कैलाश नगर पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि मानव समाज में अध्यात्म एवं भक्ति का संयोग हैं । जिसके कारण मनुष्यों में संत रूपी देवताओं का स्थान बन जाता हैं उन्होने कहा कि आज गुरू पुर्णिमा एक पर्व की तरह मनाया जाने लगा हैं । यह संतो के तप, त्याग एवं ईश्वर भक्ति से बना आभा मण्डल का परिणाम हैं । लोढा ने यह विचार उपखण्ड क्षेत्र. के मांडानी गांव सरहद पर स्थित बाबा रामदेव मंदिर आश्रम में संत नथारामजी महाराज के मूर्ति स्थापना एवं गुरू पुर्णिमा महोत्सव पर आयोजित धर्म सभा में बोलते हुये व्यक्त किये इस अवसर पर आश्रम की साधवीं लीला ऊर्फ डाली बाई, साधवी सीध्धी कुमारी का सानिध्य रहा एवं पंचायत समिति के प्रधान जीवाराम आर्य, उप प्रधान मोटाराम देवासी, सुमेरपुर के पार्षद छतराराम मेघवाल, पूर्व पार्षद दुर्गाराम सोनल एवं वरिष्ठ कांग्रेसी रामलाल पुरोहित ने अतिथि के रूप में भाग लिया ।
धर्म सभा में बोलते हुये लोढा ने कहा कि संत का व्यवहार, वाणी व आचरण में दिखता हैं केवल वस्त्र रगने से ही मनुष्य संत नही बन जाता । उन्होने कहा कि संत की कोई जाति एवं धर्म नही होता वह तो मनुष्य रूपी शरीर में देव रूपी गुणो की मूर्ति होता हैं । जो हर वर्ग जाति के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करता हैं । पूर्व विधायक ने रामायण के रचियता वाल्मिकी, सूरदास, कबीर इत्यादि संतो के द्रष्थान्तत रखते हुये मनुष्यों को प्रत्येक जीवों के कल्याण के लिए कार्य करने का संदेश दिया ।
प्रधान जीवाराम आर्य ने इस अवसर पर कहा कि संतो व महापुरूषो की मूर्तियां इसलिए लगाई जाती हैं कि उन्हे देखकर एवं उनके बताये हुये सदमार्ग के रास्ते पर चलने का संदेश मनुष्य को पीढीयों तक मिलता रहे ताकि व पथ भ्रष्ट नही होकर सर्व कल्याण के कार्यो के प्रति तत्पर रहे । उन्होने कहा कि जैसे-जैसे लोगों में आधुनिक सुख सुविधाओं की वृद्धि हुई हैं वैसे-वैसे कई सामाजिक बुराईया व जडता का प्रचार तेजी से हुआ हैं ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को संत समुदाय को अपना आदर्श मानकर सामाजिक कुरीतियों को मीटाने के प्रति जागरूक रहना होगा । उन्होने कहा कि व्यक्ति यदि ईश्वर की दृष्टि में केवल मनुष्य बनकर ही रहे तो वह किसी जीवों के प्रति कभी दुराभाव नही रखेगा और सभी की सेवा तरक्की एवं उत्थान की भावना से काम करता रहेगा । कार्यक्रम में उप प्रधान मोटाराम देवासी एवं पार्षद छतराराम मेघवाल ने भी विचार व्यक्त किये ।
आश्रम की साधवी के गुरू संत नथारामजी महाराज के मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई जहां हजारों लोगों ने उनके दर्शन करके उनकी शिष्या साधवी लीला ऊर्फ डाली बाई का आशिर्वाद लिया । इस धार्मिक कार्यक्रम में लोढ, आर्य, देवासी व अन्य जनप्रतिनिधियों का आश्रम की ओर से ओबाराम व भुराराम नारादरा, हंसाराम जोयला, अचलाराम पुराडा, बाबुलाल मांडानी, लसाराम कैलाशनगर, भुराराम ओडा इत्यादि ने साफा व माला पहनाकर के स्वागत अभिनन्दन किया ।
इस अवसर पर कैलाशनगर के पूर्व सरपंच पबाराम मेघवाल ओडा के पूर्व सरपंच लसाराम मेघवाल, नारादरा के पूर्व सरपंच जेपाराम कुम्हार, पूर्व सरपंच पूनाराम घांची, कांगे्रस कार्यकर्ता समेलाराम देवासी, मंदिर के भाविक नेनाराम कुम्हार, नवीन प्रजापति, अचलाराम पुराडा, भावराम भेव, जेपाराम झाडोलीवीर, पत्रकार देशाराम सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे इस दौरान आश्रम में महिलाए व बालिकाओं ने देवी देवताओं से संबंधित मंगल गीतों से भक्ति भाव देखते ही उमड रहा था । दिन भर आश्रम में भक्तों व साधवियों के शिष्यों का मेला लगा रहा धर्म सभा का संचालन उद्घोषक देवेन्द्र सोलंकी ने किया ।
धर्म सभा में बोलते हुये लोढा ने कहा कि संत का व्यवहार, वाणी व आचरण में दिखता हैं केवल वस्त्र रगने से ही मनुष्य संत नही बन जाता । उन्होने कहा कि संत की कोई जाति एवं धर्म नही होता वह तो मनुष्य रूपी शरीर में देव रूपी गुणो की मूर्ति होता हैं । जो हर वर्ग जाति के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करता हैं । पूर्व विधायक ने रामायण के रचियता वाल्मिकी, सूरदास, कबीर इत्यादि संतो के द्रष्थान्तत रखते हुये मनुष्यों को प्रत्येक जीवों के कल्याण के लिए कार्य करने का संदेश दिया ।
प्रधान जीवाराम आर्य ने इस अवसर पर कहा कि संतो व महापुरूषो की मूर्तियां इसलिए लगाई जाती हैं कि उन्हे देखकर एवं उनके बताये हुये सदमार्ग के रास्ते पर चलने का संदेश मनुष्य को पीढीयों तक मिलता रहे ताकि व पथ भ्रष्ट नही होकर सर्व कल्याण के कार्यो के प्रति तत्पर रहे । उन्होने कहा कि जैसे-जैसे लोगों में आधुनिक सुख सुविधाओं की वृद्धि हुई हैं वैसे-वैसे कई सामाजिक बुराईया व जडता का प्रचार तेजी से हुआ हैं ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को संत समुदाय को अपना आदर्श मानकर सामाजिक कुरीतियों को मीटाने के प्रति जागरूक रहना होगा । उन्होने कहा कि व्यक्ति यदि ईश्वर की दृष्टि में केवल मनुष्य बनकर ही रहे तो वह किसी जीवों के प्रति कभी दुराभाव नही रखेगा और सभी की सेवा तरक्की एवं उत्थान की भावना से काम करता रहेगा । कार्यक्रम में उप प्रधान मोटाराम देवासी एवं पार्षद छतराराम मेघवाल ने भी विचार व्यक्त किये ।
आश्रम की साधवी के गुरू संत नथारामजी महाराज के मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई जहां हजारों लोगों ने उनके दर्शन करके उनकी शिष्या साधवी लीला ऊर्फ डाली बाई का आशिर्वाद लिया । इस धार्मिक कार्यक्रम में लोढ, आर्य, देवासी व अन्य जनप्रतिनिधियों का आश्रम की ओर से ओबाराम व भुराराम नारादरा, हंसाराम जोयला, अचलाराम पुराडा, बाबुलाल मांडानी, लसाराम कैलाशनगर, भुराराम ओडा इत्यादि ने साफा व माला पहनाकर के स्वागत अभिनन्दन किया ।
इस अवसर पर कैलाशनगर के पूर्व सरपंच पबाराम मेघवाल ओडा के पूर्व सरपंच लसाराम मेघवाल, नारादरा के पूर्व सरपंच जेपाराम कुम्हार, पूर्व सरपंच पूनाराम घांची, कांगे्रस कार्यकर्ता समेलाराम देवासी, मंदिर के भाविक नेनाराम कुम्हार, नवीन प्रजापति, अचलाराम पुराडा, भावराम भेव, जेपाराम झाडोलीवीर, पत्रकार देशाराम सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे इस दौरान आश्रम में महिलाए व बालिकाओं ने देवी देवताओं से संबंधित मंगल गीतों से भक्ति भाव देखते ही उमड रहा था । दिन भर आश्रम में भक्तों व साधवियों के शिष्यों का मेला लगा रहा धर्म सभा का संचालन उद्घोषक देवेन्द्र सोलंकी ने किया ।
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