने 60 साल की मणिबाई नाम की महिला की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इनका कहना है कि मणिबाई डायन थी। वो टोने-टोटके करती थी और बच्चों के शरीर में घुसकर उन्हें बीमार कर देती थी इसलिए इन लोगों ने उसका पहले अपहरण किया और फिर एक कमरे में बंदकर मणिभाई को रातभर पीटते रहे। सुबह पड़ोसियों को पता चला तो वो उसे अस्पताल ले गए लेकिन मणिबाई ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पुलिस ने इन तीनों को अपहरण और हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक राजू की बेटी सोनू काफी वक्त से बीमार रहती थी। वो अजीबोगरीब हरकतें करती थी। इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की बजाय बेटी को एक ओझे के पास ले जाया गया। ओझे ने बताया कि बेटी के शरीर में किसी की आत्मा का साया है। इन तीनों का आरोप है कि मणिबाई ही उनकी बेटी पर टोटके करती थी। वो अक्सर सोनू के शरीर में आ जाती थी और सोने-चांदी से लेकर श्रृंगार के सामान की मांग करती थी। मांग पूरा करने पर शरीर छोड़ देती और बेटी ठीक हो जाती थी। मणिबाई रोडीलाल की मौसेरी सास थी, यानी उससे नजदीकी रिश्ता था, लेकिन अंधविश्वास के पर्दे ने इस रिश्ते को तार-तार कर दिया।
ऐसी ही एक वारदात राजस्थान के टोंक के सुरेली गांव में हुई। जहां डायन बताकर इस महिला को जानवरों की तरह मारा-पीटा गया। महिला का आरोप है कि जब वो पानी भरने जा रही थी तो गांव के 6 लोगों ने उसे रोक लिया और उसे बिजली के खंभे से बांध दिया। इसके बाद उन हैवानों ने इस लाचार महिला के कपड़े उतार दिए और लोहे की गर्म सलाखों से इस महिला को दागा।
पीड़ित महिला अपने साथ हुए अत्याचार की शिकायत करने उनियारा पुलिस स्टेशन पहुंची तो पुलिसवालों ने कार्रवाई करने की बजाए उसे थाने से भगा दिया। इसके बाद पीड़ित महिला ने टोंक पहुंचकर शिकायत की तब जाकर पुलिस हरकत में आई। इसके बाद पुलिस ने 6 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर 5 को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि एक आरोपी की भैंस की मौत हो गई तो उसने पीड़ित महिला पर डायन होने का आरोप लगाया और उसे अपनी भैंस की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए 5000 रुपये मांगे। जब महिला ने इनकार किया तो उसके साथ निर्वस्त्र कर मारपीट की गई। सात आरोपी गिरफ्त में हैं, लेकिन इस महिला के चेहरे पर उनका खौफ साफ दिखता है।
राजस्थान में पिछले 15 सालों में 2500 महिलाओं को डायन होने का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया गया। करीब 500 महिलाओं की हत्या भी कर दी गई। इसके बावजूद सरकार डायन कुप्रथा को रोकने के लिए कोई कानून नहीं बना रही है। पिछले सात सालों से बिल का ड्राफ्ट सरकारी दफ्तर में धूल फांक रहा है।
राजस्थान में किसी महिला की जायदाद पर कब्जा करना हो, किसी महिला से छुटकारा पाना हो या किसी महिला के चरित्र पर सवाल उठाना हो तो उसे डायन बता दो। भारत में खासतौर पर राजस्थान में यही हो रहा है। महिलाओं को डायन होने के झूठे आरोप लगाकर उन्हें समाज से बेदखल किया जा रहा है। कई बार तो उनकी हत्या तक कर दी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में हर महीने 6 से 7 महिलाओं को डायन के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन ने राजस्थान हाईकोर्ट में डायन कुप्रथा के खिलाफ कानून बनाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर कर रखी है। याचिका में बताया गया कि राजस्थान में पिछले 15 साल से 2500 महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित किया गया, इनमें से 500 महिलाओँ की हत्या कर दी गई।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन ने डायन प्रथा से प्रभावित राजस्थान के 6 जिलों टोंक, भीलवाड़ा, अजमेर, कोटा, उदयपुर और जोधपुर में सर्वे कराया। सर्वे में पाया कि डायन के आरोप की शिकार ज्यादातर महिलाओं को घर से बेघर कर दिया गया। उनके बाल काट दिए गए। उनसे रोटी-बेटी की रिश्ता खत्म कर दिया गया। जायदाद से बेदखल कर दिया गया या सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। जिन महिलाओं को डायन ठहराया गया उनमें से 20 फीसदी की या तो हत्या कर दी या उन महिलाओं ने प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
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