आते ही लगते है कार्यालय चमकाने, जरा देखिए पुरानी फाइले कितनी लंबित है!
जब किसी राज्य में नए प्रशासक आते है तो उन्हे आते ही अपने कार्यालय का नक्सा बदलना, रंग बदलना, फर्नीचर बदलना तो याद रहता है, लेकिन उन्हे यह नहीं दिखाई देता की वह जिस विकास निधि का उपयोग अपने कार्यालय को चमकाने में कर रहे है वह जनता के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई है, और उस पैसे को जनता ने कोई घोटाला कर के जमा नहीं किया है, लेकिन इसके बाद भी नए प्रशासक के आने के बाद देखा गया कि वह अपने कार्यालय में कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य करवाते है, खेर इस बात से जनता को का हमे कोई गुरेज नहीं हो सकती, प्रशासक को अपने कार्यालय में परिवर्तन बदलाब या कैसा रख-रखाव रखना है यह तो उनपर निर्भर करता है, लेकिन अगर नए प्रशासक आने के बाद सबसे पहले अपने कार्यालय का नक्सा बदलने से पहले राज्य के उन विभागों एवं विभागीय अधिकारियों का नक्सा बदले जिनके भ्रष्टाचार की फाइले और शिकायते प्रशासन में लंबित पड़ी है, और ऐसे मामलो को निपटाए जो सालों से टस के मस नहीं होते, जैसे कि यह मामला है, अगर प्रशासक इस बात पर ध्यान दे तो जनता के साथ साथ वह उन विरोधी नेताओं से भी अवश्य वाह वाही लुटेगे जिनहे प्रशासक की कार्यप्रणाली पर संदेह रहा हो।
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