Friday, October 14, 2016

एक ईमानदार नेतृत्व का शानदार प्रयास

एक ईमानदार नेतृत्व का शानदार प्रयास
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     साथियों ब्रजेश शर्मा 1998 से एक ऐसा नाम जिस पर आज तक न तो कोई आरोप लगा सकता है न ही कोई शंका
हर समय खुला पन्ना ,कभी कोई गोपनीय नहीं
       चाहे जीत हो या हार.......
अध्यापक संयुक्त मोर्चे का गठन भी एक बहुत ही सकारात्मक और ईमानदार पहल सभी संघों को दिया था खुला आमन्त्रण बार बार निवेदन अध्यापक हित में एकता की पहल.....
       ,अध्यापक संगठन आये जिन्हें अध्यापक हित की चिता थी। सभी हुए एकजुट सभी ने ली साथ साथ लड़ने की शपथ
            संयुक्त मोर्चे का गठन ही ईमानदारी के साथ हुआ।
नेतृत्व मिला ब्रजेश शर्मा को जिनकी ईमानदारी और वफादारी की कसमें लोग आज भी खातें है।
            एक बार फिर सभी संगठनो के संतुक्त स्वरूप ने 
एक ईमानदार नेतृत्व के साथ कदम से कदम मिलाना तय किया
और सभी जय अध्यापक एवं अध्यापक एकता के जयघोष के साथ  संघर्ष का रास्ता तय किया।
               साथियों आप सभी के सहयोग ने 10 जून 2016 को अम्बेडकर पार्क में इतिहास रच दिया।अध्यापक एकता जिंदाबाद के गगन भेदी नारों के साथ शुरू हो गई संघर्ष की महायात्रा ।
        शासन ने संयुक्त मोर्चे को भोपाल में नहीं दी जगह इसकी क्या है वजह यह तो भगवान ही जाने....
      संयुक्त मोर्चा जा बैठा भगवान महाबली बजरंग बली के पास और बीना अनुमति भगवान से प्रार्थना कर किया आमरण अनशन शुरू और यह आग देखते ही देखते दावानल बनी पुरे प्रदेश के अध्यापक तालाबन्दी कर सड़कों पर आ गए  और महासंघर्ष का एलान कर दिया गया।
         साथियों पहली बार एक ईमानदार नेतृत्व के साथ प्रदेश का अध्यापक खड़ा हुआ ऐतिहासिक आंदोलन प्रारंभ
हुआ।
           आपके प्रयास सफल होंगें आंदोलन का प्रभाव से हमें सफलता मिलेगी।
         ईमानदारी से किया गया प्रयास सफलता की ऐसी ग्यारंटी है जो कभी असफल नहीं होती।
        हमारा ईमानदार प्रयास हमें सफलता देगा।
              जय अध्यापक
             जय अध्यापक एकता
             जय संयुक्त मोर्चा
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क्या हक मॉगना गुनाह है ?
      अतिथि शिक्षक भाईयों पर म.प्र. सरकार द्वारा लाठी चार्ज करना घोर निंदनीय कृत्य है, आखिर क्यों?
   विगत आन्दोलन मे स्वयं माननीय पारस जैन जी( शिक्षा मंत्री ) ने अतिथि भाईयों की मॉगों को जायज बतलाया था साथ ही उनके साथ न्याय करने का आश्वासन दिया गया था ! साथ ही हम अध्यापक साथियों के साथ भी अन्याय जारी हैं.
😔😔😔😔😔 आज दिनांक तक विसंगति रहित  गणनापत्रक जारी नही हुआ. कोरी घोषणाओं से कब तक कोई अधर मे लटका रहेगा, क्या अपने हक और सम्मान की आवाज ऊठाना अपराध है ??
  लोकतंत्र की सरेआम धज्जियॉ ऊढाई जा रही है ??
युग बदला पर तानाशाही  नही बदली!
क्यू ना इस तानाशाह सरकार को ही 2018 मे ऊखाड फेके
👆👆
जरा सोचिये इस बारे मे…
कब तक हम अन्याय सहन करेगें. बस बहुत हुआ साथियों. अपने जायज हक को पाने तैयार हो जाओ . अपने घरो स्कूलो से बाहर निकल अपने परिवार के अच्छे भविष्य के लिये. अपना आने वाला कल संवारने के लिये बस एक बार पूरी तकात से आंदोलन मे शामिल हो जाओ.
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अध्यापक साथियों से मार्मिक अपील
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प्रिय अध्यापक साथियों
. . . . . . . .  सरकार की छल कपट नीति के विरूद्घ अध्यापक संयुक्त मोर्चा अपने ईमानदारी वायदे के अनुसार भोपाल में दिनांक 10/6/2016 से अनशन पर डटा हुआ है अंतिम लड़ाई के लिये मोर्चा के अनशानकारीयों को प्रदेश का हर अध्यापक सम्बल पृदान करे या फिर एक बार पुनः छलावे के लिये तैयार रहें संयुक्त मोर्चा ने आज आम अध्यापक का दिल (♥) जीत लिया है संयुक्त मोर्चा के अनशनकारी बधाई के पात्र है
साथियों सरकार ने हमारी ताकत को समझ लिया है इस कारण कुछ संघों को सत्ता ने अपने पाले में कर मोर्चा के आन्दोलन को विफल करने की साजिस रच दी है! आप मोर्चा के नेतृत्व पर भरोसा कर क्रांति के स्वर गुंजायमान हो चुके है!
हम जीत की ओर अपने कदम बढ़ा रहे है!
हमारी जीत निश्चित है!
हार शब्द कायरों के लिए होता है!
वीर सपूतों जागो यलगार करो!
फतह हमारी होगी!
मोहमाया के बंधनो से मुक्त होकर निष्पक्षता का मैदान सभालों टूट पड़ो अत्यांचार करने वाली सरकार के खिलाप!
आपकी ललकार सरकार के लिये कैंसर बन सकती है! आपने जिस सिद सिद्ददत से तिरंगा लालघाटी की छाती पर फहराया आज उसी जोश जूनून के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है!
आपकी संख्याबल ही हमारी ताकत है
साथियों हमारा आन्दोलन किसी भी हालत में रूकना नहीं चाहिये!
साथियों आन्दोलन की सफलता हमारी एकता की मिशाल है हमें गर्व है हम चाणक्य के वंशज है हमने कायरों का मार्ग न चुनकर स्वाभिमानी अध्यापक वीरों का मार्ग चुना है हमें पूर्ण विश्वास है कि प्रदेश के स्वाभिमानी अध्यापकों की यह दहाड़ अब प्रदेश सरकार को हिला कर रख देगी साथियों सहित मोर्चा के साथ कदमताल कर अपने अधिकारों को प्राप्त करें
उठो चल पड़ो अपनी मंजिल पाने सरकार से यलगार करने के लिये
यदि आप ऐसा नहीं कर पाये तो तुम्हारी आत्मा की आवाज तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगी तुम चुल्लू भर पानी में डुबने का भी अधिकार खो दोगे!
यह वक्त यलगार करने का है यह बक्त रक्त बहाने का है! यह वक्त चाणक्य के इतिहास को दोहराने का है! यह वक्त अपने अधिकार पाने का है! यह वक्त अपनी तकदीर बदलने का है! ये वक्त अंतिम बिजय का है
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👊संघों की खींचतान के दरम्यान.........आस प्रमुख का फिर से बदला बयान.................✍
👉साथियों आज भरत पटेल के तेवर ठंडे पड़ गए है।आज मोर्चा अपने बलबूते पर हर छोटी से छोटी अध्यापकों की समस्याऐ ब्लाक स्तर से प्रदेश स्तर पर ध्यानकेन्द्रित कर आवाज उठा रहा है।साथियों आज बार बार तारीख घोषित कर भरत पटेल की कथनी करनी का पर्दाफाश हो चुका है।इनके नकली चेहरे से नकली नकाब उठ चुका है।जहाँ तक विरोध का सवाल है।तो वर्तमान कलयुग में सत्य का ही सबसे अधिक विरोध होता है।और आज मुझे पूर्ण उम्मीद है कि भरत जी के अंधभक्त इस मेरी पोस्ट का फिर से विरोध जरुर करेगे।लेकिन विरोध के डर से एक कलमकार योध्दा भयविहीन होकर सच्चाई लिखने का ही साहस करता है।एक कलमकार अपने विचारों से क्रांति पैदा करता है।विरोध की परवाह नही करता।मुझे पूर्ण विश्वास है।इस सत्यता के जहर के इंजेक्शन से अंधभक्तों की मानसिकता में जरुर पूर्ण लाभ होकर बदलाव होगा।भरत जी आप निरन्तर अध्यापकों को भ्रमित करने वाली बदलती बयानबाजी की एक दो लाईन फेसबुक पर लिखकर ये सोचते है।कि हमसे बड़ा सरकार का वफादार कोई नही।यहीं सोच आपके नेत्तव की इज्जत में कमी पैदा कर रही है।लेकिन आप हकीकत में ही शेर है।आपकी बार बार निरन्तर बदलती बयानबाजी की निम्नता की बर्बरता पर भी आप शर्मिन्दा नही होते।मैं आपकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता हूँ।क्या कारण है कि आपकी बयानबाजी सरकार के पक्ष में अधिक......अध्यापकहित में क्यूं नही।......क्या प्रेम है।सरकार से आपका .....क्या रिश्ते है इनसे आपके......इन रिश्ते नातों को उजागर क्यूं नही करना चाहते।इस समय आपकी कार्यशैली से ऐसा प्रतीत होता है।कि आप हमारे अधिकारों को कुचलकर महत्तवाकांक्षा के कवच में लिपटकर अपना राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति करना चाहते हो।इसके शिवाय और कुछ नही।आपकी कार्यशैली ने समूचे अध्यापक जगत को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है।कि आपके नेत्तव की सोच अध्यापकहितेषी न होकर राजनीतिक सत्ता प्राप्ति की चाहत से बढ़कर कुछ नही।
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अध्यापक साथियो आज मन की बात , आपकी बात , मेरी बात , सबकी बात ****
बात तब तक होती है जब तक की बात होती है । बात करने के लिए कोई बात होना चाहिए । फिर बात करने वाले यह देखे की बात सुनने वालो में कितना दम है । केवल बात इसलिए नहीं हो रही की बात ही करनी है । अब तक जो बात हुई उस बात में और इस बात में फर्क है । बात से या तो रास्ते खुल जाते है या फिर एक ही बात में सब बात बराबर हो जायेगी । 
शिक्षामंत्री जी ने कहा था की बात का सिलसिला ख़त्म नहीं होना चाहिए । फिर मजे की बात यह की बात का सिलसिला 29 को अवरुद्ध हो गया । बात बढ़ी तो 2 अगस्त यानी की आजादी के महीने पर आकर बैठ गई । लेकिन बात बेबात पर बात हो भी तो कितनी हो । भाई बुलावा आया तो है की बात करनी है , पर वो नहीं जानते की क्या बात करनी है । क्योंकि वो इस बात में शामिल ही नहीं जिन्हें बात करनी है । बात करते रहो , इनसे बात उनसे बात , न जाने किनसे किनसे बात । जो रहती है घर में रात दिन साथ उससे होती नहीं दिल की बात । हद है भाऊ ऐसा कीजिये एक बातूनी विभाग बना दीजिये जो बात कर सके और अपनी ही कही बात की बात रख सके । अब उन साथियो के बारे में एक बात जो कहते है आप बात करो तो ऐ बात जरूर करना । भाऊ अब कैसे समझाऊ की हम जब बात करते है तो ऐ ही बात करते है ।
भाई सौ बात की एक बात की अब मुद्दे हल होने की ये आखरी दरकार या प्रदेश में हो अगली अध्यापको की सरकार  ।
चलिये कर लेते है बात पर अब की बात हर बात ख़त्म करने के लिए बात
मैं कल की बात बेबाक के लिए निकल चूका हूँ , अब बात निकली ही है तो दूर तलक जायेगी ।
आज आशा जी की आवाज़ में एक मशहूर ग़ज़ल की कुछ पंक्तिया लिख रहा हूँ ।
इसमें भी कुछ बात है -
दिल चीज़ क्या है, आप मेरी जान लीजिये
बस एक बार मेरा कहा, मान लीजिये
इस अंजुमन में आपको आना है बार बार
दीवार-ओ-दर को गौर से पहचान लीजिये
कहिये तो आसमान को ज़मीन पर उतार लाएं
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
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सरकार अध्यापकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है! सरकार यह समझती है कि अध्यापकों की खामोशी कोंई तूफान आने का संकेत है! और अगर मामाजी तूफान से दो -दो हाथ करने को  तैयार हो जाये!  और उनका सत्ता से मन उब चुका हो! और लम्बी तीर्थ यात्रा पर जाने का मन बना लिया हो तो।।।  लेकिन फिर भी मुझे शुभ-शुभ ही सोचना है जय अध्यापक एकता👋
आज मैंने संयुक्त मोर्चे व समाधान टीम से जबाव माँगा तो सन्नाटा छा गया पूरे ग्रुप में देखिए क्या कहा हमने---:
vinod Patel AssSatna: 
🏻भाइयों अभी तक के संगठनो का काम केवल गुलदस्ते भेंट करना,उनके साथ फोटो खिचाना, कोई भी घोषणा होने पर माननीयो का आभार देने मिठाई के साथ पहुँचना खुशी मनाने तक ही सीमित रहा।
       जरा सोचे जब माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा छँटवे वेतनमान के अतिरिक्त बजट की व्यवस्था कर दी गई तो
क्यों गणना पत्रक जारी होने मे देरी हो रही है।
        भाइयों हमें कुछ गड़बड़ सा एहसास हो रहा है क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है।
कही इस बार भी हम इन नेताओं के शिकार हो जाये नही तो वश हो गया कल्याण।और आने वाला वक्त भी ऐसा ही कुछ दस्तक दे रहा है ।
साथियों सितम्बर 2015 से अप्रैल 2015 कुल 8 माह मे सभी संगठन अपनी अपनी उपलब्धि बताये।
   एक भी माँग अगर पूरी कराये हो तो
एक भी माँग बताये चाहे जो भी हो चाहे छँटवा वेतनमान, स्थानांतरण नीति,वेतन विसंगति,मातृत्व अवकाश, पितृत्व अवकाश,बीमा ग्रेज्युटी,पेंशन,संविदा संवधित गुरुजी संवधित x y z कोई भी हो जो पूरी कराये हो आदेश हो गया हो
    जबाव दे कोई भी संगठन आगे आये।
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मेरे पास आज कहने को बहुत ज्यादा नही है.दिल से कुछ कहना चाहता हू तो वो सिर्फ इतना की आखिर आप किसे धोखा दे रहे हो.खुद को , अपने बच्चो को, मा बाप को , या अपनी उस पत्नि को जो हर बार घर खर्च की वजह से अपने मन को मसोस कर रह जाती है मगर कभी अपनी लालसा प्रकट नही करती.उस मा को जो ये भली भाति जानतीख है कि उसके बेटे का वेतन बहुत कम है जैसे तैसे घर चलाता है . वो अपनी ममता का मान रखती है मगर बेटे के सामने अपने मन की पीडा नही कहती.आप मे जो मुरलीधर पाटीदार के समर्थक है..जो मनोहर प्रसाद दुबे के समर्थक है या आप ब्रजेश शर्मा के समर्थक है वो इतना तो जानते है कि आपका परिवार जब अपने सपनो को अपने मन का कैदी बनाता है तो इनमे से कोई नही आ सकता हमारे उन सपनो को पन्ख देने के लिये..तो फिर ये अन्धभक्तता किसलिये.हम किसी के विरोधी नही है.मगर अगर कोई विमुख होकर हमारे किसी दुख दर्द को ना समझे, जो सन्घर्ष के समय हमारे साथ ना हो वो हमारे किसी काम का नही है.अध्यापक कोर कमेटी ने जो आन्दोलन खडा करने के लिये रुपरेखा तैयार की है वो निसन्देह हमारे लक्ष्य के लिये रामबाण है. मगर जब तक वो लोग जो खुद को किसी ना किसी सन्ग्ठन का पदाधिकारी मानते है चाहे वो ब्लोक स्तर से हो या जिले या फिर प्रदेश के हो उन्हे समझ लेना चाहिये की ये आखिरी समय है जब ह्म मिलकर आवाज उठा सकते है.. आप छोडो सारे पदो का मोह, आप सोचो सिर्फ अपने परिवारो के उन सपनो का जो बिखर रहे है.. टूट रहे है.. आप से करबध अपील है कि ये अखबार की कटीन्ग .. और कुछ फोटोग्राफ के अलावा दिखाने के लिये आपके पास बुढापे मे कुछ नही होगा.. जिस समय हमे रुपये की सबसे ज्यादा जरुरत होगी उस वक्त हमारे हाथ खाली होन्गे..
अध्यापक कोर कमेटी किसी सन्ग्ठन को तोडने के लिये नही बनी है.. यह तो पुनित प्रयास कर रही है कि सब एक साथ एकता के सुत्र मे बन्ध जाये.. मगर अध्यापको का बडा समूह अकर्मण्य और अवसर वादियो के मायाजाल से बाहर नही आ रहा है.. इस का खमियाजा भुगतेन्गे आपके और हमारे आस्रित परिजन...जरा सोच लो की किसी दिन हमारी शवयात्रा निकल रही होगी तो महिना खत्म होने के पहले जेब खाली हो जाने कि नियती को झेल रहे अध्यापक के परिजन कितने दिन अपने पेट को पाल लेन्गे... 
मेरे पास इस विषय पर आपके जमीर को जगाने के लिये शब्दो की कमी है मगर उम्मिद कर रहा हू की मेरी भावनाए आपके अर्न्तमन तक जरुर दस्तक दे रही होगी.. अभी भी समय है .. एक जुट होकर अध्यापक कोर कमेटी के साथ जमीनी स्तर पर साथ दो..शायद आप भविष्य की तस्वीर बदल दो...
श्याम मीणा
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साथियों, मैं विगत पिछले कुछ दिनों की घटना क्रम और ग्रुप्स में आरोप-प्रत्यारोप को पढ़ रहा हूँ। जिसे सुन कर या पढ कर मेरा ही नहीं हर अध्यापक को दुःख हुआ होगा|
फिर एक बार उसने सोचा होगा की अब पुन: वही कहानी दोहराई जाएगी और विघटन की पृष्टभूमि पर एक बार फिर अध्यापक हित आहात होगा|
अब वह समय आ गया है की हम अध्यापक यह अच्छी तरह से समझ ले की हमें अब एक ही रहना है और आपने हक़ को ले कर रहना है, तब ही हम जीत सकते है|
हमारा कोई संघ नहीं है हमारा है तो सिर्फ और सिर्फ संग है|*
हमें आपना और आपने साथियों का संग निभाना है जो अध्यापक हित के लिए कार्य करते आ  रहे है|
मैं यहाँ अध्यापक हित की बात पर जोर इस लिए भी डाल रहा हूँ क्योकि अध्यापक हित में ही हम सब का हित है, इस प्रदेश का हित है, इस के छात्रो का हित है, इस देश के भविष्य का हित है|
साथियों *हम अध्यापक* इस देश की आँखों है जो आने वाले समय को कई वर्षों पहले देख कर इस देख की युवा पीढ़ी को तैयार कर देता है| क्या हम  ऐसे बन गए है की हम आपने ही भविष्य को नहीं बना पा रहे है और उसे देखा नहीं पा रहे तो....
ये हमारी ही लाचारी और अकर्मण्यता है|
*हमें एक होना होगा, आपने लिए, इस देश के भविष्य के लिए और आपनी आने वाली पीढ़ी के लिए|* साथियों हम हमारे मुख्यमंत्री जी से आपने लिए एक उचित वेतन मान
की माँग कर रहे है यह उन्होंने स्वीकार तो कर ली है पर जिस तरह से वो लेट-लतीफ़  हो रही है उससे अध्यापकों में एक तरह का रोष है| *हमें आपनी बात को उन तक पुरे जोर और शिद्दत से पहुचना है| हम अध्यापकों का और सभी संघो का यह दायित्व है की हम एक दुसरे के संग हो ले ताकि हम अध्यापकों के साध्य पुरे हो सके|*
*यह कार्य शांति और मर्यादा में रह कर के हो तो और भी अच्छा रहेगा|*
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👊छलावे से दूर रख..... ....हमें हमारे पुराने हाल पर छोड़............... अलविदा कह दो......................................✍
आज व्हाटसेप के पन्ने से भरत जी की पोस्ट पढी़।जिसमें कहाँ गया कि आजाद ने सभी संघ संगठन मोर्चा को एकजुट करने का प्रयास किया।लेकिन में कहता हूँ ।आपने एकजुटता का नही अपितु विखण्डन का प्रयास कर मोर्चे के आंदोलन को असफल करने का पूर्ण प्रयास किया।अब 25 जून से आंदोलन की घोषणा क्यूं...???आपका तो कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री पर भरोसा रखे।लेकिन आप अपना भरोसा जरुर खो चुके है।मुझे नही लगता कि आप 25 जून से भी आंदोलन कर पाऐ।आपका बार बार कार्यक्रमों की घोषणा फिर अचानक निरस्त करना मेरी समझ से परे है।मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपके द्वारा 25 जून का घोषित तय आंदोलन कार्यक्रम भी निरस्त किया जावैगा क्यूंकि मैं क ई महीनो से आपकी बार बार बदलती बयानबाजी देख रहा हू।आपने प्रदेश के अध्यापकों का विश्वास खो दिया है।आपका मतलब साफ है।फितरत फैलाओ आम अध्यापकों को गुमराह करों और मोर्चे के आंदोलन को तोड़ो।
      भरत जी आपसे प्रदेश के 2 लाख 80 हजार अध्यापकों की ओर से मैं अपील करता हूँ।कि आप छटवे वेतनमान का बड़म्पन न लेते हुये इसे खारिज करवाऐ।प्रदेश के अध्यापको को छटवा वेतनमान नही चाहिये।उसे अपने पुराने हाल पर छोड़ दो क्यूंकि इस वेतनमान में अध्यापकों को वेतन बढ़ने की बजाय कम हो रहा है।इससे तो बेहतर हमारा 2017 में  किश्तों का समायोजन वाला वेतन लाख गुना अच्छा है।हमें नही चाहिये छटा वेतनमान ।और साथ ही हमारे कटे हुये वेतन को वापिस दिलाये।अब आपके मोहमाया से हम दूर रहना चाहते है।आपका असली चेहरा हम देख चुके।तुम्हारी बाजुओ का दम देख चुके है।तुम्हारी भुजाओं का अंहकार हम देख चुके है।जनाब यदि आप हमारा पुराना किश्तवाला वेतन व कटा वेतन न दिला पाऐ तो चम्बल की इस कलम को अपने जीवन में आत्मसात कर हमारी दुनियाँ से दूर चले जाऐ।अब हमें तुम्हारी कोई जरुरत नहीं।

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