साल बीत गया दुख
में,कोई खुशी नही पाई,
नया साल सुखमय
गुजरे,नववर्ष की बधाई!
2016 बीत रहा, क्या खोया क्या पाया है,
महंगाई,बलात्कार,का फैला देखो साया है!
जीवन की
उपलब्धियां,अभी भी है अवरुद्ध,
सभ्यता बढी है, पर जारी अभी भी है
युद्ध!
जिन्दगी का दामन
फटा ,आँसू भी है नम,
आदमी सुखी नहीं,छाया है दुनिया में गम!
जो स्वप्न है
सच का, वरदान कब बनेगा,
शैतान आदमी न
जाने, इंसान कब बनगा!
आने वाली पीढी ने
है, हमसे उम्मीद लगाईं
नया साल सुखमय
गुजरे,नववर्ष की बधाई
ब्लोगिंग का अपना
मजा, बीत गये दो वर्ष
प्यार मिले जब
आपका, मन में होता हर्ष,
मन में होता हर्ष, रोज
फालोवर बढ़ते
दें टिप्पणियाँ
खूब ,पोस्ट पाठकगण पढ़ते,
खोलें गूगल
टाक , परस्पर
करते टाकिंग
मिला नया संसार, शुरू की जबसे ब्लोगिंग,
प्रतीक्षा ही अच्छी है घावों को भरने की
कभी उजड़े दयारों में, बहारें न ढूंढिए -
मंजिल के पाँव कब रुकते हैं राह में
तैरने की कोशिश हो सिकारे न ढूंढिए -
वास्ता है दरिया से लहरों से आशिक़ी
छोड़ करके हाथ अब किनारे न ढूंढिए -
तम्बू मुकद्दर जब यही आशियाना है
लगाने को खूँटियाँ दीवारें न ढूंढिए -
तेरे घर का आईना तुम्हारा न होगा
भले तोड़ दोगे , बेचारा न होगा -
पलकों को आँसू भिगो कर चले हैं
कभी लौट आना दुबारा न होगा -
बड़ी मुश्किलों से मिलती जमी है
सागर से मांगो गुजारा न होगा -
पूनम की रातों मे विपुल चाँद तेरा
अमावस में कोई सितारा न होगा -
लौटोगे जब भी हो मय - मेकदे से
दरिया तो होगी सिकारा न होगा
भले तोड़ दोगे , बेचारा न होगा -
पलकों को आँसू भिगो कर चले हैं
कभी लौट आना दुबारा न होगा -
बड़ी मुश्किलों से मिलती जमी है
सागर से मांगो गुजारा न होगा -
पूनम की रातों मे विपुल चाँद तेरा
अमावस में कोई सितारा न होगा -
लौटोगे जब भी हो मय - मेकदे से
दरिया तो होगी सिकारा न होगा
फुट गया घड़ा जो संभाल कर रखा था
कौड़ियां निकलीं रत्नों का भ्रम टूट निकला-
फूलों का गुलदस्ता सलामत रहे कब तक
रखा सीसे के जार में फिर भी सूख निकला-
कितना था पुराना मानदंड वो झूठ निकला
बैठा है सिर पकड़ अपना बेटा कपूत निकला
कौड़ियां निकलीं रत्नों का भ्रम टूट निकला-
फूलों का गुलदस्ता सलामत रहे कब तक
रखा सीसे के जार में फिर भी सूख निकला-
कितना था पुराना मानदंड वो झूठ निकला
बैठा है सिर पकड़ अपना बेटा कपूत निकला
तपा रहे थे गहन संस्कारों की आग में कबसे
प्यारी बेटी का कदम भी अबूझ निकला -
सींचता रहा सुबहो शाम हसरतें पूरी होंगीं
प्लास्टिक जड़े पातों वाला पेड़ ठूँठ निकला-
प्यासा मरा चुल्लू भर पानी न मिला माँगा
पानी के नाम सागर भी यमदूत निकला -
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